वेतन जारी होने पर हिन्दूराव अस्पताल के डॉक्टरों की हड़ताल ख़त्म
दिल्ली नगर निगम के सबसे बड़े अस्पताल हिन्दूराव में कार्य कर रहे रेजिडेंट डॉक्टरों ने वेतन जारी होने पर अपनी हड़ताल मंगलवार को खत्म कर दी है। यह हड़ताल सोमवार से शुरू हुई थी। जबकि 16 मई से ही डॉक्टर वेतन और अन्य मूलभूत सविधाओं को लेकर रोजाना तीन घंटे का प्रदर्शन कर रहे थे।
इन डॉक्टरों को तीन माह से वेतन नहीं मिला था। इससे नाराज डॉक्टर 16 मई से ही सड़कों पर थे इस दौरन उन्होंने सड़क पर ही ओपीडी लगाकर मरीजों को देखा।
हिंदूराव अस्पताल के डॉक्टरों की हड़ताल के चलते सोमवार दिल्ली सरकार ने बेसिक टैक्स असेसमेंट (बीटीए) की पहली किस्त एक महीने पहले ही जारी कर दी, ताकि डॉक्टरों को सैलरी दी जा सके। नहीं तो अमूमन यह क़िस्त जून के महीने में दी जाती है। इसके बाद उम्मीद जताई जा रही थी की हड़ताल मंगलवार सुबह खत्म हो जाएगी लेकिन डॉक्टर इस बात पर अड़े थे कि जबतक उनके खाते में दो महीने की सैलरी नहीं आएगी, तब तक वे हड़ताल खत्म नहीं करेंगे।
इस दौरान उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महापौर अवतार सिंह और केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता विजय गोयल ने भी वहां जाकर डॉक्टरों को समझाने की कोशिश की परन्तु डॉक्टर अपनी बात पर अड़े रहे कि जबतक सैलरी नहीं आयेगी तब तक हड़ताल खत्म नहीं होगी। अंतत: करीब 12 बजे जब डॉक्टरों के खाते में वेतन आ गया और उनकी अन्य सभी मांगों को लिखित रूप में मान लिया गया तब डॉक्टरों ने हड़ताल को वापस लेने का निर्णय किया।
सोमवार को ही दिल्ली सरकार ने कुल 459.29 करोड़ रुपये जारी किए हैं, जिसमें से नॉर्थ एमसीडी को 206.5 करोड़, साउथ एमसीडी को 17.80 करोड़ और ईस्ट एमसीडी को 234.12 करोड़ रुपये मिले हैं। इससे तत्कालिक राहत तो मिल गई है लेकिन इससे निगम की अन्य समस्या का हल होगा यह बहुत मुशिकल लग रहा क्योंकि वेतन सिर्फ रेजिडेंट डॉक्टर के ही नहीं रुका था, बल्कि सीनियर डॉक्टरों को भी तीन महीने से वेतन नहीं मिला है, इसके आलावा उत्तरी दिल्ली के नगर निगम के शिक्षकों को भी वेतन नहीं मिला है।
यही वजह है कि मंगलवार को ही सीनियर डॉक्टर्स ने भी ऐलान किया की अगर उनका वेतन नहीं दिया तो वो भी हड़ताल पर जा सकते हैं। म्युनिसिपल डॉक्टर एसोसिएशन के मुताबिक सीनियर डॉक्टरों को भी तीन माह से वेतन नहीं मिला है। जिससे उनका घर चलाना मुश्किल हो गया है। ऐसे में जल्द एसोसिएशन की जर्नल बॉडी की बैठक बुलाकर हड़ताल पर फैसला लिया जाएगा।
इससे पहले अंदोलन कर रहे है डॉक्टर्स ने सामूहिक आत्मदाह की अनुमति मांगी थी
रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के महासचिव डॉ. संजीव चौधरी ने कहा कि डॉक्टरों के पास अब घर चलाने के लिए भी पैसे नहीं बचे हैं। यहाँ तक कई लोगो के गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे है, इससे ही परेशान होकर ही हम सड़क पर आए। इसके साथ ही डॉक्टरों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर सामूहिक आत्महत्या की अनुमति मांगी थी। संजीव चौधरी ने बताया कि समय पर वेतन, पीने का साफ पानी, डाक्टरों को सुरक्षा, जूनियर व सीनियर डाक्टरों के लिए समय-समय पर साक्षात्कार करवाने के संबंध में प्रशासन से लगातार बातचीत भी चल रही थी जिसे अभी लिखित रूप से मान लिया गया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा अगर हमारी ये मांगे पूरी नहीं हुईं तो हम फिर अंदोलन करेंगे।
कई अन्य संगठनों ने भी इस हड़ताल का समर्थन किया था
डॉक्टरों की इस हड़ताल का, दिल्ली मेडिकल एसोसियशन, इंडियन मेडिकल एसोसियशन और फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) ने भी समर्थन किया था। फोर्डा के अध्यक्ष डॉ. सुमेध ने कहा कि दिल्ली सरकार और निगम के अस्पतालों में डॉक्टरों को वेतन की समस्या अब आम हो चुकी है। हमेशा उन्हें अपने काम के पैसों के लिए हड़ताल करनी पड़ती है। डॉक्टरों के पास आय के कोई अन्य स्रोत नहीं हैं, ऐसे में अस्पताल में डॉक्टरों की हड़ताल का हम समर्थन करते हैं और हम उनके साथ हैं।
इन डॉक्टरों ने कहा की साल में कम से कम दो-तीन बार अपने वेतन के लिए नगर निगम और दिल्ली सरकार के समक्ष गिड़गिड़ाना पड़ता है, हम अब चाहते हैं कि ऐसा न हो और इसका कोई स्थायी समाधान निकला जाए। हमें सरकार और नगर निगम के बीच फुटबाल न बनाया जाए।
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