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मणिपुर: 'हम हर दिन मौत का मंज़र देख रहे हैं'

कुकी कार्यकर्ताओं का आरोप है कि केंद्र सरकार बीरेन सिंह सरकार को "भेदभावपूर्ण" नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए खुली छूट दे रही है।
kuki protest

कोलकाता: एक स्कूल शिक्षक और कुकी कार्यकर्ता मंग बाइट ने न्यूज़क्लिक को बताया कि "हम हर दिन कुकी लोगों की गोलियों और उनसे होने वाले गंभीर किस्म के घावों से होने वाली मौतों को बड़े करीब से देख रहे हैं।" ये बातें उन्होंने तब बताईं जब उनसे चुराचांदपुर में सुरक्षा बलों द्वारा हाल ही में की गई गोलीबारी के बारे में पूछा गया। सशस्त्र बल विशेष शक्ति अधिनियम या एएफएसपीए (AFSPA) अभी भी उत्तर पूर्वी राज्य के पहाड़ी जिलों में लागू है। यह इलाका मई 2023 से जातीय हिंसा की वजह से सुलग रहा है।

समाचार रिपोर्टों के अनुसार, ताजी गोलीबारी में दो युवा वयस्कों की मौत हो गई है और 25 अन्य लोग घायल हो गए हैं। घटना तब घटी, जब युवाओं ने कुकी हेड कांस्टेबल के "अवैध निलंबन" के विरोध में पिछले गुरुवार की सुबह लगभग 10 बजे पुलिस अधीक्षक शिवानंद सुर्वे के कार्यालय के सामने प्रदर्शन करना शुरू किया था। उनका आरोप यह था कि कांस्टेबल को कारण बताओ नोटिस जारी किए बिना ही निलंबित कर दिया गया। प्रदर्शनकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस अधीक्षक ने युवा प्रदर्शनकारियों के साथ गलत "बर्ताव किया और गलत व्यवहार किया।"

कुकी कार्यकर्ताओं ने बताया कि दोपहर तीन बजे के करीब प्रदर्शनकारी फिर इकट्ठा हुए। पथराव की खबरें थीं लेकिन उक्त पुलिस अधिकारी ने आंसू गैस के गोले और लाठीचार्ज जैसे भीड़ नियंत्रण वाले उपाय करने के बजाय, सीधे "गोली मारो" का आदेश दे दिया। उक्त आदेश के बाद परिसर की सुरक्षा कर रहे पुलिस और असम राइफल्स के जवानों ने प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी जिससे दो प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई और 25 अन्य घायल हो गए।

इस घटना से स्थानीय लोगों में गुस्सा फैल गया है। जिसके कारण गुस्साई भीड़ ने उपायुक्त कार्यालय में आग लगा दी। कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि सुर्वे, जिसने कथित तौर पर गोलीबारी का आदेश दिया था, वह कथित तौर पर असम राइफल्स शिविर में छिपा हुआ था।

लेन चोंगलोई, कुकी आईएनपीआई (मंत्री) लहंगसम ने न्यूज़क्लिक को बताया कि, “यह दो भारत, दो मणिपुर, दो कानून का मामला हैं, जिसे भारत के एक हिस्से में देखा जा सकता है। ईसाई कुकी समुदाय जातीय-धार्मिक झड़पों का शिकार हो रहा है, क्योंकि पुलिस को भी एक पक्ष लेते हुए और निर्दोषों पर गोलियां बरसाते हुए देखा जा सकता है।'' कुकी आईएनपीआई आदिवासी समुदाय के बीच स्वशासन की एक विधा है जो मणिपुर और अन्य जगहों के कुकी लोगों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करती है।

“अब हमारे साथ खुलेआम भेदभाव किया जा रहा है। इसके लिए नई दिल्ली जिम्मेदार है। प्रदर्शनकारी इस भेदभाव को ख़त्म करने की मांग कर रहे थे जिसे शिवानंद सुर्वे द्वारा कुकी हेड कांस्टेबल को अचानक निलंबित करने बन के बाद उठाया गया था, उन्होंने आरोप लगाया कि, अब हम पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि शिवानंद को राज्य और सरकार के बीच दुश्मनी पैदा करने के लिए कुकी-प्रभुत्व वाले इलाके में तैनात किया गया है ताकि इसे और भी वीभत्स रूप दिया जा सके।”

