Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

विधानसभा चुनाव 2021: दूसरे चरण के चुनाव में अपनी बढ़त बचाने में लगी भाजपा

आज 1 अप्रैल को असम और पश्चिम बंगाल की 69 सीटों पर मतदान हो रहा है।
विधानसभा चुनाव 2021

राज्य में चल रहे विधानसभा चुनावों के लिए 1 अप्रैल को दूसरे चरण के मतदान में असम की 39 और पश्चिम बंगाल की 30 सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं। असम में तीन चरणों में होने वाले चुनावों के पहले चरण में 28 मार्च को 47 सीटों के लिए पहले ही मतदान हो चुका है। आज (1 अप्रैल) के बाद, शेष 40 सीटों के लिए तीसरे और अंतिम चरण का मतदान 6 अप्रैल को होगा। असम विधानसभा में 126 सदस्य हैं, जबकि पश्चिम बंगाल, जहां 292 सदस्यीय विधानसभा है, उसे ग़ैर-मुनासिब तौर पर आठ लम्बे चुनावी चरण से गुजरना पड़ रहा है। वहां पहले चरण में 30 सीटों पर मतदान हुआ था।

भाजपा असम में पारंपरिक रूप से कांग्रेस के गढ़ों में सेंध लगाकर पिछले चुनाव में मिली बढ़त को बरक़रार रखने के लिए लड़ रही है। बंगाल में इस दूसरे चरण में बीजेपी पिछली बार तृणमूल कांग्रेस (TMC) की जीती हुई सीटों पर जीत हासिल करने की कोशिश करेगी।

बंगाल: हाई प्रोफ़ाइल युद्धक्षेत्र

बंगाल में इस चरण में जिन 30 सीटों पर मतदान हो रहे हैं, वे विधानसभा क्षेत्र उस आदिवासी इलाक़े के तहत आते हैं, जिसे जंगल महल के नाम से जाना जाता है। पहले चरण में भी इसी क्षेत्र के 30 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान हुआ था।

इस चरण में बंगाल के उस नंदीग्राम (पूर्बो मेदिनीपुर ज़िला) सहित कुछ सबसे हाई प्रोफ़ाइल निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान होगा, जहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को उनकी अपनी ही पार्टी के दलबदलू और उनके पूर्व विश्वासपात्र उस सुवेंदु अधिकारी का सामना करना पड़ रहा है, जो भाजपा में शामिल हो गये हैं और जिन्हें पार्टी संभावित मुख्यमंत्री के रूप में पेश कर रही है। इन दोनों को चुनौती पेश करते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की नौजवान नेता, मीनाक्षी मुखर्जी खड़ी हैं, जो संयुक्त मोर्चा (लेफ़्ट, कांग्रेस और भारतीय धर्मनिरपेक्ष मोर्चा के संयुक्त मोर्चे) की उम्मीदवार हैं।

2016 के विधानसभा चुनावों में टीएमसी ने इन 30 में से 21 सीटें जीती थीं, जबकि वाम दलों ने पांच, कांग्रेस ने तीन और भाजपा ने महज़ एक सीट पर जीत हासिल की थी। हालांकि, भाजपा को उस 2019 के लोकसभा चुनावों से भरोसा मिला था, जिसमें इसे सभी सीटों पर उम्मीदवारों को कामयाबी मिली थी और इस तरह इस क्षेत्र में उसे एक बड़ा जनादेश मिला था। जानकारों का मानना है कि इस लोकसभा चुनावों से जो वोटिंग पैटर्न सामने आया है, उसे विधानसभा चुनावों के वोटिंग पैटर्न के रूप में प्रोजेक्ट करना सही इसलिए नहीं है क्योंकि हाल के सालों में मतदाताओं ने सरकार के दोनों स्तरों के बीच काफ़ी अंतर रखा है।

बीजेपी इस चुनाव में अन्य पार्टियों (ख़ास तौर पर टीएमसी) के अनुमानित उन 158 दलबदलुओं पर भरोसा कर रही है, जिनमें सुवेंदु अधिकारी सबसे ख़ास हैं। क्या लोग ऐसे उम्मीदवारों पर भरोसा कर पायेंगे या नहीं, यह एक ऐसा सवाल है जो इन चुनावों के भाग्य का फ़ैसला करेगा।

