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वर्तमान चुनाव विचारधाराओं की लड़ाई : येचुरी

भोपाल में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी ने बुद्धिजीवियों से चर्चा में कहा कि भाजपा अपनी संभावित हार के डर से सांप्रदायिकता एवं राष्ट्रवाद के मुद्दे उछाल रही है।
भोपाल में सीताराम येचुरी।

लोकसभा का वर्तमान चुनाव विचारधाराओं की लड़ाई है। एक ओर भाजपा है, जिसका संवैधानिक मूल्यों पर विश्वास नहीं है, तो दूसरी ओर धर्मनिरपेक्षता, भारत की विविधता और सामाजिक न्याय को मानने वाले लोग हैं। ऐसे में मतदाताओं को वोट डालते समय इस बात का जरूर ध्यान रखना चाहिए कि देश को बचाना है, तो सांप्रदायिकता, कट्टरता, नफरत, हिंसा और छद्म राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने वाली शक्तियों के खिलाफ वोट करें। ये बातें भोपाल में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राष्ट्रीय महासचिव कॉ. सीताराम येचुरी ने न्यूज़क्लिक से कही।

कॉ. येचुरी भोपाल में “संसदीय प्रणाली - चुनाव और जनतंत्र” विषय पर आयोजित व्याख्यान में वक्तव्य देने आए हुए थे। इसके पहले उन्होंने शहर के बुद्धिजीवियों से चर्चा भी की। इस दरम्यान उन्होंने न्यूज़क्लिक के विभिन्न सवालों पर भी अपने विचार व्यक्त किए।

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येचुरी ने बताया कि भाजपा अपनी संभावित हार के डर से सांप्रदायिकता एवं राष्ट्रवाद के मुद्दे उछाल रही है। देश में लोकसभा चुनाव के दरम्यान रोजमर्रा के मुद्दे हावी होने लगे, तो भाजपा के रणनीतिकारों के पसीने छूटने लगे। बेरोजगारी, किसानी की समस्या, नोटबंदी, जीएसटी और संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने जैसे सवालों पर भाजपा के लिए चुनाव कठिन दिखने लगा। पहले चरण के बाद ही उसे यह बात समझ में आने लगी कि जनता ने सरकार बदलने का मन बना लिया है। दूसरे चरण के दरम्यान उसने कट्टर हिन्दुत्व और सांप्रदायिक सोच वाली प्रज्ञा ठाकुर को भाजपा की सदस्यता दिलाकर भोपाल से टिकट दे दिया। ध्रुवीकरण की साजिश के तौर पर इसे किया गया। फिर तीन चरणों यानी 303 सीटों के मतदान के बाद भाजपा पूरी तरह से सांप्रदायिक और छद्म राष्ट्रवाद के मुद्दे पर केन्द्रित हो गई। इन 303 में से 113 भाजपा की सीटें थी। भाजपा इन पर कमजोर दिखाई दी। इसलिए आगे के 240 सीटों पर उसने मतदाताओं के रोजमर्रा के जीवन से जुड़े मुद्दों से ध्यान हटाना शुरू किया, जिसे लेकर लोगों में सरकार के खिलाफ भारी नाराजगी है। इनमें से उसकी 159 सीटें हैं। भाजपा को लगता है कि यदि इन सीटों को नहीं बचा पाई, तो सरकार बनाना असंभव है।

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उन्होंने कहा कि भोपाल की परंपरा गंगा-जमुनी तहजीब की है। यह बेगमों का शहर रहा है। यह बुद्धिजीवियों का शहर है। प्रज्ञा ठाकुर की उम्मीदवारी यहां की मिली-जुली संस्कृति को बर्बाद करने  के लिए है। यह भोपाल के साथ-साथ देश के लिए भी खतरनाक है। वह इमोशनल कार्ड खेल रही है। टॉर्चर की झूठी कहानी लोगों को सुना रही है। शहीद पुलिस अधिकारी के खिलाफ उन्होंने अपशब्द कहे। उनके लिए झूठ तैयार किया जा रहा है। यह भोपाल की विरासत के खिलाफ है। यहां की जनता को तय करना है कि वह भोपाल और देश को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं।

देश में वामपंथ के प्रदर्शन के सवाल पर उन्होंने कहा कि संयुक्त रूप से वामपंथी पार्टियों का प्रदर्शन बेहतर होगा। बुनियादी सवालों को लेकर बंगाल, केरल, त्रिपुरा और अन्य राज्यों में जहां वामपंथी उम्मीदवार हैं, वहां मतदाताओं का जुड़ाव दिख रहा है।