लहंगसम ने कहा कि, “हेड कांस्टेबल पर आरोप यह लगाया गया था कि उसे फेसबुक पर कुकी एक्टिविस्ट/कार्यकर्ताओं के साथ देखा गया था। उन्हें सफाई देने का मौका भी नहीं दिया गया और सीधे नौकरी से निलंबित कर दिया गया। यह तब है, जब इंफाल घाटी में हर दिन हथियारबंद अरामबाई तेंगगोल कैडर और पुलिसकर्मी एक साथ देखे जा सकते हैं और फेसबुक ऐसी तस्वीरों से भरा पड़ा है।

उन्होंने आगे आरोप लगाया कि "मैतेई उग्रवादी संगठन यूएफपीएन भी सुरक्षाकर्मियों के साथ मिला हुआ है जो इंफाल घाटी में अराजकता पैदा कर रहा है।" उन्होंने आगे कहा कि “इंफाल घाटी में कोई एएफएसपीए लागू नहीं है। हालांकि इलाके में दर्जनों मैतेई उग्रवादी समूह सक्रिय हैं।”

उन्होंने आरोप लगाया कि इन समूहों ने हाल ही में अरामबाई तेंगगोल ध्वज के नीचे राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। उन्होंने न्यूज़क्लिक को फ़ोन पर बताया कि, हालांकि, मणिपुर की पहाड़ियों में, "जहां सभी कुकी उग्रवादी संगठन सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (एसओओ) समझौते के अंतर्गत आते हैं। मणिपुर सरकार द्वारा एएफएसपीए को जीवित क्यों रखा गया है?"

उन्होंने भाजपा की बीरेन सिंह सरकार पर "सैन्य समाधान के तहत कुकी समुदाय को खत्म करने" की कोशिश करने का आरोप लगाया।

एक अन्य शीर्ष रैंकिंग कुकी सिविल सेवक, जो गुमनाम रहना चाहते थे, ने न्यूज़क्लिक को बताया कि हालत ऐसे हैं कि औसत कुकी युवाओं को पढ़ाई बंद कर और विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने के लिए कई प्रोत्साहन दिए जाते हैं। इन प्रोत्साहन देने वालों में ज्यादातर कट्टरपंथी होते हैं। ये युवा मोरेह या हाल ही में हुई गोलीबारी की घटना के जाल में फंस गए हैं।

उन्होंने आगे कहा कि, "पहले, यह मैतेई बनाम कुकी था, अब भाजपा संचालित बीरेन सिंह सरकार इसे कुकी बनाम राज्य बनाना चाहती है। हम कुकी लोग स्वभाव से कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं। ऐसी घटनाएं जहां कुकी युवा सरकारी गोलियों का शिकार होते हैं, वे औसत कुकी हृदय में घाव को ताज़ा करने का काम कर रहे हैं।"

कुकी आईपीएनआई के सूचना और प्रचार सचिव जंघौलोलुन एच ने न्यूज़क्लिक को बताया कि, “देश के नागरिक के रूप में, यदि आप संविधान को नहीं मानते हैं, भारतीय यूनियन को चुनौती देते हैं, तो यह देश की आत्मा को चुनौती देने जैसा है। इसलिए हम जो चाहते हैं वह यह नहीं है कि लोग किसी का पक्ष लें। हम चाहते हैं कि देश का हर नागरिक और नेता वास्तव में उस चुनौती पर गौर करें जो मानवाधिकारों और संवैधानिक सिद्धांतों के गंभीर उल्लंघन से पैदा होती है। हम चाहते हैं कि लोग न्याय और समानता के मुद्दों पर गौर करें जो हमारे राज्य में चल रहे हैं।"

उन्होंने कहा कि चूड़ाचांदपुर में हाल ही में हुई गोलीबारी "बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली मणिपुर राज्य सरकार की भेदभावपूर्ण नीतियों का सीधा नतीज़ा है।"

“यह केंद्र सरकार का किसी निर्णय पर न पहुंचने का भी परिणाम है, जो बीरेन सिंह को अपनी इच्छा से काम करने की अनुमति देता है; जिसकी वजह से यह संवैधानिक मूल्यों और सिद्धांतों के ख़िलाफ़ काम कर रही है। मणिपुर राज्य सरकार द्वारा अल्पसंख्यक कुकियों के खिलाफ सत्ता और प्रशासन के बेतहाशा दुरुपयोग पर आंखें मूंद लेना भारत के लिए शर्म की बात है। कुकी देश के समान नागरिक के रूप में न्याय और समानता के पात्र हैं” उन्होंने कहा कि, “राज्य ने हमें विफल कर दिया है; और इसलिए संवैधानिक तौर पर यह जायज़ होगा कि कुकी और मैतेई अलग-अलग प्रशासनिक इकाइयों के तहत रहे।

मूल अंग्रेजी लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

Manipur: We are Seeing Deaths, Hearing Gunshots Every Day, Say Kuki Groups

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