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सौभाग्य योजना : सरकारी आंकड़ों ने ही खोली मोदी सरकार के दावों की पोल

जब हम वर्तमान में घरों की संख्या और बिजली वाले घरों का अध्ययन करते हैं तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आते हैं कि देश में 76.4 प्रतिशत घरों में बिजली उपलब्ध है यानी 23.6% घरों में अभी भी बिजली नहीं हैं। इस तरह अभी भी 6 करोड़ 60 लाख घरो में बिजली नहीं है।
सांकेतिक तस्वीर
Image Courtesy: Navodaya Times

केंद्र सरकार ने दावा किया है कि देश के 99.53 प्रतिशत घरों का विद्युतीकरण कर दिया गया है। परन्तु सरकार के इस दावे की पड़ताल करने पर पता चलता है कि देश के 23.6 फ़ीसदी घरों में अभी भी बिजली कनेक्शन नहीं हैं। इसके साथ ही मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान विद्युतिकृत हुए गांवों में से मात्र 8 फ़ीसदी में ही शत-प्रतिशत घरों में बिजली पहुंच पाई है।

परिवारों में बड़ी संख्या में कनेक्शन नहीं

सौभाग्य योजना की वेबसाइट पर बताया गया है कि कुल परिवारों की संख्या 21.32 करोड़ है जिनमें से 99.53 फ़ीसदी को बिजली का कनेक्शन दिया जा चुका है। सौभाग्य योजना के यह आंकड़े राज्यों एवं डिस्कोम के द्वारा उपलब्ध कराये गये आंकड़ों के आधार पर हैं, जिनके आधार पर सरकार का दावा है कि हमने सभी घरों में बिजली पंहुचा दी है। सरकार की तरफ से किया गया दावा तथ्यात्मक गलत है, क्योंकि सरकार ने जिन परिवारों की संख्या के आधार पर अपना दावा किया है वो 2011 की जनगणना में दर्ज परिवारों और वर्तमान में बढ़ोतरी हुए परिवारों की संख्या से काफी कम है।

2011 की जनगणना के अनुसार देश में 24.67 करोड़ परिवार हैं, सौभाग्य योजना के पोर्टल के अनुसार 21.32 करोड़ लोगो के पास वर्तमान में बिजली कनेक्शन है जो कि 2011 की जनगणना के परिवारों की संख्या का 86  प्रतिशत है। जो यह दिखाता है कि सरकार द्वारा परिवारों की संख्या कम दिखाई गयी है।

2011 से अब 2019 आ गया हैं और इन 8 सालों में देश में घरों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। केंद्र सरकार के ही अनुमानित आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में 2793.14 लाख (27.93 करोड़) घर हैं। जब हम वर्तमान में घरों की संख्या और बिजली वाले घरों का अध्ययन करते हैं तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आते हैं कि देश में 76.4 प्रतिशत घरों में बिजली उपलब्ध है यानी  23.6% घरों में अभी भी बिजली नहीं हैं। इस तरह अभी भी 6 करोड़ 60 लाख घरो में बिजली नहीं है।  

सौभाग्य योजना में बताया गया था कि सभी गैर विद्युतिकृत घरों का विद्युतीकरण 31 मार्च 2019 तक कर लिया जायेगा, परन्तु  अभी 6 करोड़ से अधिक घरों का विद्युतीकरण तय समय सीमा में होना नामुमकिन है, बल्कि केंद्र सरकार तो पहले से ही तय करके बैठी है कि उन्होंने शत प्रतिशत गांवों और घरों में बिजली पंहुचा दी है। केंद्र सरकार ने तो यह जहमत भी नहीं उठाई कि राज्य सरकारों और डिस्कॉम कम्पनियों ने जो कुल घरों की संख्या और विद्युतिकृत घरों की संख्या दी है, उसी का मिलान कर लिया जाए कि  वह सही है भी की नहीं। 2011 की जनगणना से आंकड़ों का मिलान करना भी उचित  नहीं समझा।

