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राजस्थान चुनाव : सिर्फ 8 प्रतिशत वोट के फेरबदल से बदल सकती है सत्ता

बीजेपी की वर्तमान अलोकप्रियता के चलते इस तरह के बदलाव की बहुत संभावना है।
bjp rajsthan

न्यूज़क्लिक द्वारा डिजाइन किए गए चुनाव पूर्वानुमान उपकरण के अनुसार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से अगर 8 प्रतिशत मतदाता कोंग्रेस की तरफ चले जाते हैं तो इसका मतलब होगा कि वसुंधरा राजे और उनकी सरकार विधानसभा चुनाव हार रही है। यह अनुमान पिछले दो विधानसभा चुनावों (2013 और 2008) के साथ-साथ 2014 के लोकसभा चुनावों के चुनाव आयोग के आंकड़ों पर आधारित है।

2013 में, बीजेपी को 200 सदस्यीय विधानसभा में 163 सीटें मिलीं थी, और कांग्रेस सिर्फ 21 सीटों पर ही सिमट गई थी। दोनों पार्टियों के वोट शेयर क्रमश: बीजेपी – 45 प्रतिशत; कांग्रेस – 33 प्रतिशत थे। इन दो प्रमुख दलों के अलावा, बसपा को 3.4 प्रतिशत वोट और तीन सीटें मिली थी, दो स्थानीय दलों, नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और नेशनल यूनियनिस्ट जमींदारा पार्टी (एनयूजेपी) को 5.3 प्रतिशत वोट और छह सीटें मिली थीं। निर्दलीय और अन्य को 12 प्रतिशत वोट मिले थे।

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जबकि एनपीपी और एनयूजेपीपी अब बीती हुई ताकते हैं, इनमें टूटन आने से उनके आधार को दूसरों ने निगल लिया गया है उम्मीद है कि 2018 के विधानसभा चुनावों में स्वतंत्र उम्मीदवारों और अन्य छोटी पार्टियों को अभी भी इस तरह का समान वोट मिल सकता है, क्योंकि यह प्रवृत्ति ज्यादातर विधानसभा चुनाव में पायी जाती है।

इसलिए, बीजेपी से 8 प्रतिशत की वापसी को एंपीपी या एनयूजेपीपी के मतदाताओं द्वारा भी पूरा किया जा सकता है, जो कि कांग्रेस की ओर बढ़ रही है और पार्टी की जीत की संभावनाओं को और भी बढ़ा रही है।

https://elections.newsclick.in/states.html?state=Rajasthan&year=2013

राजस्थान चुनाव : नक्शा देखने के लिए  यहां क्लिक करें

यह 8 प्रतिशत की स्विंग का मतलब पूरे राज्य के लगभग 28.5 लाख मतदाताओं का होना है, जबकि राज्य में वर्तमान में 4.75 करोड़ मतदाता हैं। यह प्रति सीट औसतन 14,251 मतदाताओं के औसत पर काम करेगा, हालांकि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में स्विंग अलग-अलग हो सकती है।

क्या ऐसा 8 प्रतिशत की स्विंग संभव है?

आज तक की सभी रिपोर्ट और पूर्व सर्वेक्षण दर्शा रहे हैं कि राजस्थान में बीजेपी हार रही है। पिछले महीने प्रकाशित चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों के औसत से पता चलता है कि कांग्रेस को 125 सीटें मिल रही हैं जबकि बीजेपी को केवल 67 सीटों पर सब्र करना होगा। इस संकेत से पता चलता है कि बीजेपी से कांग्रेस की ओर 8 प्रतिशत का स्विंग होने को ज़मीन पर महसूस किया जा रहा है।

इसके साथ अन्य संकेत भी मौजूद हैं। इस वर्ष फरवरी में आयोजित तीन उपचुनावों में बीजेपी के वोट शेयर में 17 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। पंचायत और नगरपालिका चुनावों में भी कांग्रेस ने बीजेपी के उपर जीत दर्ज़ की है।

लेकिन इन चुनावी संकेतकों के अलावा, यह मानने का सबसे बड़ा कारण यह भी है कि भाजपा से मतदाता स्पष्ट तौर पर नाराज़ हैं और राजस्थान में असंतोष और गुस्से की लहर है। इसमें राजे सरकार द्वारा किसानों की शिकायतों को हल न करना उनकी फसलो के लिए बहुत कम कीमत लगाना और राज्य में बेरोजगारी का बढ़ना  और कम मजदूरी के चलते मजदूरों का तीव्र शोषण करना और श्रम कानून की सुरक्षा वापस लेने से भी नारज़गी है।

दलित और आदिवासी समुदाय भी निरंतर उपेक्षा और भेदभाव का जीवन जी रहे हैं, और उनके लिए बजटीय आवंटन में कटौती और अत्याचारों में वृद्धि के कारण संघर्ष के रास्ते पर हैं।

राजे सरकार राज्य में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने में विफल रही है, जिससे सार्वजनिक तौर पर लिंचिंग की कई भयानक घटनाएं हो रही हैं। इतना ही नहीं, बीजेपी के नेताओं और यहां तक कि विधायकों ने खुलेआम बिना किसी भय के इसका समर्थन किया है और खुलेआम अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव किया है।

शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सार्वजनिक सेवाओं के निजीकरण और निगमीकरण की तरफ झुकाव से लोगों में  नाराज़गी है क्योंकि इसका मतलब यह है कि ये आवश्यक जरूरतें उनकी पहुंच से बाहर है।

नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली केंद्रीय सरकार के रिकॉर्ड के संदर्भ में राज्य सरकार का यह सर्वव्यापी विनाशकारी रिकॉर्ड देखा जाना चाहिए जो अपनी आर्थिक नीतियों के कारण काफी अलोकप्रिय हो गया है, जिसमें नोटबंदी  और अन्यायपूर्ण सामान और सेवा कर शामिल हैं। इन सबने राजे की मुश्किलों को बढ़ा दिया है।

इसका क्या मतलब है कि 8 प्रतिशत की स्विंग एक बहुत स्पष्ट संभावना प्रतीत हो रही है - और इसका मतलब है कि इस चुनाव को जीतने की राजे की संभावनाएं काफी कम हो गई हैं।

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