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यूपी: क्या ‘रामराज’ में कानून व्यवस्था ‘भगवान भरोसे’ है?

कभी समाजवादी पार्टी को कानून व्यवस्था के नाम पर घेरने वाली बीजेपी, अब सत्ता में आने के बाद खुद जिस मुद्दे पर सबसे ज़्यादा नाकाम रहने का आरोप झेल रही है, वो भी कानून व्यवस्था ही है। बदहाल कानून व्यवस्था को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है तो वहीं प्रशासन तुलनात्मक आंकड़े साधने-संभालने में जुटा है।
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''यूपी में न्यूनतम अपराध हैं, सामान्यतः उत्तर प्रदेश में अपराध तीन वर्षों में न्यूनतम हैं। लॉ एंड ऑर्डर बेहतर स्थिति में है और आगे भी बेहतर स्थिति में रहेगा।''

ये दावा सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का है। ये संयोग ही है कि जिस पाँच अगस्त के दिन अयोध्या में राम मंदिर शिलान्यास पर एक साक्षात्कार के दौरान योगी आदित्यनाथ ने ये बातें कहीं, उसी दिन प्रदेश के पश्चिमी इलाक़े में एक आठ साल की बच्ची की रेप की कोशिश की गई और जब बच्ची शोर मचाने लगी तो उसकी हत्या कर दी गई।

उत्तर प्रदेश में लगातार दर्ज हो रही आपराधिक घटनाओं के चलते प्रदेश की कानून व्यवस्था एक बार फिर सुर्खियों में है। कभी समाजवादी पार्टी को कानून व्यवस्था के नाम पर घेरने वाली बीजेपी, अब सत्ता में आने के बाद खुद जिस मुद्दे पर सबसे ज़्यादा नाकाम रहने का आरोप झेल रही है, वो भी कानून व्यवस्था ही है। बदहाल कानून व्यवस्था को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है तो वहीं प्रशासन तुलनात्मक आंकड़े साधने-संभालने में जुटा है।

बता दें कि मंगलवार, 25 अगस्त को उत्तर प्रदेश से दुष्कर्म और हत्या के दो बड़े मामले सामने आए, जिसने योगी सरकार के बहतर कानून व्यवस्था और रामराज के दावों पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए।

पहले, लखीमपुर खीरी में एक 17 साल की लड़की के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना सामने आई है। मीडिया खबरों के मुताबिक लड़की धवरपुर गांव की रहने वाली थी और इंटरमीडिएट में एडमिशन के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरने पास के कस्बे के साइबर कैफे गई थी, जिसके बाद वापस नहीं आई। घर वाले सारी रात उसे ढूंढते रहे, लेकिन लड़की नहीं मिली। मंगलवार सुबह उसका कटा हुआ शव गांव से करीब 200 मीटर दूर एक सूखे तालाब के पास पड़ा मिला।

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इस मामले में पहले पुलिस ने लड़की की धारदार हथियार से हत्या की बात कही थी, लेकिन बाद में आई पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि की बात भी सामने आई। जिले में ये 10 दिन के भीतर दूसरी वारदात है। इससे पहले 15 अगस्त को एक 13 साल की लड़की की रेप के बाद हत्या कर दी गई थी। उसका शव गन्ने के खेत में मिला था। इस मामले में उसके गांव के दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। लड़की के पिता ने आरोप लगाया था कि उसका गला काटा गया था। उसकी आंखें छिल गई थीं और उसकी जीभ कटी हुई थी। पुलिस ने इन आरोपों से इंकार किया था।

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दूसरा मामला बलिया जिले में एक निज़ी चैनल के पत्रकार की हत्या से जुड़ा हुआ है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पत्रकार रतन सिंह को बदमाशों ने गांव के प्रधान के घर बुलाकर लाठी-डंडों से जमकर पीटा और फिर गोली मार दी। पूरा मामला ज़मीनी विवाद को लेकर बताया जा रहा है। पुलिस ने नामजद 10 आरोपियों में से 6 को पकड़ लिया है, तो वहीं इलाके के थाना इंचार्ज को भी सस्‍पेंड कर दिया गया है। बीते तीन महीनों में ये प्रदेश में तीसरे पत्रकार की हत्या है।

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दलितों के ख़िलाफ़ बढ़ते अपराध