व्याख्यान में कॉ. येचुरी ने कहा कि पिछले 5 सालों में देश में एक तरफ संवैधानिक और जनतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है। गौ रक्षा एवं मोरल पुलिसिंग के नाम पर निजी सेनाओं को बढ़ावा एवं राजनीतिक संरक्षण दिया जा रहा है। यह सामाजिक न्याय के खिलाफ है और इंसानियत एवं सामाजिक मूल्यों की गिरावट है। पिछले 5 सालों में चुनाव आयोग को कमजोर किया गया। इसकी निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे हैं। सीबीआई का दुरूपयोग, आरबीआई को कमजोर, सीएजी की रिपोर्ट को प्रभावित करना, सीवीसी पर प्रभाव डालना जैसे कई मसले हमें दिख रहे हैं। 

देश का झुकाव विदेशी पूंजी की ओर बढ़ा है। मोदी राज में बैंकों को चूना लगा कर कई उद्योगपति देश से बाहर भाग चुके हैं। भारतीय पूंजी को लूटने वाले 36 लोगों ने विदेशी नागरिकता ले ली है। पिछले 5 सालों में उद्योगपतियों के 5.55 लाख करोड़ कर्ज माफ किए गए हैं। इलेक्ट्रॉल बॉण्ड के नाम पर भ्रष्टाचार को कानूनी जामा पहना दिया गया। इसका 95 फीसदी राशि भाजपा के खाते में गई है। 

उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी आतंकवाद के खिलाफ मजबूत सरकार का झूठा दावा करते हैं। यदि 2009 से 2014 और 2014 से अभी तक के आतंकवादी हमले को देखें, तो पिछले 5 साल में 109 के मुकाबले 626 आतंकी व नक्सली हमले हुए हैं, 139 के मुकाबले 483 जवान शहीद हुए हैं, 12 नागरिकों के मुकाबले 210 नागरिक ऐसे हमले में मारे गए हैं और 563 के मुकाबले 5596 सीज़फायर उल्लंघन की घटनाएं हुई हैं। ऐसे में कैसे कहा जा सकता है कि देश सुरक्षित हाथों में है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान तक ने कहा ने कहा कि हम चाहते हैं कि मोदी फिर प्रधानमंत्री बने, इसके क्या मायने हैं? कुछ दिन पूर्व बालाकोट में आतंकियों के मरने की संख्या को लेकर सत्तापक्ष की ओर से ही कई भ्रम फैलाए गए और विपक्ष को दोषी ठहराने की कोशिशें की जाती रही है। 

पिछले 5 सालों में जनता में असंतोष फैला है। इसलिए भाजपा ने घोषणा-पत्र में भी वे सांप्रदायिकता एवं हिन्दुत्व ले आए। अनुच्छेद 370, राम मंदिर, समान नागरिक संहिता के साथ-साथ अब भाजपा द्वारा धर्म के आधार पर नागरिकता देने की बात की जाने लगी है, जिसे लेकर उत्तर-पूर्व में गहरा असंतोष है। हिन्दू राष्ट्र और इस्लामिक स्टेट दोनों ही अतिवादी सोच हैं जिनकी भारत को ज़रूरत नहीं। गांधी जी की सोच थी कि हिन्दू का ‘ह’ और मुसलमान का ‘म’ को मिल कर ही ‘‘हम’’ बनता है जो इस देश को मज़बूत बनाने के लिए अनिवार्य है।

उन्होंने कहा कि भोपाल का चुनाव दिग्विजय सिंह और प्रज्ञा ठाकुर के बीच नहीं, बल्कि विचारधाराओं के बीच है। हमारा उद्देश्य मोदी सरकार को हराना है और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करने वाली सरकार, एक वैकल्पिक सरकार और एक वैकल्पिक प्रधानमन्त्री को लाना है।

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इस मौके पर कांग्रेस के प्रत्याशी मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह चुनाव देश और लोकतंत्र को बचाने के लिए है। आरएसएस और भाजपा ने महात्मा गांधी के मूल विचारों को कभी नहीं स्वीकारा। सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलाई जा रही है। ज़मीनी हकीकत यह है कि नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं बन सकते। उन्होंने कहा कि यूपीए एक यानी डॉ. मनमोहन सिंह के पहले कार्यकाल की सफलता का मूल कारण था, वामपंथी दलों का अंकुश। उन्होंने सरकार पर अंकुश भी लगाया और कई अच्छे कानून एवं योजनाएं बनवाई। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि 2019 में नई सरकार का गठन होगा और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की जीत होगी।

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