नंदीग्राम में ममता बनर्जी और सुवेन्दु अधिकारी के बीच के मुक़ाबले में दोनों ने राजनीतिक "राज़" से पर्दे उठाते हुए एक दूसरे पर बेशुमार कीचड़ उछालना शुरू कर दिया है। सबसे सनसनीखेज ख़ुलासों में एक ख़ुलासा वह था जिसमें कि ममता बनर्जी ने अपने ही पूर्व सहयोगी रहे शुवेन्दु अधिकारी पर 2007 की कुख्यात नंदीग्राम गोलीबारी की घटना में कई लोगों की मौत के पीछे का मास्टरमाइंड होने का आरोप लगाया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि यह महज़ पुलिस फ़ायरिंग नहीं थी जिसमें 14 लोगों की मौत हो गयी थी बल्कि उनमें से कुछ की हत्या अधिकारी के भाड़े के पुलिसवाले (बिना चप्पल पहने हुए) भी कर रहे थे।

नंदीग्राम वाम मोर्चा शासन के दौरान एक हिंसक आंदोलन का स्थल बन गया था और माना जाता है कि वहां घटी घटनाओं की वजह से ही ममता बनर्जी का तेज़ी से उदय हुआ था। 2011 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने वाम मोर्चा को हरा दिया था।

हालांकि,ज़मीनी रिपोर्टों से इस बात का भी संकेत मिलता है कि इस क्षेत्र के लोग,ख़ास तौर पर अस्थिरता और हिंसा वाले नंदीग्राम में हिंसा के निरंतर चल रहे चक्र से थक चुके हैं और उन वास्तविक मुद्दों पर ज़्यादा ध्यान केंद्रित करना पसंद करेंगे,जिनका इस समय वे सामना कर रहे हैं।

असम: बीजेपी की लड़ाई सीटों को क़ायम रखने की होगी

इस चरण में असम के मध्य और दक्षिणी भाग में मतदान होगे। यह शायद राज्य का सबसे विविधता वाला इलाक़ा है। इन इलाक़ों में अनुसूचित जाति के लिए पांच और अनुसूचित जनजाति के लिए छह सीटें आरक्षित हैं। अनुसूचित जनजाति वाली सीटों में दक्षिणी असम का कार्बी आंगलोंग इलाक़ा शामिल है जिसमें बोडोलैंड की कुछ सीटें भी शामिल हैं। ब्रह्मपुत्र के साथ-साथ इस क्षेत्र के कई निर्वाचन क्षेत्रों में मुसलमानों की आबादी अच्छी-ख़ासी है।

2016 में बीजेपी ने 39 सीटों में से 22 सीटें जीती थीं, कांग्रेस को छह, और उसके सहयोगी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ़्रंट (AIUDF) को पांच सीटें मिली थीं। भाजपा की सहयोगी असम गण परिषद (AGP) को दो सीटें मिलीं थीं, जबकि बोडोलैंड पीपुल्स फ़्रंट (BPF) ने चार सीटें जीती थीं। इस बार बीपीएफ़ ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया है और कांग्रेस के नेतृत्व वाले मोर्चे में शामिल हो गयी है।

बीजेपी इस चुनाव में अपने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण अभियान पर भरोसा कर रही है। उसे अपनी ‘घुसपैठ’ वाली उन बयानबाज़ियों पर वोट पाने की उम्मीद है, जो लगातार बुनियादी तौर पर मुस्लिम विरोधी भावनाओं को तूल देती रही है। हालांकि, सर्बानंद सोनोवाल की अगुवाई वाली इस राज्य में भाजपा सरकार ने बदले हुए नागरिकता क़ानून से सम्बन्धित भाजपा के रुख़ के चलते सभी वर्गों के लोगों में काफ़ी असंतोष पैदा कर दिया है।

मतदान के इस दूसरे दौर के बाद आगामी तीसरे दौर में 6 अप्रैल को सभी चार राज्यों (असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल) और एकमात्र केन्द्र शासित प्रदेश पुडुचेरी को मिलाकर 475 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव होने वाले हैं।

टैग्स: विधानसभा चुनाव 2021, असम चुनाव, पश्चिम बंगाल चुनाव, दूसरा चरण विधानसभा चुनाव, जंगल महल, भाजपा, टीएमसी, ममता बनर्जी, सुवेन्दु अधिकारी, बोडोलैंड पीपुल्स फ़्रंट, असम गण परिषद, एआईयूडीएफ़, कांग्रेस, वाम मोर्चा बंगाल।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Assembly Polls 2021: In Phase 2, BJP Fights to Save Its Advantage

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest