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अफ़ग़ानिस्तान : कोविड-19 की वजह से पोलियो की दवाई रुकने से मरीज़ बढ़े

हालांकि पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और नाइजीरिया के अलावा सारे देश पोलियो मुक्त हो चुके हैं। डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है कि अगर दवाई रोक दी जाती है, तो पोलियो के साथ साथ अन्य बीमारियाँ भी वापस आ सकती हैं।
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सोमवार 4 मई को अफ़ग़ानिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐलान किया कि देश में पोलियो के 6 नए मामले दर्ज किए गए हैं। अब देश में कुल मामलों की संख्या 11 हो गई है। नए मामले सामने आने की वजह यह है कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से अन्य बीमारियों की दवाई को रोक दिया गया है।

जब से कोरोना महामारी फैली है, विभिन्न देशों ने स्टाफ़ की कम की वजह से अन्य नियमित दवाइयों और इलाज को बंद कर दिया है।
 
विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्ल्यूएचओ) ने पिछले महीने ही देशों को चेतावनी दी थी कि नियमित इलाज और दवाइयों ने समझौता न किया जाए। डब्ल्यूएचओ चीफ़ डॉ टेडरोस ने कहा था, "हमें दवाइयों से ठीक होने वाली बीमारियों से लड़ने में समझौता नहीं करना चाहिए, क्योंकि अगर इलाज नहीं हुआ तो ये वापस आ सकती हैं।"

TOLO न्यूज़ के मुताबिक़ अफ़ग़ानिस्तान में 10 मिलियन बच्चे 5 साल से कम उम्र के हैं जिन्हें दवाई की ज़रूरत है। हालांकि, उनमें से 2 मिलियन को देश में जारी जंग और विवाद की वजह से दवाई नहीं दी गई है। मार्च में कोविड-19 के फैलने के बाद से दवाई एकदम रोक दी गई है।

इसी दौरान Save The Children के द्वारा छपी एक रिपोर्ट में कहा गया था कोरोना महामारी की वजह से खाने की क़ीमतों में हुई बढ़त की वजह से 7 मिलियन तक बच्चे "भुखमरी, बीमारी और मौत" का शिकार हो सकते हैं।

जब मार्च से जंग के शिकार अफ़ग़ानिस्तान में लॉकडाउन लागू हुआ है, ज़रूरी चीज़ों की क़ीमतें बहुत बढ़ गई हैं। रिपोर्ट में बताया गया, "आटा और तेल की क़ीमतों में 23 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हुआ है, जबकि चीनी और दालों की क़ीमतों में 7 से 12 प्रतिशत तक का इज़ाफ़ा हुआ है।"

स्टडी में बताया गया है कि, "इस (स्वास्थ्य) संकट से पहले 2020 में मानव सहायता की ज़रूरत देश के 5.26 मिलियन बच्चों को थी।"

स्टडी में यह भी बताया गया कि अफ़ग़ानिस्तान के कामकाजी वर्ग का बड़ा हिस्सा असंगठित क्षेत्र पर निर्भर करता है, जहाँ सुरक्षा के कोई साधन नहीं है और काम भी कम है। यह भी बताया गया है कि लॉकडाउन में काम न मिलने के कारण दिहाड़ी मज़दूरों की दिहाड़ी में भी काफ़ी गिरावट आई है।

फ़िलहाल देश में 1000 लोगों पर 0.3 डॉक्टर हैं। राजनीतिक उथल पुथल जा सबसे गहरा असर अफ़ग़ानिस्तान की स्वास्थ्य व्यवस्था पर पड़ा है।

अफ़ग़ानिस्तान में अब कोरोना वायरस के 2700 मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें 85 लोगों की मौत हो चुकी है। चूंकि टेस्टिंग की संख्या कम है, और मामले भी कम रिपोर्ट हुए हैं इसलिए अनुमान है कि यह संख्या बढ़ सकती है।

साभार : पीपल्स डिस्पैच

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