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सतत विकास के पैरोकारों को अर्थशास्त्र का नोबेल

येल यूनिवर्सिटी के 77 साल के अर्थशास्त्री विलियम डी नोर्दहॉस और स्टर्न स्कूल ऑफ़ बिजनेस के 62 साल के अर्थशास्त्री पॉल रोमर को अर्थशास्त्र की दुनिया में दीर्घकालीन विश्लेषण के लिए नोबेल दिए जाने की घोषणा की गयी है।
अर्थशास्त्र के नोबेल विजेता।
Image Courtesy: ndtv

तकरीबन सभी मानते हैं कि दुनिया के विकास की दिशा अर्थव्यवस्था की चाल-ढाल पर निर्भर करती है। इसलिए अगर दुनिया को सही दिशा में मोड़ना है तो यह जरूरी है कि अर्थव्यवस्था को सही तरह से नियंत्रित किया जाए। साल 2018 में अर्थशास्त्र के क्षेत्र में दिया जाने वाला नोबेल पुरस्कार भी इसी सोच से जुड़ा है।

अर्थशास्त्र में दो लोगों को नोबेल दिए जाने की घोषणा कि गयी है। एक हैं येल यूनिवर्सिटी के 77 साल के अर्थशास्त्री विलियम डी नोर्दहॉस और दूसरे हैं स्टर्न स्कूल ऑफ़ बिजनेस के 62 साल के अर्थशास्त्री पॉल रोमर। इनमें एक का काम जलवायु परिवर्तन से जुड़ा हुआ है और एक का काम टेक्नोलॉजी से जुड़ा हुआ है। ये दोनों ही अमेरिकी अर्थशास्त्री हैं। इन्हें अर्थशास्त्र की दुनिया में दीर्घकालीन विश्लेषण के लिए नोबेल दिए जाने की घोषणा की गयी है।

विलियम को उनके जलवायु परिवर्तन पर किये गए काम  के लिए जाना जाता है। तकरीबन साल 1972 से विलियम ग्रीन एकाउंटिंग पर काम कर रहे हैं। यानी अर्थव्यवस्था की खाता-बही में पर्यावरण को भी शामिल किया जाए। यह समझने की कोशिश की जाए की आर्थिक विकास के साथ पर्यावरण नुकसान कितना हो रहा है। इस समझ तक पहुँचने के लिए पर्यावरणीय नुकसान को मापने के लिए पैमाना बनाना बहुत मुश्किल है। विलियम ने अपने साथी के साथ पहली बार इस नुकसान को मापने के लिए डायनामिक इंटीग्रेटेड क्लाइमेट- इकॉनमी मॉडल पैमाना बनाया। पहली बार यह बताने की कोशिश की कि दुनिया के आर्थिक विकास के साथ होने वाले पर्यावरणीय नुकसान की लागत क्या होती है। विलियम की कोशिशों की वजह से ही पर्यावरण के अंतःसरकारी पैनल में ग्रीन एकाउंटिंग की बात शामिल की गयी। इसके साथ विलियम ने ही सबसे पहली बार पर्यावरण को बचाने के लिहाज से ग्रीन टैक्स की बात कही थी। उस समय इस पुरस्कार की उपयोगिता और अहम हो जाती है, जब विश्व स्तर पर पर्यावरण की अन्तः सरकारी पैनल ने यह रिपोर्ट पेश की हो कि दुनिया का तापमान अगर औद्योगिक काल से पहले के तापमान से डेढ़ डिग्री से अधिक हुआ तो दुनिया के जलवायु के मिजाज पर भयंकर खतरा पैदा होने की पूरी संभवना है। ऐसे समय में विलियम को दिया गया यह पुरस्कार जलवायु परिवर्तन की गंभीरता को प्रतीकात्मक तौर पर दर्शाता है।

पॉल की कहानी भी कुछ ऐसी है। पॉल को अर्थव्यवस्था और इनोवेशन के बीच बनने वाले सम्बन्ध को विश्लेषित करने के लिए इस साल का नोबेल दिया जा रहा है। पॉल कहते हैं कि टेक्नोलॉजी की वजह से लोगों की जिन्दगी में अहम बदलाव आये हैं। टेक्नोलॉजी की वजह से जो कुछ भी हो सकता है, वह हमारे नियंत्रण में हो सकता है, अगर उस ख़ास टेक्नोलॉजी को बढ़ावा दें जिसकी सबको जरूरत है, जिसकी वजह से सभी की जिन्दगी में जरूरी बदलाव आ सकते हैं। इसके लिए सामूहिक तौर पर काम करना जरूरी होगा, सभी के लिए एक जैसा नियम बनाने की जरूरत होगी, सभी तक शिक्षा पहुँचाने की जरूरत होगी। ऐसा करने पर सभी के जीवन में तेजी से बदलाव आएंगे। इसके लिए यह भी जरूरी है कि टेक्नोलॉजी का प्रसार दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने में बिना किसी रोक टोक के होता रहे। उदाहरण के तौर पर यह सोचकर देखिये कि अगर फर्मासुटिकल (दवा क्षेत्र) में होने वाले विकास दुनिया के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में न पहुंचे तो क्या हो। इसलिए यह जरूरी है कि हर देश के नीति निर्माता इस पर भी काम करें कि आखिरकार वह क्या बाधाएं हैं, जिनकी वजह से जरूरी टेक्नोलॉजी एक देश से दूसरे देश में नहीं पहुंचते हैं। इसके साथ पॉल रोमर चार्टर सिटी के विचार के लिए भी जाने जाते हैं। पॉल कहते हैं कि दुनिया में ऐसे आर्थिक क्षेत्र भी होने चाहिए जो पूरी तरह से कानून के नियम से संचालित हो और जिन कानूनों का निर्माण सभी के हित को ध्यान में रखकर किया जाए। जैसे बिजली की जरूरत सबको है तो ऐसा कानून बनें जिससे बिजली सबको मिल पाए।

इस तरह से कहा जा सकता है कि इस साल का अर्थशास्त्र का नोबेल उन्हें दिया गया है जो आर्थिक विकास के बजाय सतत विकास पर काम कर रहे हैं। जिनकी मान्यताओं में अर्थशास्त्र तो है लेकिन ऐसा अर्थशास्त्र नहीं है जो केवल कुछ लोगों के लिए हो बल्कि ऐसा अर्थशास्त्र है जिसमें अभी से लेकर आने वाले मानवीय पीढ़ियों तक सभी की जरूरतें पूरी होती रहे।

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