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राजस्थान में एक बार फिर से किसानों का आंदोलन

कलेक्ट्र ने भी माना है कि किसानो को उनकी लागत नहीं मिल रही है. इसके साथ कर्जमाफी में भी धांधली हुई है | लेकिन सच यह भी है की इन सभी को लेकर कोई करवाई नहीं हुई है | इससे गुस्साए किसानों ने अपना आंदोलन और उग्र करने का फैसल किया है |

AIKS

राजस्थान में किसान एक बार फिर से अंदोलन की राह पर हैं. कल बुधवार को सीकर में किसानों ने  कलेक्ट्रेट पर अनिश्चितकालीन पड़ाव डाला दिया। अपनी मांगों को लेकर सीकर और उसके आस -पास के इलाके के किसान  बड़ी संख्या में कलेक्ट्रेट पहुंचे। किसान अपने साथ प्याज का एक-एक बोरा भी लाए हैं। साथ ही उन्होंने अपने खाने - पिने का इंतजाम भी करके आये है, किसान में पुरुष के साथ साथ महिलाऐ भी बडी संख्या में है | किसान खुद ही खाना पका रहे है किसान पिछले काफी समय से अपनी विभिन्न मांगों को लेकर जर्म और ब्लॉक स्तर पर धरने-प्रदर्शन कर रहे हैं। 

अभी किसान पहुंच रहे है कल देर रात  तक किसान आए | सभी किसानो ने पूरी रात वहीं  बिताई  | इस दौरान अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमरा राम, पूर्व विधायक पेमाराम सहित हजारों किसान मौजूद रहे। इस अंदोलन के लिए जिले भर के किसान रसीदपुरा और भादरा  से पैदल और ट्रेक्टरों से सीकर कलेक्ट्रेट पहुंचे। 

किसानों के इस अंदोलन को भरतीय किसान यूनियन,अखिल भरतीय खेतिहर मज़दूर किसान, महापड़ाव में विधायक हनुमान बेनीवाल सहित आधा दर्जन से ज्यादा संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे |

किसान प्रदर्शन क्यों कर रहे है ?

इससे पहले 2011 और 2015 में सरकार ने प्याज की खरीद की थी तो  किसानों का कहना है कि सरकार अभी इस बार क्यों नहीं खरीद रही है ? एक एकड़  में से 8 हज़ार रूपये लागत आती है | किसानों का कहना है कि सरकार उनके प्याज को 10 रुपए किलो खरीद कर इसे प्रदेशभर की राशन की दुकानों पर आम जनता को बेचे। किसानों ने बताया कि प्याज की खेती में उन्हें सात रुपए तक खर्च आता है। अभी मंडी में प्याज के बहुत कम दाम मिल रहे हैं। किसान 2 - 3   रूपये में अपनी प्याज बेचने को मज़बूर है। इससे किसानों की लागत भी नहीं निकल रही।

नासिक के बाद सीकर चूरू और झुंझुनू का इलाका प्याज के पैदावार के लिहाज से देश का बड़ा इलाका है | इसके लिए 15 साल पहले रशीदपुरा  में प्याज़ मंडी बनाने की घोषणा हुई थी| जो एक साल पहले तैयार हो चूका है, लेकिन उसे चालू नहीं किया गया इसे चालू किया जाए |

कर्जमाफी में हुए घोटाले व बेरोजगारी भत्ता को लेकर राज्य सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ भी किसानो में भारी गुस्सा है |

दूध का भी दाम किसानों को नहीं मिल रहा है.

पिछले साल किसानों  को 25 से 28 रूपये लीटर का दाम  मिलता था लेकिन आज वो 20 रूपये लीटर बेचने को मज़बूर है | जबकि दूसरी तरफ वही दूध क्रीम निकाल कर 50  रूपये की दर से आम लोगो को बेचा जा रहा है किसानो की मांग है की जिस दर पर आम लोगो को दूध बेचा जा रहा है उसका 70 % किसानों  को मिलान चाहिए बाकि % पैकजिंग अदि के लिए खर्च किया जाए। इसी प्रकार के 11 सूत्रीय  मांग पत्र है जिसे लेकर किसान प्रदर्शन कर रहे है |

अखिल भरतीय किसान सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राजस्थान के पूर्व विधायक अमराराम  ने न्यूज़क्लिक  से बात करते हुए कहा कि  केंद्र की सरकार और राज्य  सरकार दोनों ने ही किसानो को धोखा दिया है | यहां तक जिन फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार ने जारी किया है उसे भी नहीं खरीद रही है | मोदी सरकार ने खुद जुलाई को बाजार का समर्थन मूल्य 1900  रूपये घोषणा की थी लेकिन सच्ची यह की किसानो का एक किलो भी बाजार इस रेट पर नहीं खरीदा गया है दोनो  सरकार किसनो के साथ  मज़ाक कर रही है | पिछले 20  में लगत बढ़ी जबकि दामों में लगातर काम हो रहे है | अमराराम ने इस पूरे  हालत को सरकार और पूंजीपतियों की साज़िश करार  देते हुए कहा कि  ये नहीं चाहती है कि  की किसान बचे | इसलिए लगातार किसान को घाटे का सौदा बनाया जा रहा है | जिससे किसान खेती से दूर हो और सरकार इनकी ज़मीन पूंजीपतियों को दे

इन सभी मांगों  को लेकर किसानों ने अपना मांगों  का ज्ञापन  कलेक्ट्रट  सौंपा | जिसके बाद कलेक्ट्र ने भी माना है कि किसानो को उनकी लागत नहीं मिल रही है. इसके साथ कर्जमाफी में भी धांधली हुई है | लेकिन सच यह भी है की इन सभी को  लेकर कोई करवाई नहीं हुई है | इससे गुस्साए किसानों ने अपना आंदोलन और उग्र करने का फैसल किया है | कल यानि शुक्रवार को किसान सरकार के मंत्री और जन प्रतिनधियों  का घेराव करेंगे क्योंकि किसानो का कहना है की हमने इनको अपनी समस्या को उठाने के लिए चुना था, लेकिन यह सभी जितने के बाद हमें भूल गए है |

 

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