Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

भारत के सार्वजनिक उपक्रमों को तबाह करना भाजपा की विचारधारा का हिस्सा है 

कंपनियों के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स सहित सार्वजनिक उपक्रमों पर पूर्ण नियंत्रण के ज़रिये, भाजपा सुनिश्चित कर रही है कि सार्वजनिक उपक्रमों के मामले में किए गए निर्णय ख़ुद संस्थानों के ख़िलाफ़ हों।
bjp

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुखपत्र पांचजन्य द्वारा दिल्ली पुलिस मुख्यालय के ठीक बाहर ऊपर लगाई गई होर्डिंग की तस्वीर में (जो तस्वीर इस लेख के साथ संलग्न है) अगर किसी भी चीज की ओर इशारा करती है, तो वह यह कि सार्वजनिक क्षेत्र बर्बाद हो गए है। पांचजन्य, जो आरएसएस का साप्ताहिक समाचार पत्र है, ने दिल्ली के होटल ले मेरिडियन में सस्टेनबिलिटी यानि सतत विकास पर एक सम्मेलन आयोजित किया - जिसकी कुछ साल पहले कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।

यह होर्डिंग अभी भी दीवारों पर लटकी हुई है, बावजूद इस तथ्य के कि यह सम्मेलन एक महीने पहले हुआ था। एनडीएमसी ने इसे अभी तक नहीं हटाया है या आयोजकों से इसकी फीस ली है,  इसका किसी को खास अनुमान नहीं है।

इसके अलावा, अखबार ने इस तरह के सम्मेलन को आयोजित करने के लिए बहुत पैसा खर्च किया है। हालांकि, पैसा अखबार के खजाने से नहीं आया, जैसा कि इस बड़े होर्डिंग से स्पष्ट है; कुछ सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों और सरकारी कंपनियों ने इसके आयोजन को फंड किया है। इस आयोजन का खर्च उठाने वाले कुछ संस्थानों में, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड, नमामि गंगे और वाप्कोस शामिल हैं। उपरोक्त उपक्रमों के सीएसआर फंड का इस्तेमाल आरएसएस के मुखपत्र के कार्यक्रम के लिए किया जा रहा है!

सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के खिलाफ आरएसएस और उसके राजनीतिक संगठन  भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दुश्मनी कभी भी छिपी नहीं है। दरअसल, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के गठन के समय से ही वे इन्हे भारत में विकास में रोड़ा मानते आए हैं। लेकिन अब वे सरकार चला रहे हैं और इसलिए वे इन सार्वजनिक उपक्रमों के बारे में निर्णय लेने की व्यवस्था को भी नियंत्रित करते हैं। यह कुछ ऐसा है जैसे संस्थागत व्यवस्था ही स्थापित व्यवस्था से छुटकारा पाना चाहती है। पीएसयू को खत्म करने के मामले में 2014 के बाद लिए गए हर फैसले के विवरण में जाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि भाजपा ने वास्तव में, इनके बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स में अपने लोगों को घुसा दिया है और सबसे आकर्षक और लाभ कमाने वाले पीएसयू पर नियंत्रण पा लिया है।

इस प्रकार, पीएसयू पर इस नियंत्रण के माध्यम से, जैसा कि पांचजन्य सम्मेलन में देखा गया है, जहां सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों ने दिल्ली में एक सात सितारा होटल में एक भव्य शैली में एक आरएसएस सम्मेलन को वित्त पोषित किया, भाजपा ने यह भी सुनिश्चित किया कि इन सार्वजनिक उपक्रमों में लिए गए निर्णय, खुद संस्थाओं के खिलाफ हों। 

'इंडिपेंडेंट' डायरेक्टर्स: सबसे ज़्यादा बीजेपी से 

द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा 2021 में की गई एक स्वतंत्र रपट में, एक आरटीआई जांच के माध्यम से यह पता लगाया कि सार्वजनिक उपक्रमों के महारत्न, नवरत्न और मिनी रत्न श्रेणियों में, 172 स्वतंत्र बोर्ड निदेशकों में से 86 भाजपा के थे। उनमें से कुछ को तो खुद के लिए आवंटित पीएसयू के कामकाज की ज़रा भी समझ नहीं है या उनके पास प्रासंगिक विशेषज्ञता नहीं है।

