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असम चुनाव : बीजेपी 'कुशासन' के ख़िलाफ़ विपक्ष एकजुट   

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, असम कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा ने 15 अक्टूबर को हुई एक संयुक्त बैठक के बाद आगामी चुनावों में कांग्रेस के साथ वाम दलों जिसमें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और सीपीआई (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) भी शामिल हैं के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की घोषणा की है।
असम चुनाव

अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों की दिशा तय करते हुए, असम में विपक्षी दलों ने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के खिलाफ संयुक्त मोर्चा जमाने का फैसला किया है। कांग्रेस, ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट और वामपंथी दलों सहित विपक्षी दल सत्तारूढ़ दल के खिलाफ एकजुट मोर्चा बनाकर 'महागठबंधन' बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

रिपोर्टों के अनुसार, असम प्रदेश कांग्रेस समिति के प्रमुख रिपुन बोरा ने 15 अक्टूबर को एक बैठक के बाद कांग्रेस के साथ वाम दलों जिसमें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और भाकपा (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) शामिल हैं ने संयुक्त रूप से चुनाव लड़ने की घोषणा की है। 

चुनाव से पहले महाजोट से अधिक हमने इस बात पर चर्चा की और फैसला लिया कि सभी भाजपा विरोधी दलों को भाजपा के कुशासन को उखाड़ने के लिए एक मंच पर आना चाहिए। हमने तय किया है कि राज्य भर में भाजपा के कुशासन और जनविरोधी नीतियों के खिलाफ वाम दलों के साथ सड़कों पर संयुक्त विरोध प्रदर्शन, आम सभाएं करने का फैसला किया है। हम जल्द ही विरोध कार्यक्रम का टाइमटेबल तैयार करेंगे। वामपंथी पार्टियां भी इस तरह के महाजोट की आवश्यकता से सहमत हैं। बोरा ने संवाददाताओं से कहा, हम अन्य भाजपा विरोधी दलों को साथ लाने के लिए इस तरह की बैठकें करते रहेंगे।

टेलीग्राफ की रपट के मुताबिक, "पहली संयुक्त बैठक 20 अक्टूबर को हुई थी और पहला संयुक्त विरोध प्रदर्शन दुर्गा पूजा के बाद होगा।"

राज्य सभा सदस्य अजीत कुमार भुइयां द्वारा गठित एक नई क्षेत्रीय पार्टी आंचलिक गण मोर्चा (AGM), जिसे कांग्रेस और एआईयूडीएफ (AIUDF) का समर्थन है, ने भी विपक्षी समूह में शामिल होने की सहमति दे दी है।

दूसरी तरफ, नवगठित रायजोर दल और असम जातीय परिषद ने अब तक विपक्षी गठबंधन से दूर रहने का फैसला किया है, भले ही कांग्रेस कह रही है कि भाजपा के "कुशासन" के खिलाफ एकजुट गठबंधन बनाने के रास्ते खुले हैं। किसान नेता अखिल गोगोई की कृषक मुक्ति संग्राम समिति द्वारा समर्थित रायजोर दल उन 70 अन्य जातीय संगठनों में से है, जिन्होंने राज्य में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध में भाग लिया था। असम जातीय परिषद को ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन और असम जातिताबाद युबा छात्र परिषद ने संयुक्त रूप से लॉन्च किया था,  जो राज्य के सबसे बड़े और प्रभावशाली छात्र और युवा संगठनों में से हैं।

इस बीच, विपक्षी गठबंधन के जवाब में सत्तारूढ़ भाजपा ने एक ध्रुवीकरण अभियान शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने स्वदेशी समुदायों और वास्तविक भारतीयों को "मुगल आक्रमण" के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया जिसके बाद राज्य के वित्त मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मौलाना बदरुद्दीन अजमल की "संस्कृति और सभ्यता" में विश्वास करने वाले लोगों को लताड़ा, जो एक लोकसभा सदस्य और एआईयूडीएफ के प्रमुख हैं।

संयुक्त विपक्ष की आवश्यकता के बारे में बात करते हुए, एपीसीसी प्रमुख ने संवाददाताओं को बताया कि विपक्षी ताकतों को एकजुट होकर भाजपा के मतदाताओं के ध्रुवीकरण करने के खेल की योजना को बेनकाब करना होगा और सत्तारूढ़ दल के तहत होने वाले कथित घोटाले का पर्दाफाश करना होगा। उन्होने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की उस बयानबाजी का हवाला दिया जिसमें भाजपा ने 2021 के चुनावों को सभ्यताओं और संस्कृतियों के "संघर्ष" के रूप में पेश करने की बात कही है, एक ऐसी संस्कृति जिसे अरबों द्वारा "थोपा" गया और मुगलों के आक्रमण से "जारी" रखा गया और इसे रोकने के लिए नवंबर से सरकार द्वारा संचालित मदरसों को "बंद" करने का निर्णय लिया है, जैसा कि टेलीग्राफ द्वारा रिपोर्ट किया गया है।

“भाजपा हिंदू-मुस्लिम विभाजन पर मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने और इतिहास को विकृत करने या फिर से लिखने की कोशिश कर रही है। इस कोशिश का मुकाबला करने के लिए हमें एकजुट होना होगा। मुसलमानों ने भी भारत और असम के निर्माण में योगदान दिया है। बोरा ने कहा कि हम असंवैधानिक सीएए का विरोध करना जारी रखेंगे।

126 सदस्यीय असम विधानसभा का चुनाव अगले साल मार्च-अप्रैल में होने की संभावना है। 2016 के चुनावों ने खंडित जनादेश दिया था और किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था।

वर्तमान सदन में, भाजपा 60 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है, जबकि उसके सहयोगी दल असम गण परिषद (एजीपी) और बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट (बीपीएफ) में क्रमशः 14 और 12 विधायक हैं। सत्तारूढ़ गठबंधन को एक निर्दलीय विधायक का समर्थन भी प्राप्त है।

वर्तमान में कांग्रेस के 23, और एआईयूडीएफ के 14 विधायक हैं।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिेए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Assam Elections: Opposition Alliance to Launch Joint Protest Against BJP’s 'Misrule'

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