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गुजरात सरकार ने कहा कि ऊना के दलित पीड़ितों को नौकरी और ज़मीन नहीं दी जाएगी

“जब आनंदीबेन ऊना गयीं थी तो उन्होंने मीडिया के सामने कहा था कि सरकार उन्हें BPL कार्ड , घर के लिए प्लौट, 5 एकड़ ज़मीन और सरकारी नौकरी देगी I''
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image courtesy : catchnews.com

गुजरात सरकार ने मंगलवार को विधान सभा में कहा कि ऊना में जिन दलितों को पीटा गया था उन्हें कोई ज़मीन या नौकरी नहीं दी जाएगी I सरकार के सामाजिक न्याय मंत्री ने जिग्नेश मेवानी  के एक सवाल के जवाब में ये कहा कि उस समय की मुख्य मंत्री आनंदीबेन पटेल ने ऊना के दलित पीड़ितों को ज़मीन या नौकरी देने का कोई वादा नहीं किया था I

दरअसल वडगांव के विधायक और गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवानी ने विधान सभा में ये सवाल किया था कि क्या गुजरात की उस समय की मुख्य मंत्री आनंदीबेन पटेल ने 2016 में पीटे गए ऊना के 4 दलित युवकों को 5 एकड़ ज़मीन और नौकरी देने का वादा किया था I इसके जवाब में ये कहा गया कि जब इस बात का वादा “ऑन रिकॉर्ड” किया ही नहीं गया तो फिर ये सब करने का कोई सवाल ही नहीं उठता I

2016 में गुजरात के ऊना में 4 दलित युवकों को तथाकथित गौ रक्षकों द्वारा मृत पशु की खाल निकालने के लिए बुरी तरह पीटा गया था और इस घटना का विडियो बनाकर उसे फैलाया भी गया था I इसके बाद दलितों का बहुत बड़ा आन्दोलन खड़ा हुआ था जिसका नेतृत्व जिग्नेश मेवानी ने किया, इस आन्दोलन के दौरान हज़ारों दलितों ने मृत पशु के निकाल का काम न करने और हर दलित के लिए 5 एकड़ ज़मीन की माँग की थी I

दलित युवकों को पीटे जाने की घटना के बाद उस समय की मुख्य मंत्री आनंदीबेन उनके घर गयी थी और उन्हें नौकरी और ज़मीन देने का वादा किया था I ये बात खुद एक दलित पीड़ित ने मीडिया से बात करते हुए कही, साथ ही जिग्नेश मेवानी से भी सोशल मीडिया पर एक विडियो क्लिप जारी की है जिसमें आनंदीबेन ज़मीन और नौकरी का वादा करती दिख रहीं हैं I

जिगनेश ने अपने बयान में कहा कि “जब आनंदीबेन ऊना गयीं थी उन्होंने मीडिया के सामने कहा था कि सरकार उन्हें BPL कार्ड , घर के लिए प्लौट, 5 एकड़ ज़मीन और सरकारी नौकरी देगी I पर अब सरकार अपनी बात से पीछे हट रही है , यही वजह है कि गुजरात के 50 लाख दलितों को रूपाणी सरकार पर कोई भरोसा नहीं है I”

हमें ये याद रखना होगा कि गुजरात में दलितों के लिए ज़मीन का मुद्दा उनकी मुख्य मांगों में रहा है I ऐसा इसीलिए क्योंकि गुजरात के बहुत से इलाकों में खेती की ज़मीन जो कि कागजों पर उन्ही की है , या तो अब तक सरकार द्वारा उन्हें आवंटित नहीं की गयी या फिर उनपर दबंग जातियों द्वारा कब्ज़ा कर लिया गया है I इस वजह से बहुत बड़ी संख्या में गुजरात के दलित खुद ही की ज़मीन पर खेत मजदूरों की तरह काम कर रहे हैं I यही वजह थी कि फरवरी 2018 में राष्ट्रीय दलित अधिकार से जुड़े भानु भाई वाल्कर ने दो दलित परिवारों को उनकी ज़मीन 5 साल के बाद भी न दिए जाने पर खुदख़ुशी कर ली थी I

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