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यूपी: बीजेपी विधायक और बेटे पर शोषण-उत्पीड़न के गंभीर आरोप, क्या पीड़िता को मिलेगा न्याय?

पीड़िता ने इस मामले में शारीरिक शोषण, दुराचार, गर्भपात, मारपीट, जान से मारने की धमकी का केस दर्ज कराया है। हालांकि ये विडंबना ही है कि जिस पर लोग भरोसा कर के वोट देते हैं, एक बेहतर समाज के निर्माण के लिए, वही उसे खोखला करने में सबसे आगे हैं।
chotte lal verma
फ़ोटो साभार: सोशल मीडिया

महिला अपराध को लेकर भारतीय जनता पार्टी के एक और विधायक फिलहाल सुर्खियों में हैं। आगरा के फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी विधायक छोटेलाल वर्मा और उनके बेटे लक्ष्मीकांत वर्मा के खिलाफ एक महिला ने शारीरिक शोषणदुराचारगर्भपातमारपीटजान से मारने की धमकी का केस दर्ज कराया है। खबरों के मुताबिकखुद को लक्ष्मीकांत की 'पहली पत्नीबताने वाली महिला ने लक्ष्मीकांत पर पहली पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी करने और उसे जहर खिलाने का भी आरोप लगाया है। वहीं बीजेपी विधायक छोटे लाल वर्मा पर बेटे का साथ देने का आरोप लगाया गया है। महिला ने आगरा के ताजगंज थाने में छोटे लाल वर्मा और लक्ष्मीकांत वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।

बता दें कि छोटेलाल वर्मा पिछले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी में शामिल हुए थे। इससे पहले वो फतेहाबाद से ही बसपा के टिकट पर भी विधायक का चुनाव जीत चुके हैं। हालांकि उनके सियासी सफर की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी से ही हुई थी। बाद में वो बसपा में चले गए। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले सियासी माहौल बदलता देख फिर बीजेपी में आ गए और 2022 में इस सीट पर दोबारा काबिज़ हो गए।

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस मामले में पीड़ित महिला खुद को लक्ष्मीकांत की पहली पत्नी बता रही हैजबकि आरोपी लक्ष्मीकांत उसे दूसरी पत्नी बता रहा है। पीड़िता का कहना है कि 17 साल की उम्र में उसकी छोटेलाल वर्मा की बेटी से दोस्ती थी। वो उससे मिलने विधायक के घर जाती थी। छोटेलाल की बेटी ने ही उसका परिचय अपने भाई लक्ष्मीकांत से कराया था। पीड़िता का आरोप है कि साल 2003 में लक्ष्मीकांत ने उसे अपने घर पर बुलाया था। उसके बाद उन्होंने कथित रूप से कोल्ड ड्रिंक में नशीला पदार्थ देकर महिला को बेहोश कर दिया और फिर उसका रेप किया।

महिला का कहना है कि लक्ष्मीकांत ने दुष्कर्म का वीडियो भी बनाया और उसको लंबे समय तक शादी का झांसा देकर 'ब्लैकमेल' करते रहा। वहीं बीजेपी विधायक छोटे लाल वर्मा पर पीड़िता का आरोप है कि इस पूरे कृत्य में उन्होंने अपने बेटे का साथ दिया। महिला ने लक्ष्मीकांत पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उसके मुताबिक लक्ष्मीकांत ने उसे कई बार मारा-पीटा और जबरन गर्भपात कराया। पीड़िता ने ये भी कहा है कि लक्ष्मीकांत ने उससे मंदिर में सात फेरे लेकर शादी की थी। लेकिन साल 2006 में उन्होंने दूसरी महिला से शादी कर ली।

पीड़िता के गंभीर आरोप

हिंदुस्तान की खबर के अनुसार लक्ष्मीकांत के दूसरी शादी करने के बारे में जब उसे पता चला तो परेशान हो गई। अपने परिजनों को बताया कि उसकी लक्ष्मीकांत से शादी हुई थी। इस जानकारी के बाद माता-पिता ने उसका साथ छोड़ दिया। उसने लक्ष्मीकांत और उसके पिता छोटेलाल से बात की। लक्ष्मीकांत ने उसे अपने एक दोस्त के घर में रख दिया। वर्ष 2011 में उसने एक बेटी को जन्म दिया। लक्ष्मीकांत को बेटा चाहिए था। आरोप है कि इस कारण उसने कई बार उसे गर्भधारण कराया। कोख में बेटी होने पर गर्भपात कराया। महिला के मुताबिक दूसरी शादी के बाद लक्ष्मीकांत पहली पत्नी का उत्पीड़न करने लगा। वो बंदूक दिखाकर उसे और उसके बच्चों को जान से मारने की धमकी देता था। ये भी आरोप है कि लक्ष्मीकांत ने महिला से जबरन तलाक के पेपर पर साइन करा लिए थे।

