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बिहार: "मुख्यमंत्री के गृह जिले में दलित-अतिपिछड़ों पर पुलिस-सामंती अपराधियों का बर्बर हमला शर्मनाक"

भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि मुख्यमंत्री के गृह जिले नालंदा के हिलसा में अतिपिछड़ी जाति से आने वाले विरेश चंद्रवंशी की बर्बर किस्म से की गई हत्या, उसके बाद अतिपिछड़े व दलित समुदाय पर ही पुलिस व सामंती अपराधियों द्वारा ढाया गया बर्बर जुल्म तथा पश्चिम चंपारण में पुलिस द्वारा कायम किया जा रहा आतंकराज अत्यंत निंदनीय है। तथाकथित सुशासन की सरकार आज पूरी तरह से सामंती-अपराधियों के पक्ष में खड़ी है और बिहार को 1990 के पहले वाले दौर में धकेल देने को बेचैन है।
nitish kumar

बिहार में तेज़ी से बढ़ते अपराध के बीच नीतीश सरकार के सुशासन की पोल खुलती नजर आ रही है। बिहार में बढ़ते अपहरण, लूटपाट, छेड़खानी , मार-काट, महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। बिहार में जंगलराज का डर लोगों को एक बार फिर से  सताने लगा है। पिछले कुछ दिन से इस तरह की घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है, जिसके बाद कानून-व्यवस्था पर  सवाल उठने  लगा है। अपराध के मामले में पूरे बिहार में कोई  कमीं नही आई, बल्कि ये लगातार बढ़ ही रहा है।

हालिया मामला मुख्यंमत्री के गृह जिले नालंदा की है, जहाँ विगत 18 मार्च को घटित इस घटना की जांच-पड़ताल करने माले विधायक रामबली सिंह यादव के नेतृत्व में एक टीम बुधवार 23 मार्च 2022 को  हिलसा पहुँची। टीम में राज्य कमिटी सदस्य उमेश सिंह, जिला सचिव सुरेन्द्र राम, अरूण यादव व प्रमोद यादव शामिल थे।

भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि मुख्यमंत्री के गृह जिले नालंदा के हिलसा में अतिपिछड़ी जाति से आने वाले विरेश चंद्रवंशी की बर्बर किस्म से की गई हत्या, उसके बाद अतिपिछड़े व दलित समुदाय पर ही पुलिस व सामंती अपराधियों द्वारा ढाया गया बर्बर जुल्म तथा पश्चिम चंपारण में पुलिस द्वारा कायम किया जा रहा आतंकराज अत्यंत निंदनीय है। तथाकथित सुशासन की सरकार आज पूरी तरह से सामंती-अपराधियों के पक्ष में खड़ी है और बिहार को 1990 के पहले वाले दौर में धकेल देने को बेचैन है।

जांच टीम के हवाले से माले विधायक रामबली सिंह यादव ने कहा कि पूरा घटनाक्रम सामंती-अपराधियों के समक्ष नीतीश सरकार के पूरी तरह से आत्मसर्मपण का सबसे ताजा उदाहरण है। हिलसा के नदहां-नदहर गांव के रहने वाले विरेश चंद्रवंशी, जिनकी उम्र 30 वर्ष थी, पटना में जुगाड़ गाड़ी का काम करते थे। होली में वे गांव गए हुए थे, जहां 18 मार्च की सुबह गांव के ही भूमिहार जाति से आने वाले दीपक शर्मा उनको घुमाने गांव ले गया। दीपक 3 बजे लौट आया, लेकिन विनेश चंद्रवंशी नहीं लौटे। जब विनेश चंद्रवंशी की मां व भतीजा राजेश ने इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि खेत में वह गिर पड़ा है और लोग उसे खोजने गए। खेत में उनकी जली अवस्था में लाश मिली।

इस जाँच टीम ने ये भी बताया कि  इससे आक्रोशित ग्रामीण दीपक शर्मा के घर पर पहुंच गए और वहां अजीत शर्मा नाम के युवक को पकड़ लिया। वे भी दीपक शर्मा व विनेश चंद्रंवशी के साथ खेत पर गया था। जब ग्रामीणों ने दबाव बनाया तो अजीत शर्मा ने स्वीकार किया कि पांच लोगों ने मिलकर विरेश चंद्रंवशी की गला दबाकर हत्या कर दी और फिर तेजाब से नहला दिया। इसी बीच सामंती-अपराधियों के ही पक्ष में पुलिस आ गई और 5 राउंड फायरिंग कर दी। पुलिस लाश और अजीत शर्मा को अपने साथ ले गई।

इस बीच दीपक शर्मा की पत्नी ने घर में तोड़-फोड़, लूट आदि का आरोप लगाते हुए दलित-अतिपिछड़े समुदाय के 47 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाते हुए मुकदमा दायर कर दिया। पुलिस ने भी उन्हीं लोगों में से 44 लोगों को नामजद व कई अज्ञात के खिलाफ एफआइआर कर दी। हास्यास्पद बात यह है कि इसमें 10 वर्ष का राजेश, राजा कुमार और भोला कुमार, जिनकी उम्र 3 वर्ष बताई जा रही है, नीरज कुमार, जिनकी उम्र 10 वर्ष जैसे कई नन्हें उम्र के बच्चों को नामजद अभियुक्त बनाया गया है।

21 मार्च की रात में फिर पुलिस आ धमकी और गरीब टोलों में कोहराम मचा दिया। लोगों के किवाड़ी तोड़े गए, पिटाई की गई और पैसों की लूटपाट की गई। पुलिस 27 लोगों को थाना ले गई और रात भर पिटाई की। अगले दिन भी पिटाई जारी रही और फिर 6 लोगों को जेल भी भेज दिया। टीम ने पाया कि पुलिस ने 62 वर्षीय उर्मिला देवी को उनकी पोती के सामने मुर्गा बनने पर विवश भी किया।

जिले के एसपी का बयान है कि विनेश चंद्रवंशी की मौत बिजली के करंट से हुई है, जबकि जांच दल ने पाया कि वहां पर कोई भी बिजली का खंभा ही नहीं है। एसपी खुद पुलिस अत्याचार को दबाने में लगे हैं।

टीम ने बताया कि उसी तरह होली के दिन पश्चिम चंपारण के सिकटा प्रखंड के हाजत में अनिरूद्ध यादव की मौत के बाद उपजे जनता के आक्रोश के बाद पुलिस ने इलाके में आतंक का राज कायम कर दिया है। 700 से अधिक लोगों पर मुकदमा दायर किया गया है। माले विधायक वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने कहा है कि हाजत में मौत के बाद जनता का आक्रोश स्वभाविक था, लेकिन बजरंग दल के लोगों ने उसे हिंसक स्वरूप प्रदान कर दिया। इसकी जांच होनी चाहिए और पुलिस को भी दमनात्मक कार्रवाई से बाज आना चाहिए। 

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