वाहवाही लूटने के चक्कर में सरकार अपने ही सरकारी आंकड़ों को भी नज़रअंदाज कर दिया। 23 फरवरी 2019 सौभाग्य योजना की वेबसाइट पर दिए आंकड़ो के अनुसार घरों की संख्या से ज्यादा बिजली कनेक्शन दिए हैं जो यह दर्शाता है कि घरों की वास्तविक संख्या योजना में तहत दर्शाये गये घरों की संख्या से कहीं ज्यादा है।

तमिलनाडु, पंजाब, बिहार, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, सिक्किम में विद्युतिकृत हुए घरों की संख्या 70 प्रतिशत से कम है। बीजेपी सरकार के पांच साल पूरे होने को हैं और उनके द्वारा किया गया दावा कि सभी के लिए बिजली खोखला साबित हुआ है।

क्रम स.

राज्य

2011 की जनगणना अनुसार घरों का विद्युतीकरण (आंकड़े प्रतिशत में)

2018 में घरों की अनुमानित संख्या के अनुसार विद्युतीकरण घरों की संख्या (आंकड़े प्रतिशत में)

1

तमिलनाडु

55.6

49.7

2

पंजाब

68.3

61.8

3

बिहार

73.8

61.9

4

हरियाणा

73.5

63.9

5

पश्चिम बंगाल

75.0

67.9

6

कर्नाटक

77.6

69.4

7

सिक्किम

77.2

70.0

8

तेलंगाना'

77.7

71.8

9

मध्यप्रदेश

84.3

73.1

10

उत्तर प्रदेश

87.3

75.7

11

मणिपुर

89.5

78.4

12

गुजरात

93.7

81.7

13

आंध्रप्रदेश

90.8

83.8

14

त्रिपुरा

93.6

84.2

15

छत्तीसगढ़

100.9

86.1

 स्रोत: सौभाग्य योजना डैशबोर्डपीपीएसी दस्तावेज

केंद्र सरकार ने इन वृद्धि हुए घरों की संख्या को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया और गलत आंकड़ों के आधार पर झूठा दावा कर दिया की हमने तो सभी घरों में बिजली पंहुचा दी है, जबकि बड़ी संख्या में परिवार बिजली की पहुंच से दूर हैं।

गांवों में बिजली की पहुँच के अधूरे दावे

केंद्र सरकार ने दावा किया है कि 2011 की जनगणना के मुताबिक बिजली पहुंचने से रह गए गावों का निर्धारित समय सीमा से पहले 28 अप्रैल 2018 तक विद्युतिकृत कर दिया गया है। मोदी सरकार के कार्यकाल में कुल 18374 गावों को गैर विद्युतिकृत चिह्नित किया था, जिनके लिए सरकार का दावा है कि उन्होंने तय तिथि से पहले ही इन गावों में बिजली पंहुचा दी है। सौभाग्य योजना के डैशबोर्ड पर दर्शाया गया है कि 6,18,448 गांवों में बिजली पहुंच गई है और जिसमें मोदी सरकार के कार्यकाल में विद्युतिकृत गाँव 18374 हैं जो कि कुल गांवों की संख्या का करीब 3 फ़ीसदी हैं। अब सवाल है कि इनमें से कितने गांवों में 100% घरों में बिजली है। योजना के ही आंकड़ों के मुताबिक महज 8% को यानी 18374 में से महज 1429 गांवों में 100% घरों में बिजली पहुंची है।

बिजली की पहुंच निश्चित रूप से मानव विकास के विभिन्न पहलुओं पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। इसलिए यह ज़रूरी हो जाता है कि बिजली कनेक्शन से छूटे हुए परिवारों को शीघ्र चिह्नित करते हुए उनको कनेक्शन मुहैया कराये जाए और इसके साथ ही गरीब परिवारों को रियायती दर पर बिजली दी जाए, क्योंकि सस्ते कनेक्शन मात्र से समस्या का हल नहीं होने वाला है। सौभाग्य योजना केवल कनेक्शन देने में मदद करती है जबकि गरीब परिवार प्रतिमाह बिजली का बिल देने में असमर्थ हैं जिसके कारण वह अन्य वैकल्पिक साधनों पर ही निर्भर रह जाते हैं।

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