पीड़िता ने मुकदमे में और भी कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उसका आरोप है कि लक्ष्मीकांत उसके दोनों बच्चों को मारना चाहता है। उसे लगता है कि वह संपत्ति में हिस्सा मांग सकती है। लक्ष्मीकांत और उसके पिता उसके खिलाफ कई साजिश रच चुके हैं। एक स्कूल में प्रबंधक बनाया। बाद में वहां से भी हटवा दिया। फ्लैट लेकर दिया। बाद में खर्चा तक देना बंद कर दिया। वह पिछले कई दिनों से अपने उत्पीड़न की दास्तां लेकर पुलिस के पास पहुंची मगर सुनवाई नहीं हुई। आखिर में उसकी तहरीर पर मुकदमा दर्ज हुआ है।

विधायक के बेटे ने दिया मामले को दूसरा एंगल

वहीं एबीपी गंगा से बात करते हुए बीजेपी विधायक के बेटे लक्ष्मीकांत ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि पीड़िता से हिंदू रीति रिवाज के तहत विधि विधान से साल 2009 में शादी हुई है और उनके दो बच्चे भी हैं। लक्ष्मीकांत के मुताबिक 2005 में उसकी पहली शादी हुई थी, जबकि पीड़िता से उसकी दूसरी शादी साल 2009 में हुई है।

लक्ष्मीकांत ने आगे कहा, "पीड़िता जो भी आरोप लगा रही है वह पूरी तरह बेबुनियाद है। मैंने उसे आने जाने के लिए गाड़ी दे रखी है, वहीं रहने के लिए 3 बीएचके फ्लैट भी खरीदकर दे रखा है और मैं 35 हजार रुपये महीना मासिक खर्चा भी दे रहा हूं। लेकिन वो मेरे पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी चाहती है जो मैं नहीं दे सकता। इसलिए वो मेरे से नाराज होकर इस पूरे मुद्दे को गलत तरीके से तूल दे रही है।"

उधर, पीड़िता की शिकायत पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। ताजगंज थाना में आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार), 313 (गर्भपात कराना), 323 (मारपीट), 504 (गाली-गलौज), 506 (जान से मारने की धमकी देना), 494 (पत्नी के रहते दूसरी शादी) और 328 (जहर या नशीला पदार्थ खिलाना) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जांच में दोषी पाए जाने पर आरोपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

विधायक का क्या कहना है?

विधायक छोटेलाल वर्मा ने मीडिया को बताया कि सभी आरोप निराधार हैं। उन्होंने कहा, "मेरा उस महिला से कोई वास्ता नहीं है। मैंने अपने बेटे से भी संपर्क रखना बंद कर दिया था। जीवन में कभी भी उसके घर नहीं गया। वह भी मेरे घर नहीं आई। कभी फोन पर भी बात नहीं हुई। सब पैसे के लिए हो रहा है। मामले की जांच होगी तब दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।"

महिला सम्मान और महिला उत्पीड़न के बीच झूलते बीजेपी नेता

बता दें कि हाल के दिनों में बीजेपी नेताओं के खिलाफ एक के बाद एक महिला शोषण और उत्पीड़न के मामले दर्ज होते देखने को मिले हैं। अभी हाल ही में बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट ने एक पुराने मामले में पुलिस को दुष्कर्म समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज करने का आदेश दिया था। जिस पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। लेकिन इससे पहले महज़ महीने भर के भीतर ही गुजरात के कैबिनेट मंत्री अर्जुन सिंह चौहान पर रेप का आरोप उन्हीं की पार्टी बीजेपी के एक पूर्व सरपंच ने लगाया था।

