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33वें अफ़्रीकन यूनियन शिखर सम्मेलन ने ट्रंप के फ़िलिस्तीन समझौते को ख़ारिज किया

'बंदूक राज ख़त्म करके अफ़्रीका के विकास के लिए अनुकूल स्थिति पैदा करना' के विषय पर अफ़्रीकन यूनियन(एयू) का शिखर सम्मेलन एथियोपिआ की राजधानी अदीस अबाबा में हो रहा है। एयू में फ़िलिस्तीन को प्रेक्षक का दर्जा मिला हुआ है।
African Union Summit

अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा फ़िलिस्तीन प्रस्तावित किए गए तथाकथित "शांति योजना" को अदीस अबाबा में चल रहे एयू के 33वें शिखर सम्मेलन ने नकार दिया है। अफ़्रीकन कमीशन के चेयरमैन मूसा फकी महामत ने कहा कि यह प्रस्ताव एयू के चार्टर का उल्लंघन करता है, और इसे फ़िलिस्तीनी जनता से कोई मशविरा किए बग़ैर पेश किया गया है। एयू में फ़िलिस्तीन को प्रेक्षक का दर्जा मिला हुआ है।

9 फरवरी को एयू शिखर सम्मेलन के उदघाटन में बोलते हुए प्रधानमंत्री मोहम्मद शती ने कहा, "हमें गर्व है कि अफ़्रीका फ़िलिस्तीनी जनता के साथ राजसी तरीक़े से खड़ा है। हम मानते हैं कि इसे 1967 की सरहदों के हिसाब से होना चाहिए जिसमें यरूशलम को राजधानी माना जाए।"

इस शिखर सम्मेलन का विषय "बंदूक राज ख़त्म करके अफ़्रीका के विकास के लिए अनुकूल स्थिति पैदा करना" है।

दक्षिण अफ़्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा एयू के नए चेयरमैन हैं, इससे पहले इसके चेयरमैन इजिप्ट के राष्ट्रपति अब्दुल फ़तह अल सीसी थे। उनके अनुसार, इस साल एयू की प्राथमिकताओं में लिबया में युद्ध ख़त्म करना और दक्षिणी सुडान में संघर्ष और लड़ाई ख़त्म करना शामिल होगा। 

लिबया में पिछले 2011 यानी पिछले 9 साल से जंग जारी है। 2011 में नैटो सुरक्षा बलों लंबे समय तक राष्ट्रपति रहे मुअम्मर गद्दाफ़ी को सत्ता से हटा कर देश में तनाव का माहौल पैदा कर दिया था। दक्षिण सूडान 2013 से राष्ट्रपति स्लावा कीर और रीक मचर के नेतृत्व वाले विपक्षी दलों में लड़ाई जारी है।

एयू में अफ़्रीका महाद्वीप के सभी 55 देश शामिल हैं। इसकी स्थापना 1999 में लिबया में हुई थी, अदीस अबाबा में इसका मुख्यालय बनाया गया था।

शिखर सम्मेलन के उदघाटन में बोलते हुए संयुक्त राष्ट्र के सेक्रेटरी जनरल अंटोनिओ गटरेस ने कहा कि अफ़्रीका के सामने 3 बड़ी चुनौतियाँ हैं - ग़रीबी ख़त्म करना, जलवायु संकट के बारे में क़दम उठाना और बंदूक राज को ख़त्म करना। अल-जज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, "बंदूक राज ख़त्म करने का मतलब सिर्फ़ शांति और सुरक्षा नहीं है, बल्कि इसके साथ भविष्य के लिए विकास और मानवाधिकार का सवाल भी शामिल है।"

साभार : पीपल्स डिस्पैच

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