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राजस्थान एग्ज़िट पोल : क्या सोच रहे हैं स्थानीय पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता

न्यूज़क्लिक ने एग्ज़िट पोल और अन्य अनुमानों की पड़ताल के लिए राजस्थान में काम कर रहे पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से बात की और उनकी राय जानी।
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राजस्थान समेत पांच राज्यों में जनता का वास्तविक निर्णय 11 दिसंबर को पता चलेगा। लेकिन उससे पहले एक्ज़िट पोल को लेकर बहस है। राजस्थान में जैसी सबको पहले से उम्मीद थी वही तस्वीर एक्ज़िट पोल भी दिखा रहे हैं। सभी एक्ज़िट पोल यह कह रहे हैं कि राजस्थान में काँग्रेस आ रही है और बीजेपी जा रही है। न्यूज़क्लिक ने इस अनुमान की पड़ताल के लिए राजस्थान में काम कर रहे पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से बात की और उनकी राय जानी। ये सभी एक सुर में बीजेपी की हार की भविष्यवाणी कर रहे हैं।

राजस्थान में 200 सदस्यीय विधानसभा है, जिसमें शुक्रवार, 7 दिसंबर को 199 के लिए वोट डाले गए। इस तरह बहुमत का जादुई आंकड़ा 100 है।न्यूज़ नेशन का सर्वे बता रहा है कि राजस्थान में कांग्रेस को 99 से 103 सीट मिलेंगी और बीजेपी 89 से 93 के बीच रह सकती है। बाकी पार्टियों के खाते में 5 से 9 सीटें जा सकती हैं।सी वोटर के हिसाब से कांग्रेस को 137 सीटें मिलेंगी, बीजेपी को 60 और बाकी को 3 सीटें मिल सकती हैं।

इंडिया टुड़े एक्सिस माइ इंडिया के हिसाब से कांग्रेस को 119 से 141 सीटें मिलेंगी, बीजेपी को 55 से 72 और बाकियों 4 से 11।इसी तरह टाइम्स नाऊ–सीएनएक्स के हिसाब से काँग्रेस 105 सीटें और बीजेपी को 85 और बाकियों को 9 सीटें मिलेंगी।

सभी एक्ज़िट पोल कांग्रेस की जीत की भविष्यवाणी कर रहे हैं। न्यूज़क्लिक से बात करते हुए राज्य के वरिष्ठ पत्रकार ओम सैनी ने कहा “कुल मिलाकर एक्ज़िट पोल के जो नतीजे हैं उनसे हम सहमत हैं। मुझे लग ही रहा था कि इस बार बीजेपी की वही हालत होने जा रही है जो कांग्रेस कि 2013 में हुई थी। इसकी मुख्य वजह रही है किसानों की बेहाली। साथ ही प्रदेश में बढ़ती बेरोज़गारी, महंगाई भी बड़े मुद्दे रहे हैं। बीजेपी की बेहाली के संकेत उप चुनावों में ही दिख गए थे। अमित शाह ने कहा था कि बीजेपी 180 सीटें लाएगी, लेकिन यह कोई उत्पादन कंपनी नहीं है जहां आपके हिसाब से काम होगा। मोदी और शाह की राजनीति निश्चित तौर पर भारतीय लोकतंत्र के विरुद्ध है। जनता मुद्दों पर वोट करती है, हर बार धनबल की शक्ति काम नहीं आती। राजस्थान से यह स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं।’’

इन चुनावों के मुख्य मुद्दों के बारे बात करते हुए ओम सैनी ने कहा “इस बार मुख्य मुद्दा था किसानों की बेहाली। राजस्थान का किसान जो सूखा झेल जाता था और कम संसाधनों में भी काम चला लेता था, ने पहली बार आत्महत्या की है। नोटबंदी और जीएसटी के चलते किसानों की स्थिति और भी खराब हुई है। साथ ही प्रदेश में बेरोज़गारी लगातार बढ़ी और बीजेपी सरकार ने कुछ भी नहीं किया। महंगाई की मार भी एक बड़ा मुद्दा है।’’

