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गीतिका शर्मा सुसाइड केस में 11 साल बाद पूर्व मंत्री गोपाल कांडा बरी

साल 2012 के एक केस में पूर्व मंत्री गोपाल कांडा बरी हो गए हैं। ये मामला गोपाल कांडा की एयरलाइंस में काम करने वाली एक एयरहोस्टेस के सुसाइड से जुड़ा हुआ है।
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फ़ोटो साभार : The Indian Express

बग़ैर किसी शर्त हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार को समर्थन देने वाले गोपाल कांडा साल 2012 के बेहद चर्चित गीतिका शर्मा सुसाइड केस से बरी हो गए हैं। राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने इस मामले में 11 साल बाद गोपाल कांडा और उनके मैनेजर अरुण चड्ढा को बरी कर दिया है।

बरी होने के बाद कोर्ट के बाहर गोपाल कांडा ने मीडिया से बात की। इस दौरान उन्होंने ख़ुद पर लगे सारे आरोपों को बेबुनियाद बताया और कहा कि मेरे ख़िलाफ कोई सुबूत नहीं था। ये सिर्फ मनगढ़त तरीके से तैयार किया गया था, लेकिन इसके पीछे कारण क्या है, आज कोर्ट ने सबकुछ साफ कर दिया।

गीतिका शर्मा मामले में अभी तक क्या-क्या हुआ?

5 अगस्त 2012: गीतिका का शव उनके घर पर लटका मिला।

5 अगस्त 2012: गीतिका के घर से पुलिस ने सुसाइड नोट बरामद किया, इसमें कांडा को मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था।

5 अगस्त 2012: कांडा के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया। इसी दिन कांडा ने हरियाणा के गृह मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

7 अगस्त 2012: पुलिस ने कांडा को पूछताछ के लिए बुलाया, कांडा ने आरोपों से इनकार किया।

8 अगस्त 2012: MDLR मैनेजर अरुणा चड्ढा को गिरफ्तार किया गया।

8 अगस्त 2012: पुलिस ने कांडा को फरार घोषित कर दिया।

8 अगस्त 2012: कांडा ने अग्रिम जमानत के लिए याचिका दाखिल की।

9 अगस्त 2012: पुलिस ने कांडा के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया, उनके घर पर छापेमारी की गई।

17 अगस्त 2012: हाईकोर्ट ने कांडा की जमानत याचिका खारिज की।

18 अगस्त 2012: कांडा ने अशोक विहार पुलिस स्टेशन में आत्मसमर्पण किया।

मार्च 2014: कांडा को जमानत मिली।

25 जुलाई 2023: 11 साल बाद कांडा बरी हो गए।

क्या है गीतिका शर्मा सुसाइड केस?

साल 2012 और अगस्त की 5 तारीख़... गीतिका शर्मा नाम की लड़की ने घर के पंखे से लटकर आत्महत्या कर ली थी। गीतिका शर्मा ने अपने घर उत्तरी पश्चिमी दिल्ली में सुसाइड की थी। आत्महत्या करने से पहले उन्होंने दो पेज का एक सुसाइड नोट भी लिखा था, जिसमें गोपाल कांडा और उसके एक कर्मचारी पर उत्पीड़न के आरोप लगाए गए थे।

गीतिका ने लिखा था कि ‘’आज मैं अपने आप को खत्म कर रही हूं, क्योंकि मैं अंदर से टूट गई हूं। मेरे साथ धोखा हुआ है और मेरे विश्वास को तोड़ा गया है। दो लोग मेरी मौत के ज़िम्मेदार हैं, जिनके नाम गोपाल गोयल कांडा और अरुण चड्ढा है। इन दोनों ने मेरे साथ-साथ मेरे घर वालों को भी बर्बाद कर दिया।‘’

कौन थी गीतिका शर्मा?