दलितों के खिलाफ भी यूपी में अपराध तेज़ी से बढ़े हैं। इसी स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आजमगढ़ के बांसा गांव के दलित सरपंच सत्यमेव जयते की बेरहमी से गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इससे पहले भी राज्य में दलितों पर अत्याचार के कई गंभीर मामले सामने आए हैं।

एनसीआरबी के आंकड़ों को देखें तो उत्तर प्रदेश में दलितों के खिलाफ अपराधों में, बलात्कार, हत्या, हिंसा और भूमी से संबंधित मुद्दों को लेकर उत्तर प्रदेश का नाम शीर्ष राज्यों में रहता है। एनसीआरबी के अनुसार, यूपी में दलितों के खिलाफ अपराधों में वर्ष 2014 से 2018 तक 47 प्रतिशत की भारी बढ़ोत्तरी हुई है। इसके बाद गुजरात और हरियाणा हैं, जहां क्रमश: 26 और 15 फीसदी अपराध बढ़े हैं।

रामराज में नहीं हैं सुरक्षित महिलाएं

महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता बताने वाली बीजेपी की योगी सरकार में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों का ग्राफ तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। बीते दिनों एक के बाद एक बलात्कार और हत्या की घटनाओं ने रामराज पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

अगस्त की कुछ प्रमुख घटनाएं

- 17 अगस्त को गोरखपुर के गोला बाजार से एक नाबालिग के अपहरण और बलात्कार का मामला सामने आया था। परिवार वालों का आरोप है कि बच्ची को सिगरेट से दागा गया है, जिससे पुलिस ने इंकार किया था।

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- लखीमपुर खीरी में 16 अगस्त को 13 साल की एक दलित लड़की का गैंगरेप हुआ और उसकी लाश गन्ने के खेत में मिली है।

- अमेरीका के बाबसन कॉलेज की स्कालर सुदीक्षा भाटी की 10 अगस्त को एक सड़क हादसे में मौत हो गई। पुलिस इसे महज दुर्घटना करार दे रही है लेकिन सुदीक्षा के परिवार का आरोप है कि मोटरसाइकिल सवार दो व्यक्ति भाटी का पीछा कर उसे परेशान कर रहे थे जिसके कारण दुर्घटना हुई।

6 अगस्त को यूपी के हापुड़ में 6 साल की एक बच्ची को उसके घर के सामने से अगवा कर उसके साथ बलात्कार किया गया। खून से लथपथ वो झाड़ियों में फ़ेंक दी गई।

- बुलंदशहर ज़िले के खुर्जा में 5 अगस्त को एक 8 साल की  बच्ची के साथ बलात्कार की कोशिश की गई और जब उसने शोर मचाया तो उसका गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी गई। उसका शव भी गन्ने के खेत से मिला।

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नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी की इस साल जनवरी में आई सालाना रिपोर्ट कहती है कि महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। देश में महिलाओं के ख़िलाफ़ 2018 में कुल 378,277 मामले हुए और अकेले यूपी में 59,445 मामले दर्ज किए गए। यानी देश के कुल महिलाओं के साथ किए गए अपराध का लगभग 15.8%.

इसके अलावा प्रदेश में कुल रेप के 4,322 केस हुए। यानी हर दिन 11 से 12 रेप केस दर्ज हुए। ध्यान देने वाली बात ये है कि ये उन अपराधों पर तैयार की गई रिपोर्ट है जो थानों में दर्ज होते हैं। इन रिपोर्ट से कई ऐसे केस रह जाते हैं जिनकी थाने में कभी शिकायत ही दर्ज नहीं हो सकी। एनसीआरबी देश के गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है।

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 सरकार और विपक्ष आमने-सामने

उत्तर प्रदेश में अपराधों को लेकर विपक्ष के निशाने पर आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि कानून व्यवस्था के लिए विपक्ष कहीं ज्यादा खतरनाक है। उन्होंने विधानसभा में आंकड़े पेश करते हुए यह भी कहा कि राज्य में हालात पहले से कहीं ज्यादा बेहतर हैं।

बीजेपी विधायक ही अपनी ही सरकार से नाख़ुश

हालांकि विपक्ष सरकार के इन दावों से इत्तेफाक नहीं रखता। खुद बीजेपी के ही कुछ विधायक राज्य में कानून व्यवस्था को सरकार से संतुष्ट नहीं नज़र आ रहे हैं। कई भाजपा नेता सोशल मीडिया पर कानून व्यवस्था को लेकर अपनी नाखुशी भी जाहिर कर रहे हैं।