जानकारों की माने तो राजस्थान के शेखावाटी में चल रहे किसान आंदोलन ने भी इन चुनावों पर काफी असर डाला है। किसानों की जाग्रति बीजेपी की गाज गिराने में एक बड़ी भूमिका निभा सकती है।

साथ ही राजनीतिक जानकारों का यह भी कहना है कि आंदोलन के चलते इस बार मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी 4 से 5 सीटें जीत सकती है। इससे पहले 2008 में माकपा यहीं से 3 सीटें जीती थी। ओम सैनी के हिसाब से यह नव उदारवादी नीतियों के खिलाफ लोगों का रोष है जो अब बढ़ता ही रहेगा।

एक्ज़िट पोल और राजनीति के जानकार दोनों ही का कहना है कि राज्य में हनुमान बेनीवाल और तीसरे फ्रंट का कोई असर देखने को नहीं मिलेगा। राज्य के राजनीतिक विशेषज्ञों का पहले भी यही कहना था कि हनुमान बेनीवाल को अमित शाह द्वारा ही खड़ा किया गया लगता है। उनके ज़रिये बीजेपी कांग्रेस के वोट काटाने के प्रयास कर रही थी। लेकिन जानकारों का कहना है कि इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ा है।

राजस्थान की प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव ने भी ज़मीन पर बीजेपी विरोधी लहर की बात की। हालांकि उन्होंने एक्ज़िट पोल पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी लेकिन यह ज़रूर कहा कि लग यही रहा है कि बीजेपी की हार होने वाली है। उन्होंने कहा “बीजेपी बहुत ही भ्रष्टाचारी और अभिमानी पार्टी है और इसका उनके काम पर भी असर पड़ता है। इससे लोगों में नाराज़गी थी। साथ ही इस कार्यकाल में लोग भष्टाचार से भी परेशान थे। इसके साथ ही किसानों के मुद्दे, बेरोज़गारी और महंगाई के अलावा दलितों और आदिवासियों को भी काफी शोषण झेलना पड़ा है। इन मुद्दों के चलते लोगों में गुस्सा है और बीजेपी की हार की बड़ी संभावना है।’’

कविता श्रीवास्तव का कहना है कि किसान आंदोलनों के चलते शेखावाटी इलाके में माकपा कुछ सीटों पर जीत सकती है। उनका कहना है कि बीएसपी के वोट में भी कुछ बढ़ोतरी होगी लेकिन सीटों का पता नहीं।

दलितों का मुद्दा राजस्थान में बड़ा मुद्दा बनकर सामने आया है। ऐसा लग रहा है कि दलितों ने बीजेपी के खिलाफ वोट किया है। इस पर कुछ ही दिनों पहले न्यूज़क्लिक से बात करते हुए दलित चिंतक भंवर मेघवाल ने कहा था कि दलितों के लिए आरक्षित 34  सीटें में से बीजेपी को आधी सीटें भी मिलना मुश्किल हैं। उन्होंने कहा कि दलितों में बीजेपी के प्रति बहुत नाराज़गी है और यही वजह है कि बीजेपी ने दलित वोटों को बांटने के लिए कई सारे नए संगठन बनाए हैं। भंवर मेघवंशी ने कहा “अंबेडकर के नाम से बीजेपी ने न जाने कितनी सारी पार्टियां बनाई हैं जिससे दलितों के वोटों का बिखराव हो। लेकिन मेरा आंकलन है कि दलित बीजेपी का चरित्र समझ गए हैं और वह इस जाल में नहीं फंसेंगे और बीजेपी को सत्ता से बेदखल करेंगे।’’

यह देखकर लग रहा है कि एक्ज़िट पोल भी वही बता रहे हैं जो राजस्थान के सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार कह रहे हैं। वैसे असल नतीजे क्या होते हैं यह देखना दिलचस्प होगा। इसके लिए फिलहाल 11 दिसंबर तक का इंतज़ार करना होगा।

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