गीतिका शर्मा एयर होस्टेस बनना चाहती थीं, दिल्ली के अशोक विहार निवासी गीतिका को 18 साल से भी कम उम्र में कांडा ने साल 2008 में अपनी एयरलाइंस में भर्ती कर लिया। उसे ट्रेन केबिन क्रू का लेटर दिया गया, गीतिका, गोपाल कांडा को इतनी भा गई थीं, कि 6 महीने बाद 18 साल की होते ही उसे एयर होस्टेस बना दिया गया। इसके बाद एयरलाइंस बंद हुई, लेकिन गीतिका की तरक्की होती रही और महज 3 साल में वह कंपनी की डायरेक्टर बन गईं। हालांकि इस तेज रफ्तार तरक्की के बीच किसी बात पर कांडा और गीतिका की अनबन हो गई, गीतिका ने कांडा से दूरी बनाई और सीधे दुबई पहुंच गई नौकरी करने के लिए। आरोप है कि 'यहां से कांडा ने गीतिका का मानसिक उत्पीड़न शुरू किया। कांडा ने अपने राजनीतिक रिश्तों के दम पर गीतिका को दुबई की नौकरी छोड़कर भारत लौटने पर मजबूर किया। आरोप ये भी है कि दिल्ली वापस आने पर भी कांडा गीतिका के पीछे लगा रहा। इसी से गीतिका इतना मानसिक दबाव में आ गई कि उसने सुसाइड जैसा कदम उठा लिया था।'

कौन है गोपाल कांडा?

गोपाल कांडा ने हरियाणा लोकहित पार्टी के नाम से अपना सियासी दल बना रखा है। 2019 के विधानसभा चुनाव में कांडा ने सिरसा विधानसभा सीट से अपनी पार्टी के टिकट पर जीत दर्ज की थी। हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों में किसी को बहुमत नहीं मिलता दिख रहा था और भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर रही थी। ऐसे में कांडा ने बिना शर्त भाजपा को समर्थन का ऐलान किया था। भाजपा को 40 सीटें ही मिली थीं और ऐसे में एक-एक विधायक का समर्थन पार्टी के लिए अहम था। यही नहीं गोपाल कांडा ने 2022 के राज्यसभा चुनाव में कार्तिकेय शर्मा की जीत का रास्ता भी खोला था। कांडा ने निर्दलीय कैंडिडेट कार्तिकेय को समर्थन दिया था। भाजपा भी कांग्रेस के दिग्गज अजय माकन को पटखनी देने के लिए कार्तिकेय शर्मा का समर्थन कर रही थी। कांडा ने तब कहा था कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर जिसे भी वोट देने के लिए कहेंगे हमारी पार्टी उसी को वोट देगी।

गोपाल कांडा की राजनीतिक दोस्ती कभी एक पार्टी तक सीमित नहीं रही है। 90 के दशक में गोपाल कांडा रेडियो रिपेयरिंग के धंधे में उतरे फिर रियल स्टेट की तरफ रुख कर लिया। इस दौरान उन्होंने कई सियासी दलों से संपर्क बनाए। हिसार से गुरुग्राम तक कारोबार फैला तो रसूख और बढ़ता गया। इसी बीच 2008 में कांडा के ठिकानों पर इनकम टैक्स ने छापे मारे और इसी बीच उन्होंने अपने पिता के नाम पर MDLR एयरलाइंस खोली।

एयरलाइंस खोलने के एक साल बाद कांडा के ग्राफ में चढ़ाव आया। इस दौरान इंडियन नेशनल लोकदल ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वो सिरसा से निर्दलीय ही उतर गए। इस दौरान भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांडा को अपने खेमे में कर लिया। हुड्डा मुख्यमंत्री बने और गोपालकांडा को हरियाणा का गृहमंत्री बना दिया गया। यही नहीं कांडा को शहरी निकाय, उद्योग और वाणिज्य जैसे विभाग भी मिले।

हालांकि इन सबके तीन साल बाद 2012 में जब गीतिका सुसाइड केस हुआ, तब गोपाल कांडा का पतन शुरु हो गया। मामले के बाद कांडा ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और गिरफ्तारी देनी पड़ी। हालांकि वो ज़्यादा दिनों तक जेल में नहीं रहे। जेल से छूटने के बाद कांडा ने 2014 में हरियाणा लोकहित पार्टी बनाई। इस दौरान वो 2014 लोकसभा चुनाव में भी उतरे लेकिन मुंह की खानी पड़ी।

2014 के विधानसभा चुनाव में भी गोपाल कांडा को आईएनएलडी के माखन लाल सिंगला ने हरा दिया। इसके बाद साल 2019 के विधानसभा चुनाव में गोपाल कांडा अपनी ही पार्टी के टिकट पर उतरे और सिरसा सीट पर जीत हासिल की।

कहने का अर्थ ये है कि गोपाल कांडा के सभी पार्टियों के साथ संबंध बेहतर रहे हैं और रियल इस्टेट में हाथ आज़माने के कारण उसका राजनीतिक रसूख भी खूब रहा है।

फिलहाल गीतिका की आत्महत्या के 11 साल बाद गोपाल कांडा को ज़मानत मिल गई। 

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