इस दौर में न सिर्फ़ वास्तविक मज़दूरी में कमी हो गयी है बल्कि ग्रामीण कामगार ग़रीबों के लिए सामाजिक सुरक्षा भुगतानों में भी वास्तविक मूल्य के लिहाज से कटौतियां कर दी गयी हैं।
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