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हवा में ज़हर घोल रहे लखनऊ के दस हॉटस्पॉट, रोकने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने तैयार किया एक्शन प्लान

वायु गुणवत्ता सूचकांक की बात करें तो उत्तर प्रदेश के ज्यादातर शहर अब भी प्रदूषण के मामले में शीर्ष स्थान पर हैं। इन शहरों में लखनऊ, कानपुर और गाजियाबाद जैसे बड़े शहर प्रमुख हैं।
air pollution
Image courtesy : India Today

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों सात चरणों में होते हुए आज समाप्त हो गया, लेकिन इन चुनावों के लिए राजनीतिक दलों द्वारा किए जाने वाले प्रचारों में साफ हवा का मुद्दा पूरी तरह गायब रहा, जो कि बेहद अहम है खासकर राज्य के शहरों के लिए। दुनिया के प्रदूषित शीर्ष दस शहरों की सूची में अक्सर एक शहर यूपी के होते हैं। इन शहरों में सर्दी के मौसम में तो स्थिति और बदतर हो जाती है। बुजुर्गों, बच्चों और सांस के मरीजों के लिए हालत चिंताजनक हो जाती है।

वायु गुणवत्ता सूचकांक की बात करें तो उत्तर प्रदेश के ज्यादातर शहर अब भी प्रदूषण के मामले में शीर्ष स्थान पर हैं। इन शहरों में लखनऊ, कानपुर और गाजियाबाद जैसे बड़े शहर प्रमुख हैं। वैज्ञानिकों द्वारा समय-समय पर वायु गुणवत्ता को लेकर चिंता जताई जा चुकी है।

वायु प्रदूषण को लेकर एनजीटी के निर्देश पर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा इस समस्या के समाधान के लिए एक्शन प्लान तैयार किया गया है। एक्शन प्लान 22 फरवरी को सभी जिम्मेदार विभागों कार्रवाई के लिए को भेज दिया गया है। हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी लखनऊ में 10 ऐसे स्थाई हॉटस्पॉट चिन्हित किए गए हैं जो शहर में सबसे अधिक प्रदूषण फैला रहे हैं। इन स्थानों पर हमेशा प्रदूषण रहता है। शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स इन्हीं 10 स्थानों की वजह से सबसे अधिक खराब होता है।

शहर में सर्दी के दिनों में प्रदूषण की स्थिति काफी खराब हो जाती है। एयर क्वालिटी इंडेक्स काफी बढ़ जाता है जिसके चलते शहर के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। विभाग ने इसके लिए एक विस्तृत कार्य योजना भी बनाई है। हाल ही में तैयार इस कार्य योजना को बोर्ड से स्वीकृत करा कर सभी जिम्मेदार विभागों के पास भेजा गया है। इस कार्य योजना के हिसाब से सभी विभागों को प्रदूषण नियंत्रण के लिए साल के 12 महीने काम करने हैं।

राजधानी के जिन 10 हॉटस्पॉट को चिन्हित किया गया है उनमें तालकटोरा पहले स्थान पर है। दूसरे स्थान पर आलमबाग है जबकि तीसरे स्थान पर लालबाग क्षेत्र है। वहीं चौथे स्थान पर हजरतगंज जबकि पांचवें स्थान पर चिनहट है। नादान महल छठे स्थान पर है जबकि सातवें पर अमौसी और आठवें पर कैसरबाग है। अंसल एपीआई का स्थान नौवां है वहीं दसवें स्थान पर अलीगंज है।

शहर प्रदूषण बढ़ने का कारण

अब बात करते हैं इन दस क्षेत्रों में प्रदूषण बढ़ने का कारण क्या है। आलमबाग की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा प्रदूषण ट्रैफिक जाम और सड़कों की धूल की वजह से होता है। साफ सफाई बहुत खराब रहती है। धूल उड़ती रहती है।

लालबाग क्षेत्र में कंस्ट्रक्शन का काम काफी होता है जिससे प्रदूषण की स्थिति बनी रहती है। सड़क पर धूल व ट्रैफिक का दबाव भी इस क्षेत्र प्रदूषण फैलता है। वहीं शहर के हजरतगंज में केवल ट्रैफिक की समस्या की वजह से ही प्रदूषण फैलता रहता है। यहां जाम लगना आम बात है।

उधर शहर के चिनहट क्षेत्र की बात करें तो यहां बिना मानक का पालन किए बिल्डिंग के निर्माण होने की वजह से प्रदूषण की स्थिति बनी रहती है। यहां अवैध रूप से खुले में कूड़ा डंप किया जाता है और जलाया जाता है। फुटपाथ तथा कच्ची सड़कें भी प्रदूषण बढ़ाती हैं। ट्रैफिक दबाव भी प्रदूषण बढ़ाता है।

नादान महल रोड इलाके में खुले में निर्माण सामग्री रखी जाती है और उसे बेचा जाता है। कूड़ा भी यहां सबसे ज्यादा जलाया जाता है। उधर अमौसी में औद्योगिक इकाइयों की वजह से सबसे ज्यादा प्रदूषण होता है। टूटी सड़कें तथा कच्चे फुटपाथ, सीएनजी फ्यूल, रिफिल स्टेशन से भी प्रदूषण बढ़ता है।

कैसरबाग इलाके की बात करें तो इस क्षेत्र में भी प्रदूषण की बड़ी वजह ट्रैफिक जाम का होना है। यहां फुटपाथ कच्चा है जिसके चलते प्रदूषण होता है। वहीं अंसल एपीआई इलाके में सबसे ज्यादा प्रदूषण खुले स्थान तथा खाली प्लाटों में कूड़ा कचरा रखने तथा निर्माण व ध्वस्तीकरण से निकलने वाले कचरे से बढ़ता है। नई इमारतों के निर्माण से भी प्रदूषण होता है। अलीगंज में कंस्ट्रक्शन तथा सड़क पर होने वाली धूल की वजह से प्रदूषण बढ़ता है।

प्रदूषण रोकने को लेकर एक्शन प्लान

राजधानी लखनऊ में प्रदूषण रोकने को लेकर तैयार किए गए एक्शन प्लान में कहा गया है कि लखनऊ नगर निगम को शहर की सभी सड़कों की नियमित मरम्मत करानी होगी और सड़कों पर पानी का छिड़काव करना होगा साथ ही सड़क की सफाई मशीनों से करानी होगी और सड़क से धूल खत्म करने के लिए साप्ताहिक धुलाई करनी होगी।

इस प्लान में आगे कहा गया है कि छिड़काव तथा धुलाई के लिए इंडस्ट्री से निकलने वाले ट्रीट पानी के इस्तेमाल का प्लान करना होगा और इंडस्ट्रियल एरिया में ट्रांसफर स्टेशन का निर्माण करना होगा। साथ ही नगर निगम को शहर के कचरे तथा इंडस्ट्री के कचरे को ले जाने की व्यवस्था करनी होगी।

इसमें कहा गया है कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी फैक्ट्रियों में अप्रूव्ड तेल का ही इस्तेमाल हो और नियम तोड़े जाने पर एयर एक्ट के तहत कार्रवाई हो। साथ ही कहा गया है कि जिला प्रशासन तथा उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को औचक इंडस्ट्री का निरीक्षण करना होगा

इस एक्शन प्लान में कहा गया है कि यातायात विभाग को ट्रैफिक मैनेजमेंट प्लान का अनुपालन तत्काल सुनिश्चित कराना होगा और अनाधिकृत रूप से चलने वाली इकाइयों को बंद करना होगा तथा इनके खिलाफ कार्रवाई करनी होगी।

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