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बाबरी विवाद : धन्नीपुर और अयोध्या के बीच स्पष्ट विरोधाभास

सर्वोच्च न्यायालय के फ़ैसले के महीनों बाद सरकार ने भूमि आवंटन की घोषणा की है, लेकिन अयोध्या इस मुद्दे पर पूरी तरह से विभाजित है।
ayodhya dispute

अयोध्या : अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण को लेकर सरकार द्वारा ट्रस्ट की घोषणा करने से  उत्तर प्रदेश के इस शहर में मुस्लिम समुदाय ख़ुश नहीं है।

बुधवार को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा एक्सपो का उद्घाटन करने के लिए दिल्ली से लखनऊ की  उड़ान भरने से पहले संसद में श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र नामक ट्रस्ट की घोषणा की। मोदी ने कहा कि मंदिर का निर्माण पूरी 67 एकड़ भूमि पर किया जाएगा, जबकि मस्जिद के निर्माण के लिए धन्नीपुर  गांव में भूमि आवंटित की गई है। धन्नीपुर गाँव अयोध्या शहर से लगभग 22 किलोमीटर दूर है और यह स्थल राज्य राजमार्ग से 200 मीटर की दूरी पर है।

नाख़ुश आयोध्या

यह पहले से ही स्पष्ट था कि संत और अयोध्या की पूरी संत बिरादरी इस घोषणा से ख़ुश होगी। हालांकि, हैरानी की बात यह है कि मस्जिद के लिए आवंटित की गई भूमि के स्थान, जो काफ़ी दूर है,  को लेकर हिंदू समुदाय का एक छोटा सा हिस्सा दुखी दिखा।

रजनीश बाल्मीकि ने कही जो पेशे से एक प्रोपेर्टी डीलर हैं, ने कहा, “मस्जिद के लिए दी गई ज़मीन काफ़ी दूरी पर है और लोगों को वहाँ जाने में समस्या का सामना करना पड़ेगा। सरकार को इसे यहीं कहीं आवंटित करना चाहिए था या ऐसा किया होता कि ज़मीन को भले ही सरयू नदी के दूसरे किनारे पर आवंटित कर दिया होता।”

अयोध्या निवासी 39 वर्षीय मोहम्मद लईक काफ़ी गुस्से में हैं। उन्होंने कहा, “उन्होंने पहले मस्जिद को ढहाया और अब वे अयोध्या के बाहर पांच एकड़ ज़मीन देकर इसकी भरपाई कर रहे हैं। यदि आप कहते हैं कि अयोध्या सांप्रदायिक सौहार्द का बड़ा उदाहरण है, तो इसके भीतर ही ज़मीन दी जानी चाहिए थी न कि इतनी दूर।”

“आपके पास निर्णय लेने की ताक़त है और आपने तय कर लिया है। हम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं। लेकिन क्या यह उचित है?” उन्होंने सवाल किया।

हाजी महबूब, अयोध्या-बाबरी टाइटल सूट के प्रमुख वादियों में से एक है। उन्होंने कहा, “इतनी दूर ज़मीन देने का क्या मतलब है। मैं इस फ़ैसले को अस्वीकार करता हूँ।” महबूब ने यह भी कहा कि "गेंद निश्चित तौर पर सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड की पाले में है" क्योंकि उन्हें यह फ़ैसला लेना है कि वे इस फ़ैसले को 24 फ़रवरी को होने वाली बैठक में स्वीकार करेंगे या नहीं।

लेकिन दूसरी तरफ़, शहीद लेन के निवासी इश्तियाक आलम ने इस फ़ैसले की सराहना की, यह उम्मीद जताते हुए कि अयोध्या अब विवादों से मुक्त हो सकता है, और इससे क्षेत्र में अधिक ख़ुशहाली आ सकती है।

ख़ुश होता धन्नीपुर

इस बीच, अयोध्या शहर से लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित धन्नीपुर कस्बा मस्जिद के लिए उसकी ज़मीन को चुने जाने से ख़ुश होता दिखाई दे रहा है। मुस्लिम समुदाय के प्रभुत्व वाला यह कस्बा हरे धान के खेतों से घिरा हुआ है और यहाँ लगभग 70 घर हैं।

एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कहा, "इस क्षेत्र में सांप्रदायिक हिंसा का कोई इतिहास नहीं है और दोनों समुदायों के सदस्य आपसी सौहार्द से रहते रहे हैं।"

धन्नीपुर के 32 वर्षीय ग्राम प्रधान रमेश यादव को उम्मीद है कि अब गाँव पनपेगा। क्योंकि जो लोग भी अयोध्या में भव्य राम मंदिर के दर्शन करने के लिए आएंगे वे उत्सुकता से गाँव का दौरा भी करेंगे। उन्होंने कहा, “यह हमारे गांव के विकास में मदद करेगा।” यादव ने तर्क दिया कि अगर लोग धन्नीपुर आते हैं, तो व्यापार के अवसरों में वृद्धि से गांव को फ़ायदा होगा।

धन्नीपुर गाँव में शाहज़ादा शाह रहमत उल्लाह आलिया की कब्र भी है और यहाँ उनकी याद में एक वार्षिक मेला भी लगता है।

वीएचपी चन्दा अभियान शुरू करेगी

इस परियोजना में प्रत्येक हिंदू की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए, विश्व हिंदू परिषद (VHP) मार्च के महीने से प्रत्येक घर से 11 रुपये और एक ईंट इकट्ठा करने का अभियान शुरू करेगी।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Babri Dispute: The Stark Contrast Between Dhannipur and Ayodhya

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