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हरियाणा: किसानों ने लगाए पक्के मोर्चे, कहा-बिना MSP की गारंटी के नहीं उठेंगे

किसान नेता ने दावा किया की मुख्यमंत्री ने किसानों के प्रतिनिधियों को बात करने के लिए आज 13 जून को करनाल बुलाया था लेकिन जब किसान वहां पहुंचे तो बात करने से मना कर दिया गया।
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फ़ोटो साभार: ट्विटर

कुरुक्षेत्र में नेशनल हाइवे-44 पर बैठे किसानों ने अब डेरा डाल दिया है। दिल्ली चंडीगढ़ हाइवे पर ये किसान पिछले 24 घंटे से बैठे है। किसान और सरकार के बीच की दौर की वार्ता हुई लेकिन कोई रास्ता नहीं निकल पाया है धरने पर बैठे किसानों ने साफ कहा कि जब तक सरकार सूरजमुखी के बीज की खरीद सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर नहीं करती और गिरफ्तार किसानों को रिहा नहीं करती तब तक हम सड़क पर ही बैठेंगे।

किसान नेता ने दावा किया की मुख्यमंत्री ने किसानों के प्रतिनिधियों को बात करने के लिए आज 13 जून को करनाल बुलाया था लेकिन जब किसान वहां पहुंचे तो बात करने से मना कर दिया गया। इसके बाद से कुरुक्षेत्र के पास नेशनल हाइवे 44 पर दिल्ली के सिंघू और टिकरी बॉर्डर जैसे माहौल है जिस तरह तीन कृषि कानूनों की वापसी के आंदोलन के दौरान एक साल से अधिक तक दिल्ली के बॉर्डर पर था। यहां भी किसानों ने अपने तंबू लगा दिए और लंगर भी शुरू हो गया है।

ये किसान भीषण गर्मी में सड़क पर बैठे हैं और इनके हौसले में कोई कमी नहीं आई है। किसान पूरी ताकत से डटे हुए हैं।

आपको बता दें 6 जून को कुरूक्षेत्र जिला के शाहबाद में सूरजमुखी उत्पादक किसानों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की मांग करने पर किये गए लाठीचार्ज और किसान नेताओं की गिरफ्तारी के मुद्दे पर 12 जून को पीपली (कुरुक्षेत्र) में एक विशाल महापंचायत हुई। हरियाणा और अन्य प्रदेशों से भारी संख्या में आक्रोशित किसानों ने हिस्सा लिया।

अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इंद्रजीत सिंह ने कहा, उल्लेखनीय है कि केंद्र व राज्य सरकार एक तरफ तो दावा करती रही है कि 'एमएसपी है और रहेगा' जबकि दूसरी ओर जो भी फसल मंडी में आई है उसे खरीदा नहीं जा रहा। सरकार कहती है जो भाव मिल रहा है उसमें बेच दो और सरकार 1000 प्रति क्विंटल भावांतर देगी जबकि प्राइवेट खरीद का रेट 4000 प्रति क्विंटल है। जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य 6400/ क्विंटल है। भावांतर मिल भी जाए तो 1400 प्रति क्विंटल का घाटा किसान को होता है।

उन्होंने कहा, सरकार के हाथों करवाई जा रही इस लूट के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों पर किए गए पुलिस दमन के विरोध में हुई इस महापंचायत में हरियाणा, पंजाब व अन्य जगहों से अनेक किसान नेता व कार्यकर्ता शामिल हुए।

वे कहते हैं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों की आजीविका के लिए जीवन-मरण का सवाल है। शाहबाद की घटना से सरकार की बदनीयती स्पष्ट हो गई है।

आंदोलन की स्थानीय कमेटी ने महापंचायत के अंत में यह घोषणा की कि मुख्य मार्ग पर किसानों का अनिश्चितकालीन धरना शुरू होगा। एक बहुत बड़ा काफिला मंडी से चल पड़ा और हाईवे पर धरना शुरू हो गया। इसके उपरांत स्थानीय प्रशासन ने सरकार की ओर से बातचीत शुरू कर दी है। किसानों का मुख्य रूप से दो मांग हैं। गुरनाम सिंह चढूनी व अन्य गिरफ्तार किसानों को रिहा किया जाए और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सूरजमुखी खरीदी जाए। इस बीच हजारों किसान हाईवे पर डेरा डाले हुए हैं।

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