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यूपी: मंदिर कमेटी का फ़रमान...जीन्स, शॉर्ट्स और मिनी स्कर्ट ‘अमर्यादित’, नहीं मिलेगा प्रवेश!

मुज़फ़्फ़रनगर में स्थित एक मंदिर में दर्शन के लिए मर्यादा का हवाला देते हुए ड्रेस-कोड लागू कर दिया गया है, इसी तरह अलीगढ़ के एक मंदिर में मुस्लिमों की एंट्री बैन कर दी गई है।
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फ़ोटो साभार: ट्विटर

वैसे तो अपने-अपने अराध्य की पूजा करना निजी मसला है, और आस्था में विश्वास रखने वालों के लिए सभी देवी-देवता एक समान हैं। लेकिन कुछ तथाकथित बड़े अनुयायी इसे भी अपनी जागीर मान बैठे हैं, और लोगों के अराध्यों पर कब्ज़ा करने की कोशिश में लगे हैं। यानी उनका मानना ये है कि जैसे वो चाहते हैं हर शख्स वैसे ही अपने अराध्य की अराधना करे। उदाहरण के तौर पर आप कोई मंदिर ले लीजिए, जहां दिनभर में हज़ारों लोग जाकर पूजा करते हैं, हर कोई अपनी-अपनी श्रद्धा के अनुसार दान-दक्षिणा करता है। लेकिन विडंबना है कि धर्म के इस निजी और स्वतंत्र काम को कुछ तथाकथित अनुयायियों ने अपने हिसाब से ढालना शुरु कर दिया है।

उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर के एक फ़रमान को ही देख लीजिए...वहां मंदिर के बाहर एक बोर्ड लगाया गया है जिसमें लिखा है, “सभी महिलाएं और पुरुष मंदिर में मर्यादित वस्त्र पहनकर ही आएं। छोटे वस्त्र, हाफ पैंट, बर्मुडा, मिनी स्कर्ट, नाईट सूट, कटी-फटी जीन्स आदि पहनकर आने पर बाहर से ही दर्शन कर सहयोग करें...आज्ञा से बाला जी महाराज।”

यहां ग़ौर करने वाला शब्द ‘मर्यादित’ है...यानी जिस किसी ने इस बोर्ड के लिखे शब्दों का सुझाव दिया है, उसके हिसाब से हाफ पैंट, मिनी स्कर्ट और जीन्स जैसी चीज़ें मर्यादित नहीं होती हैं। आपको बता दें कि ये पूरा मामला जिले के नई मंडी क्षेत्र में स्थित बालाजी मंदिर का है।

इस मसले पर बालाजी मंदिर में पूजा-पाठ करने वाले पंडित आलोक शर्मा का कहना है कि “परिसर में महिलाएं और लड़कियां साड़ी या सलवार-सूट पहन कर ही आएं। जब महिलाएं और लड़कियां मंदिर में आएं तो सिर पर पल्लू, पर्दा लगाकर मर्यादित रूप में आए। अगर, कोई महिला या लड़की नियमों का उल्लंघन करती है, तो पहले उसे समझाया जाएगा। इसके बाद भी अगर कोई मंदिर के नियमों को फॉलो नहीं करता है, तो उसके लिए बालाजी मंदिर कमेटी जुर्माना भी लगा सकती है। मंदिर की मर्यादा बनाए रखने को ऐसा किया जा रहा है।”

इस अजीबो-गरीब फ़रमान के बाद बालाजी मंदिर कमेटी के कानूनी सलाहकार एडवोकेट अशोक कुमार शर्मा ने भी हैरान करने वाला बयान दिया है। उनका कहना है, “अक्सर देखा जाता है कि युवक-युवतियां शॉर्ट कपड़ों में मंदिर आते हैं। इससे मंदिर में मौजूद अन्य श्रद्धालुओं का ध्यान भटक जाता है। इसी को देखते हुए मंदिर कमेटी ने यह निर्णय लिया है। बच्चे और युवा अक्सर हाफ पैंट पहनकर चले आते हैं। हिंदुस्तान के कल्चर में ही अब लोग मंदिर आएं, भक्तों से ऐसी अपील की गई है।”

बालाजी मंदिर में इस तरह के फ़रमान के बाद अलीगढ़ से भी एक ऐसी ही ख़बर सामने आई है। यहां हज़ारों वर्ष पुराने ऐतिहासिक हनुमान जी के मंदिर में मुस्लिम महिला और पुरुषों की एंट्री को बैन किया गया है। इतना ही नहीं हिंदू महिला और पुरुष भक्तों के लिए भी ड्रेस-कोड जारी किया गया है। छोटे कपड़े और कटी-फटी जीन्स पहनकर मंदिर में प्रवेश वर्जित किया गया है। कहा गया है कि हिंदू पुरुष भक्त मंदिर में कटी-फटी जीन्स और छोटे कपड़े पहनकर पूजा नहीं करेंगे। मंदिर के महंत ने इस बारे में एक गाइडलाइन जारी की है, महंत का मानना है कि अशोभनीय वस्त्र पहनने से पूजा करने आए भक्तों का ध्यान भटकता है। मंदिर के बाहर लोगों को जागरूक करने के लिए पर्चे भी लगा दिए गए हैं।