अलीगढ़ के गोंडा थाने में इगलास सीट से भाजपा विधायक राजकुमार सहयोगी के साथ मारपीट के बाद गोपामऊ से विधायक श्याम प्रकाश ने सोशल मीडिया पर पुलिस के खिलाफ रोष जाहिर करते हुए लिखा, 'लगता है कि अब अपराधियों के साथ विधायकों को भी यूपी छोड़ना पड़ेगा। डेढ़ साल ही बचा है, नेक सलाह के लिए शुक्रिया। अभी तक था ठोंक देंगे, अब आया तोड़ देंगे।'

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गोरखपुर से भाजपा विधायक डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल ने बीते दिनों ट्वीट कर अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी व डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी पर ही सवाल खड़े किए थे। उन्होंने अपने एक ट्वीट में कहा था, 'पुलिस का इकबाल खत्म होता जा रहा है। अपर मुख्य सचिव गृह व डीजीपी अपने दायित्व के निर्वहन में पूरी तरह से असफल सिद्ध हुए हैं।' इतना ही नहीं, उन्होंने ट्वीट में सरकार को अपनी छवि बचाने के लिए दोनों अफसरों को पद से हटाने की नसीहत तक दे डाली थी। हालांकि बाद में ट्वीट को डिलीट कर दिया था।

सपा, बसपा, कांग्रेस तीनों सरकार पर हमलावर

उत्तर प्रदेश में लगातार बढ़ रहे अपराध को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रदेश में अपराधी नहीं, बीजेपी सरकार ही कहीं गायब हो गई है। कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है।

अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश की जनता को सुरक्षा नहीं मिल रही है। बीजेपी ने उत्तर प्रदेश को अपराधों की शरणस्थली बना दिया है। समाजवादी सरकार ने राज्य को विकास और शांति-व्यवस्था के मामलों में जिस ऊंचाई पर पहुंचा दिया था बीजेपी ने उसको रसातल की ओर धक्का दे दिया है।

अखिलेश यादव ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा, 'हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि फर्रूखाबाद के बीजेपी सांसद कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जिस अधिकारी की शिकायत करो उसी को जांच मिल जाती है। गोरखपुर के विधायक को विधायक होने पर शर्म लगने लगी है। कई विधायक अपनी मायूसी की व्यथा सुनाते रहते हैं।'

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने अपने दो ट्वीट के माध्यम से बलिया में पत्रकार की हत्या और यूपी की कानून व्यवस्था पर निशाना साधते हुए लिखा, “यूपी के सीएम सरकार की स्पीड बताते हैं और अपराध का मीटर उससे दोगुनी स्पीड से भागने लगता है। प्रत्यक्षम् किम् प्रमाणम् ये यूपी में केवल दो दिनों का अपराध का मीटर है। यूपी सरकार बार-बार अपराध की घटनाओं पर पर्दा डालती है मगर अपराध चिंघाड़ते हुए प्रदेश की सड़कों पर तांडव कर रहा है।”

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एक अन्य ट्वीट में प्रियंका ने लिखा, “19 जून - शुभममणि त्रिपाठी की हत्या, 20 जुलाई - विक्रम जोशी की हत्या, 24 अगस्त- रतन सिंह की हत्या, बलिया। पिछले 3 महीनों में 3 पत्रकारों की हत्या। 11 पत्रकारों पर खबर लिखने के चलते FIR. यूपी सरकार का पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्रता को लेकर ये रवैया निंदनीय है।”

बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो और प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर कहा कि उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी काल में भी अपराध थमने का नाम नहीं ले रहा है और अब तो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माने जाने वाले मीडिया जगत के लोग भी यहां आए दिन हत्या व जुर्म के शिकार हो रहे हैं। आजमगढ़ मंडल में हुई पत्रकार की हत्या इसका ताजा उदाहरण है।

गौरतलब है कि इस साल फ़रवरी में विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव देते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि इस देश में रामराज्य ही चाहिए, समाजवाद नहीं चाहिए। हमारी सरकार रामराज्य की अवधारणा को ज़मीन पर उतारने को प्रतिबद्ध है। हालांकि जानकारों का कहना है कि इस वक्त राज्य की कानून व्यवस्था ‘भगवान भरोसे’ ही नज़र आती है। सरकार और उसके आंकड़े कुछ भी कहें, लेकिन प्रदेश में अपराध की स्थिति किसी से छुपी नहीं है।

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