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मैं शूद्र हूं, इसलिए मेरी सुपारी दे दी, भागवत के बारे में कुछ बोलकर दिखाएं- स्वामी प्रसाद मौर्य

"संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान, कि जाति भगवान ने नहीं पंडितों ने बनाई है, से सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य गदगद हो उठे हैं। उन्हें भागवत के बयान से जैसे मुंहमांगी मुराद मिल गई हो। इसलिए तुरंत उन्होंने एक बार फिर विरोधियों को ललकारते हुए कहा कि, मैं शूद्र हूं इसलिए कुछ संतों-धर्माचार्यों ने उनका सिर, जुबान, नाक-कान, हाथ काटने की सुपारी दे दी है। अगर उनमें हिम्मत है तो वो संघ प्रमुख के बारे में भी ऐसा कुछ करके दिखाएं।"
 Swami Prasad Maurya

सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने सोमवार को संघ प्रमुख मोहन भागवत के जाति व्यवस्था को लेकर दिए बयान पर प्रेस कांफ्रेंस की। कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान से साफ हो गया है कि हिंदू धर्म में सालों से गोरखधंधा चला आ रहा है। अब उसके अंत का समय आ गया हैं। भारत के कई संतों व शुभचिंतकों ने जाति व्यवस्था का विरोध कर समानता की बात कही हैं। इतिहास में कई बार जात-पात, छूआछूत के खिलाफ अभियान चलाए गए। ताकि लोगों की जिंदगी आसान बन सकें। अगर हिंदू धर्म के लोग चाहते है कि उनका धर्म सुरक्षित व संरक्षित रहे तो बुराइयों को दूर करने के लिए संत धर्माचार्य स्वयं आगे आए।

मौर्य ने रामचरितमानस का नाम लिए बगैर कहा कि अगर देश के किसी पाठ्य पुस्तक, किसी साहित्य में जाति सूचक शब्द का प्रयोग कर समाज के 97 प्रतिशत लोगों को नीच कहा गया हो, महिलाओं को नीच में भी नीच बताया गया हो, ऐसे शब्दों को तुरंत उस पुस्तक से बाहर कर देना चाहिए। जिससे कि आगे कभी भी किसी प्रकार का विवाद न हो। हमारे देश का संविधान किसी के साथ भेदभाव की इजाजत नहीं देता हैं।

मैं शूद्र हूं, इसलिए मेरी सुपारी दी गई

पत्रकारों ने जब उनसे उन्हें जान से मारने की धमकी देने वालों पर बयानों पर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि हमारी आपत्ति के हिसाब से उस विवादित अंश को निकालने के बजाय समाज के कुछ संत मेरा सर काटने की बात करने लगे। मैं दलित व पिछड़ी जाति का यानी शूद्र हूं। इसलिए मेरा सिर काटने की बात कही गई है। क्या संघ प्रमुख के बयान के बाद ये लोग उनका भी सर, नाक, कान व जीभ काटने की बात कहेंगे। मेरे बयान के बाद धर्म की बात करने वालों की चूलें हिल गई है। ऐसे लोगों को लग गया है कि एक बड़ी आबादी कहीं और ना चली जाए।

PM मोदी के पार्टी वाले उन्हें नीच कहते हैं

स्वामी प्रसाद मौर्य ने BJP पर भी निशाना साधते हुए कहा कि PM मोदी जो खुद पिछड़े समाज से आते है। वह भी सार्वजनिक तौर पर कह चुके है कि पार्टी के भीतर उन्हें नीच कहा जाता है। जब ऐसी शख्सियत को नीच कहा जाता है तो सोचिए बाकी दबे कुचले लोगों का क्या हाल होता होगा। अब भागवत जी, मोदी जी और तोगड़िया जी इस मामले पर बैठकर जातिगत टिप्पणी को निकालने का विचार करें।

मेरी हत्या की सुपारी देने वाले पर एफआईआर क्यों नहीं

प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जब पत्रकारों ने स्वामी प्रसाद मौर्य से रामचरितमानस की प्रतियां जलाने वाले लोगों के खिलाफ एनएसए लगाने पर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि रोज रोज मेरी हत्या करने के फरमान जारी हो रहे है। उस पर तो कोई मुकदमा दर्ज नहीं होता है। अगर सीएम योगी एफआईआर के इतने ही शौकीन है तो ऐसे लोगों के खिलाफ केस क्यों नहीं दर्ज कराते हैं। मैं पिछड़े समाज का हूं इसलिए मेरा समर्थन करने पर लोगों के साथ ऐसा किया जा रहा है।

क्या कहा स्वामी प्रसाद मौर्य ने?

