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कोरोना वायरस के उद्भव से जुड़ी अफवाहों की वैज्ञानिकों ने की निंदा

चीन से बाहर के वैज्ञानिक भी SARS-CoV-2 का गहन अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने माना है कि कोरोनावायरस का उद्भव जंगल में हुआ है। यह स्टेटमेंट लांसेट में प्रकाशित हुआ है।
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Image courtesy : National Institute of Allergy and Infectious Diseases

19 फरवरी को लांसेट में चीन से बाहर के स्वास्थ्य वैज्ञानिकों का एक साझा स्टेटमेंट छपा। इन वैज्ञानिकों की चिंता कोरोना वायरस पर सोशल मीडिया में चल रही अफवाहों, गलत जानकारी और षड्यंत्र अवधारणाओं (Conspiracy Theories)  को लेकर है। स्टेटमेंट के मुताबिक़,''षड्यंत्र अवधारणाओं से जु़ड़ी बातें महज़ डर, अफवाह और पूर्वाग्रह फैलाती हैं। यह चीजें इस ख़तरनाक वायरस से हमारी वैश्विक लड़ाई को कमजोर करता है।''

जानलेवा वायरस COVID-19 जबसे फैला है, तबसे इसे लेकर तमाम तरह की कहानियां फैलाई जा रही हैं। ख़ासकर पश्चिमी मीडिया एक कहानी को आगे बढ़ा रहा है। कहानी के मुताबिक़, इस बीमारी का उद्भव वुहान स्थित एक वायरोलॉजी की लेबोरेटरी से हुआ है। बता दें वुहान ही इस बीमारी का केंद्र है। वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की एक लेबोरेटरी में चमगादड़ों से फैलने वाले कोरोनावायरस पर शोध चल रहा है। इसमें SARS-CoV-2 पर भी शोध जारी है, जिससे COVID-19 फैला है।

लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि इस वायरस को चीन ने बॉयो-एनजीनियरिंग के ज़रिए बनाया था और अब चीन यह मंसूबा छोड़ चुका है। कहा जा रहा है कि चमगादड़ के साथ काम करते हुए एक कर्मचारी संक्रमण का शिकार हुआ था, जिसके बाद यह वायरस लेबोरेटरी बाहर तक फैल गया। इस कहानी को वायरस के उद्भव के बारे में फैलाया जा रहा है। लेकिन लेबोरेटरी ने इन बातों का खंडन करते हुए कहा कि उनका और वायरस के फैलाव का आपस में कोई संबंध नहीं है।

लांसेट के स्टेटमेंट में कहा गया, ''हम उन षड्यंत्र अवधारणाओं की निंदा करते हैं, जिनमें कहा जा रहा है कि COVID-19 का संक्रमण की वज़ह प्राकृतिक नहीं हैं।'' स्टेटमेंट में चीनी स्वास्थ्य पेशेवरों की तारीफ भी की गई, जो इस संक्रमण से जूझ रहे हैं।लांसेट स्टेटमेंट में यह भी बताया गया कि चीन से बाहर के वैज्ञानिक भी SARS-CoV-2 का गहन अध्ययन कर रहे हैं और उन्होंने माना है कि कोरोनावायरस का उद्भव जंगल में हुआ। इसकी वही प्रक्रिया है, जो हाल ही में सामने आए दूसरे मानवीय वायरसों के फैलाव में हुई।

''डिसीज़ इकोलॉजिस्ट'' और लांसेट स्टेटमेंट पर हस्ताक्षर करने वाले पीटर डासजैक कहते हैं, ''हम सोशल मीडया द्वारा गलत जानकारी फैलाने वाले युग में हैं। अफवाहों और षड्यंत्र अवधारणाओं का वाकई बुरा असर पड़ता है। चीन के हमारे साथी कर्मचारियों को हिंसा की धमकियां मिल रही हैं। हमारे पास अब दो विकल्प हैं। या तो हम अपने साथियों के साथ खड़े हों, जिन्हें षड्यंत्र अवधारणाएं फैलाने वाले रोज निशाना बना रहे हैं। या फिर हम इस मामले पर आंखें बंद कर लें। मैं गर्व महसूस करता हूं कि 9 देशों के लोग उनका लगातार बचाव कर रहे हैं और उनके साथ खड़े हैं। आखिर हम संक्रमण के दौर में भयावह स्थितियों का सामना कर रहे हैं।''

इन षड्यंत्रकारी अवधारणाओं को अमेरिकी सीनेटर टॉम कॉटन ने और हवा दी है। उन्होंने फॉक्स न्यूज़ पर कहा, ''हमारे पास इस बीमारी के उद्भव से संबंधित सबूत नहीं हैं। लेकिन शुरूआत से ही चीन की बेईमानी और दोगलेपन को देखते हुए हम यह तो पूछ ही सकते हैं कि आखिर सबूत कहते क्या हैं।''

 कॉटन ने बताया कि चीन ने अमेरिकी वैज्ञानिक भेजने संबंधी अमेरिका के प्रस्ताव को भी ख़ारिज कर दिया। इन वैज्ञानिकों को वायरस के उद्भव के बारे में स्थिति साफ करने के लिए भेजे जाने का प्रस्ताव था।

पूरी दुनिया का वैज्ञानिक समुदाय वायरस के उद्भव और मानव शरीर में इसकी पहुंच से जुड़े तथ्य खोजने में जी-जान से लगा हुआ है। ताकि इसके लिए जरूरी दवाएं और वैक्सीन बनाया जा सके। लेकिन षड्यंत्र अवधारणाएं और अफवाहें, इन वैश्विक प्रयासों को महज़ नुकसान ही पहुंचाएंगी। इन अफवाहों और षड्यंत्र संबंधी अवधारणाओं से केवल कुछ ही लोगों के हितों की पूर्ति हो सकती है।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Scientists Condemn Rumours About Origin of Coronavirus in China

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