मंदिर के बाहर लगे पर्चे को देखकर पूजा-अर्चना करने आए कुछ भक्तों का कहना है कि महंत जी का यह निर्णय बेहद सराहनीय है। मंदिर में पूजा-अर्चना के दौरान शालीनता वाले ही कपड़े पहनने चाहिए, जिससे कि किसी भक्त का ध्यान ना भटके। इसके अलावा उनका कहना है कि, “मुस्लिमों की एंट्री बैन करने का फैसला भी अच्छी बात है, क्योंकि मुसलमानों का मंदिर से कोई लेना-देना भी नहीं है। महंत जी के इस निर्णय का हम स्वागत करते हैं।”

मंदिर में मुस्लिमों को बैन करने के फैसले के बारे में जब पूछा गया तो महंत योगी कौशलनाथ ने बताया कि मंदिर कमेटी की ओर से निर्णय लिया गया है कि मंदिर में आने वाले गैर हिंदू को पूजा के लिए प्रवेश नहीं दिया जाएगा। पिछले दिनों त्रयंबकेश्वर मंदिर में कुछ मुसलमानों के प्रवेश के बाद एसआईटी गठित की गई थी, इस सिलसिले में तर्क दिया गया कि मुस्लिम पूजा करने के उद्देश्य से मंदिर नहीं आते हैं और ज़रूर उनका कोई ना कोई उद्देश्य रहा होगा जो जांच एजेंसी ही तय कर पाएंगी। अलीगढ़ में ऐसा कोई घटना न घटे इसलिए मंदिर में मुसलमानों के आने से रोक लगाने का निर्णय लिया गया है।

मुज़फ़्फ़रनगर और अलीगढ़ में जारी ऐसे फ़रमान के बाद सोशल मीडिया पर लोग नाराज़गी ज़ाहिर कर रहे हैं। इसके अलावा कई मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि मुज़फ़्फ़रनगर में लिए गए फैसले से कॉलेज के छात्र-छात्राओं में नाराज़गी है। स्टूडेंट्स का कहना है कि "जिन्होंने ये फ़रमान जारी किया है उनकी सोच और विचारधारा पुराने ज़माने की है और ये फ़रमान गलत है... हम इसका अड़कर विरोध करेंगे। क्योंकि मंदिर जाने के लिए केवल श्रद्धा की ज़रूरत होनी चाहिए। अब लड़कियां चांद तक जाती हैं और राफेल तक चलाती हैं तो अब वहां भी बोल दो कि साड़ी पहन कर जाओ। ये तो मन की श्रद्धा होती है कि कितनी है या कितनी नहीं है।"

इसके अलावा एक अन्य छात्र का कहना था कि "उनकी सोच और विचारधारा पुराने ज़माने की है। आज के टाइम में जीन्स-टीशर्ट का ट्रेंड है, युवा ये पहन सकता है। युवा क्या बुजुर्ग भी पहन सकता है। मंदिर परिसर में जीन्स-टीशर्ट क्यों बैन है? क्या वह कपड़े नहीं हैं...ये गलत मानसिकता के लोगों के काम हैं और इन्हें अपनी मानसिकता को बदलनी चाहिए।"

हालांकि ये पहली बार नहीं है कि किसी मंदिर में प्रवेश के लिए विशेष तरह के ड्रेस-कोड लागू किए गए हों, या प्रतिबंध किया गया हो। इससे पहले भी कई मंदिरों में परंपरा मुताबिक़ ऐसा किया जा चुका है।

महाबलेश्वर मंदिर: ये केरल का प्रसिद्ध शिव मंदिर है, इस मंदिर में जीन्स, पैंट, पायजामा, हैट, कैप, कोट और बरमुडा जैसी चीज़ें पहनने पर प्रतिबंध है। मंदिर में दर्शन के लिए पुरुषों को धोती और महिलाओं को साड़ी या सलवार सूट पहननी होती है।

घृष्णेश्वर महादेव मंदिर: ये मंदिर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, यहां भी दर्शन करने के लिए आपको ड्रेस-कोड का पालन करना होगा। महिलाएं यहां ट्रेडिशनल और पुरुषों को दर्शन के लिए ऊपरी हिस्से के कपड़े उतारने पड़ते हैं। इसके अलावा मंदिर में बेल्ट, पर्स जैसी चीज़ें ले जाना बिल्कुल मना है।

महाकाल मंदिर: ये मंदिर मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में है। ये भी भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, इस मंदिर में हर साल भारी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं। बता दें कि इस मंदिर में भी ड्रेस-कोड लगाया गया है। यहां पर जल अभिषेक के लिए महिलाओं को साड़ी और पुरुषों को धोती-कुर्ता पहनना अनिवार्य होता है।

तिरुपति बालाजी: ये हमारे देश का काफी प्रसिद्ध मंदिर है, इस मंदिर में भी ड्रेस-कोड लागू है। यहां पर कोई भी शॉर्ट्स या टी-शर्ट पहनकर नहीं जा सकता। महिलाएं इस मंदिर में सिर्फ़ साड़ी या सलवार सूट ही पहनकर दर्शन कर सकती है।

गुरुवायुर कृष्ण मंदिर: ये मंदिर केरल में है जो कृष्ण को समर्पित है। इस मंदिर में भक्तों के लिए ड्रेस-कोड लगाया गया है। बता दें कि महिलाएं इस मंदिर में सिर्फ़ साड़ी या सूट और पुरुष सिर्फ़ पारंपरिक लुंगी पहनकर ही दर्शन कर सकते हैं।

जिन मंदिरों की सूची अभी हमने आपको दिखाई, यहां पर ड्रेस-कोड को परंपरा के अनुसार लागू किया गया है, लेकिन मुज़फ़्फ़रनगर में फ़रमान के पीछे मर्यादा की बात की जा रही है, जो बेहद शर्मनाक है।

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