मोहन भागवत के बयान के बाद सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक के बाद एक दो ट्वीट किए और लोगों व संतो को खुद इस बुराई के खिलाफ आगे आने की अपील की।

स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, 'जाति व्यवस्था पंडितों (ब्राह्मणों) ने बनाई है। यह कहकर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने धर्म की आड़ में महिलाओं, आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों को गाली देने वाले तथाकथित धर्म के ठेकेदारों और ढोंगियों की कलई खोल दी है। कम से कम अब तो रामचरित मानस से आपत्तिजनक टिप्पणी हटाने के लिए ऐसे लोगों को खुद आगे आना चाहिए।'

अपने दूसरे ट्वीट में सपा नेता ने परोक्ष तौर से भागवत को निशाने पर लेते हुए कहा है कि, 'यदि यह बयान उनका मजबूरी का नहीं है तो साहस दिखाते हुए केंद्र सरकार को कहकर, रामचरितमानस से जातिसूचक शब्दों का प्रयोग कर नीच, अधम कहने तथा महिलाओं, आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों को प्रताड़ित, अपमानित करने वाली टिप्पणियों को हटवाएं। मात्र बयान देकर लीपापोती करने से बात बनने वाली नहीं है।'

क्या बोला आरएसएस चीफ ने?

रविवार को मुंबई में संत रविदास जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए मोहन भागवत ने कहा था कि, 'जाति भगवान ने नहीं बनाई है। भगवान ने हमेशा बोला है कि मेरे लिए सभी एक हैं। कोई जाति, कोई वर्ण नहीं है। श्रेणी पंडितों ने बनाई, जो गलत है। देश में चेतना और विवेक सब एक हैं। उनमें कोई अंतर नहीं, बस मत अलग-अलग हैं। जब हर काम समाज के लिए है, तो फिर कोई ऊंच-नीच कैसे हो गया।'

उन्होंने कहा, 'भागवत ने कहा कि हमारे समाज को बांटकर लोगों ने हमेशा से फायदा उठाया है। सालों पहले देश में आक्रमण हुए, फिर बाहर से आए लोगों ने हमें बांटकर फायदा उठाया। नहीं तो हमारी ओर नजर उठाकर देखने की भी किसी में हिम्मत नहीं थी। इसके लिए कोई जिम्मेदार नहीं। जब समाज में अपनापन खत्म होता है तो स्वार्थ अपने आप बड़ा हो जाता है।'

पंडित का मतलब जाति या विद्वान?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत द्वारा जातिवाद पर दिए बयान के बाद मामले को लेकर कई तरह की चर्चाएं होने लगीं। दरअसल, मीडिया में पहले खबर आई कि मोहन भागवत ने जातिवाद पर कहा कि जाति भगवान ने नहीं, पंडितों ने बनाई है। भगवान के लिए सभी लोग एक समान है। उनमें कोई जाति या वर्ण नहीं है लेकिन पंडितों ने अलग-अलग श्रेणी बनाई जो कि गलत था। कुछ देर बाद ही इस बयान को गलत बताते हुए कहा गया कि पंडित का मतलब किसी जाति से नहीं बल्कि विद्वानों से है। कुछ भी हो, तीर कमान से छूट गया जिसे लेकर कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णन ने भी तंज कसा है। आचार्य प्रमोद ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर तंज कसते हुए लिखा,”पंडितों को गाली देने की प्रतियोगिता में “भागवत” सबसे आगे निकल गये।”

 

साभार : सबरंग 

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