इन स्वतंत्र/भाजपा निदेशकों द्वारा नियंत्रित तीन वर्षों में 25,000 करोड़ रुपये के कारोबार वाले कुछ महत्वपूर्ण सार्वजनिक उपक्रमों के नाम इस प्रकार हैं:

भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड

मनीष कपूर: उत्तर प्रदेश भाजपा के उप-कोषाध्यक्ष हैं। इन्हे 30 जनवरी, 2020 को पीएसयू बोर्ड में नियुक्त किया गया था।

राजेश शर्मा: भाजपा सीए सेल, उत्तर प्रदेश के पूर्व राष्ट्रीय संयोजक हैं जिन्हे 20 फरवरी, 2019 को नियुक्त किया गया था।

राज कमल बिंदल: 1996 से भाजपा सदस्य हैं। उन्हे 30 जनवरी, 2020 को पीएसयू में शामिल किया गया। 

इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड

राजेंद्र अर्लेकर: पूर्व अध्यक्ष, गोवा विधानसभा; तथा पूर्व मंत्री। 24 जुलाई 2019 को पीएसयू में शामिल हुए।

लता उसेंडी: उपाध्यक्ष, छत्तीसगढ़ भाजपा; पूर्व मंत्री; पूर्व विधायक कोंडागांव।

स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड

एन शंकरप्पा: राज्य कार्यकारिणी सदस्य, कर्नाटक भाजपा; पूर्व एमएलसी; पूर्व में ओबीसी आयोग के अध्यक्ष भी थे।

हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड

जी राजेंद्रन पिल्लई: केरल भाजपा के राज्य कार्यकारिणी सदस्य; 1996 का विधानसभा चुनाव हार गएथे।

गेल लिमिटेड

बंटो देवी कटारिया: रतन लाल कटारिया की पत्नी, जो सामाजिक न्याय और अधिकारिता के  यूनियन राज्य मंत्रीहैं।

पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड

ए आर महालक्ष्मी: उपाध्यक्ष, तमिलनाडु भाजपा; 2016 का विधानसभा चुनाव हार गए थे।

शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड

विजय तुलसीरामजी जाधो: 2009 और 2014 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भाजपा उम्मीदवार; दोनों बार हारे।

मावजीभाई बी सोरथिया: सीए सेल के संयोजक, गुजरात बीजेपी; अंजार के पूर्व मेयर।

एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड

ज्योति किरण शुक्ला: पूर्व प्रवक्ता, राजस्थान भाजपा; राज्य वित्त आयोग की पूर्व अध्यक्ष रही हैं।

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड

एस मल्ला रेड्डी: भाजपा, तेलंगाना की पूर्व उपाध्यक्ष।

हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (पांचजन्य आयोजन के पार्टनर्स में से एक)

सुभाष शर्मा: महासचिव, पंजाब भाजपा।

भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण

कसम वेंकटेश्वरलु: सचिव, तेलंगाना भाजपा; और जो 2009 और 2014 में विधानसभा चुनाव का हारे थे।

सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड

शुभ कश्यप: भाजपा छत्तीसगढ़ राज्य कार्यकारिणी सदस्य; जो 2018 का विधानसभा चुनाव हार गए थे।

सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड

रश्मि सिंह: यूपी बीजेपी से हैं; और 2012 का विधानसभा चुनाव लड़ा था।

उपरोक्त सभी नियुक्तियों के बारे में इंडियन एक्सप्रेस को बताया गया कि स्वतंत्र डाइरेक्टर्स के भाजपा के सदस्य होने और सार्वजनिक उपक्रमों के बोर्डों में उनकी नियुक्ति के बीच कोई हितों का टकराव नहीं है।