वहीं दूसरा मामला महाराष्ट्र से संज्ञान में आया था। जहां बीजेपी नेता श्रीकांत देशमुख के खिलाफ एक महिला ने बलात्कार का आरोप लगाया था। कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर महिला के साथ बीजेपी नेता का एक वीडियो वायरल होने के बाद श्रीकांत देशमुख को पार्टी के सोलापुर जिलाध्यक्ष का पद छोड़ना पड़ा था। इससे पहले अरुणाचल प्रदेश के बीजेपी विधायक लोकम तसर पर भी बलात्कार का आरोप लगा था। फिलहाल तसर इस मामले में अंतरिम अग्रिम जमानत पर हैं।

महिला हितैषी होने के दावे और महिला नेताओं की चुप्पी

गौरतलब है कि आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में महिलाओं के अपमान को लेकर पीड़ा जाहिर की थी। हालांकि इसे महज़ संयोग कहें या विडंबना कि उन्हीं की पार्टी बीजेपी के नेताओं पर एक के बाद एक महिलाओं के शोषण-उत्पीड़न के जुड़े कई मामले सामने आ रहे हैजो पार्टी के महिला हितैषी होने के दावे को कठघरे में खड़ा करते हैं। और इन सब मामलों में बीजेपी महिला नेताओं की चुप्पी ज़्यादा दुखद लगती है।

वैसे ये कोई पहला मामला नहीं है जब बीजेपी के मंत्री या विधायक पर ऐसा कोई आरोप लगा हो। इससे पहले भी कई मंत्री और विधायक इन आरोपों से घिर चुके हैं। पूर्व केंद्रीय एम जे अकबर और प्रिया रमानी के मामले को भला कौन भूल सकता है। मीटू के तहत लगे यौन उत्पीड़न के आरोप में चौतरफा घिरे अकबर को मजबूरन अपना मंत्री पद तक छोड़ना पड़ा था। एमजे अकबर के अलावा पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री रह चुके स्वामी चिन्मयानंद पर भी रेप के आरोप लग चुके हैं।

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर तो आरोप साबित तक हो चुके हैं। सेंगर के अलावा हरिद्वार की ज्वालापुर सीट से बीजेपी विधायक सुरेश राठौर पर भी रेप का आरोप बीजेपी की ही एक महिला नेता ने लगाया था। साल 2020 में यूपी के ही जिला भदोही से बीजेपी विधायक रवीन्द्रनाथ त्रिपाठी समेत उनके परिवार के छह लोगों पर एक महिला ने कई महीनों तक रेप करने का आरोप लगाया था। इसके अलावा मध्यप्रदेश के पन्ना जिले से बीजेपी नेता सतीश मिश्रा पर अपनी ही 17 साल की नाबालिग बेटी से रेप करने का आरोप लगा था। सतीश मिश्रा आरएसएस के प्रमुख प्रदेश कार्यकर्ता भी हैं।

राजनीति और महिलाओं का शोषण

बहरहाल, दूसरे दलों के कई नेताओं ने भी बीते सालों में महिलाओं के प्रति बेहूदा बयानबाज़ी की है, कईयों पर गंभीर मामले भी दर्ज हैं तो कुछ सजा भी पा चुके हैं। लेकिन ये सब एक ही पितृसत्तात्मक और मनुवादी सोच के शिकार हैं, जिसका झंडा आगे लेकर चलने का आरोप बीजेपी पर लगता रहा है। बहुत बीजेपी नेता और संघ कार्यकर्ता तो सीधे तौर पर मनुवादी सोच पर गर्व करते देखे गए हैं। राजनेता अक्सर अपने बयानों से कभी महिलाओं की बॉडी शेमिंग करते नज़र आते हैं तो कभी बलात्कार जैसे गंभीर अपराध को मामूली बताने या पीड़ित को प्रताड़ित करने की कोशिश करते दिखते हैं। जिस तरह बार-बार राजनीति से महिला विरोधी बयान अब सामान्य बात हो गई है, उसी तरह नेताओं और मंत्रियों पर रेप और उत्पीड़न के आरोप भी अब सामान्य होते जा रहे हैं। हालांकि ये बेहद शर्मिंदगी की बात है कि जिस पर लोग भरोसा कर के वोट देते हैं, एक बेहतर समाज के निर्माण के लिए, वही उसे खोखला करने में सबसे आगे हैं।

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