निर्णय लेने को प्रभावित करना

ये देश के सार्वजनिक उपक्रमों का नेतृत्व करने के मामले में सरकार द्वारा चुने गए बोर्ड में 'स्वतंत्र' निदेशकों के कुछ नाम हैं। ये सभी न केवल भाजपा से हैं, बल्कि सार्वजनिक उपक्रमों के खिलाफ एक अंतर्निहित एजेंडा रखते हैं और संस्थानों को भीतर से खत्म करने के लिए दृढ़ इरादा रखते हैं।

ऐसे मामले हैं जहां इन 'स्वतंत्र' निदेशकों ने संबंधित सार्वजनिक उपक्रमों के हितों के खिलाफ काम किया है। विश्वसनीय स्रोतों से यह पता चला कि उनके लगभग सभी हस्तक्षेपों में कार्यप्रणाली समान थी, और वह यह है कि: पीएसयू को कुछ लाभदायक कार्यों के लिए बोली लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी, और इसके बजाय, संस्थान पर भारी खर्च का बोझ जारी रहेगा। "सतत विकास" की आड़ में पांचजन्य सम्मेलन जैसे आयोजनों को सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा प्रायोजित करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, और वह भी महंगे होटलों में जो उन्हें किसी भी तरह से लाभ नहीं देते हैं। आरएसएस और उसके संगठनों ने, वास्तव में, सरकारी तंत्र का इस्तेमाल न केवल अपने खजाने को भरने के लिए किया है बल्कि सार्वजनिक उपक्रमों के पतन को सुनिश्चित करने के लिए भी किया है।

अप्रैल 2022 में हैवी इंडस्ट्रीज मंत्रालय द्वारा आयोजित कॉरपोरेट गवर्नेंस पर एक निदेशक के सम्मेलन में, किसी भी कार्यात्मक निदेशक को अपने विचार रखने की अनुमति नहीं दी गई थी और केवल 'स्वतंत्र' निदेशकों ने राजनीतिक ओवरटोन के साथ भाषण दिए थे। 

कार्यात्मक निदेशकों की तुलना में स्वतंत्र निदेशकों का अनुपात भी चिंता का विषय है। जानबूझकर, सरकार कई सार्वजनिक उपक्रमों में कार्यात्मक निदेशकों की नियुक्ति नहीं कर रही है, और इस प्रकार, उनके निर्णय लेने को प्रभावित कर रही है।

इन सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारियों, जिनमें से कुछ को अलग-अलग बैनरों के तहत संगठित किया गया है, को चुप रहने के लिए कहा गया है और यहां तक कि पीएसयू पर इस तरह के हमलों के खिलाफ आवाज उठाने पर उन्हें कथित तौर पर धमकाया भी जा रहा है।

इस पूरी कवायद का दुर्भाग्यपूर्ण हिस्सा यह है कि इन सार्वजनिक उपक्रमों के कामकाज के बारे में सार्वजनिक डोमेन में शायद ही कुछ मिले, जबकि लोग सोचते हैं कि उनकी अक्षमता ही उनके पतन का कारण है। हालांकि,वास्तव में यह सब बाहर और भीतर दोनों एक तय योजना के साथ किया जा रहा है, जिनका मकसद इन सार्वजनिक उपक्रमों को खत्म करना और उन्हें कम कीमतों पर बेचना और निजी पूंजी को सौंपना है।

आरएसएस और उसके साथी जो 'राष्ट्रवादी ताकतें' होने का दावा करते हैं, देश की नींव यानी आत्मनिर्भरता पर प्रहार कर रहे हैं, जिसके लिए इन सार्वजनिक उपक्रमों ने बहुत योगदान दिया है। भाजपा का राष्ट्रवाद संसाधनों का घोर निजीकरण करने का राष्ट्रवाद है, जो न केवल आर्थिक विकास के लिए बल्कि भारतीय राष्ट्रवाद के लिए भी हानिकारक है।

ऐसी पृष्ठभूमि में, सतत विकास के नाम पर आरएसएस के कार्यक्रम, एक छलावा है और असल मक़सद तो अपने राजनीतिक हितों को पूरा करने के लिए सरकारी खजाने का इस्तेमाल करना है। 

मूल रूप से अंग्रेज़ी में प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करेंः4

Imploding India's PSUs: The BJP Handbook

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest