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रूस को अमेरिकी जवाब देने में ब्लिंकन देरी कर रहे हैं

रूस की सुरक्षा गारंटी देने की मांगों पर औपचारिक प्रतिक्रिया देने की समय सीमा नजदीक आने के साथ ही अमेरिकी कूटनीति तेज हो गई है।
Antony Blinken
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने यूक्रेन पर रूस के आसन्न हमले की चेतावनी दी है, लेकिन उन्हें इसे मनवाने के लिए सहयोगियों को जुटाने की जद्दोजहद करनी पड़ रही है। (फाइल फोटो।) 

यूक्रेन पर रूसी हमला होने ही वाला है, इसकी डुगडुगी पीटने के लिए अमेरिकी विदेश विभाग ने आनन-फानन में एक विशेष प्रेस कॉन्फ्रेंस की; विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने सबको चकित करते हुए अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से फोन पर बातचीत कर ली और इसके बाद शुक्रवार को जिनेवा में उनके साथ एक बैठक भी रख ली; गुरुवार तक कीव और बर्लिन का तूफानी दौरा कर लिया, इस तरह अमेरिकी कूटनीति रूस की सुरक्षा गारंटी की मांगों पर औपचारिक प्रतिक्रिया देने की समय-सीमा नजदीक आने के साथ ही काफी तेज हो गई। 

मंगलवार को प्रेस को ब्रीफिंग देने वाले विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रूसी और बेलारूसी सेनाओं के बीच हुए संयुक्त सैन्य अभ्यास में कुछ भयावह पा लिया। इसी बिना पर उन्होंने संदेह जता दिया कि "बेलारूस यूक्रेन पर रूस के नियोजित आक्रमण में एक किरदार हो सकता है।"

हालांकि उस अधिकारी को यह नहीं पता था कि इस संयुक्त सैन्य अभ्यास का पैमाना क्या है या इनमें शामिल होने वाले सैनिकों की तादाद कितनी है। 

वास्तव में, ओएससीई के वियना समझौते 2011 के तहत होने वाले ऐसे सैन्य अभ्यास को पहले से अधिसूचित करने की भी आवश्यकता नहीं है, जिसमें 9000 से कम सैनिक हिस्सा लेते हों। लेकिन वाशिंगटन हमें यकीन दिलाएगा कि रूस कुछ हज़ार सैनिकों की एक मामूली सेना के साथ ही बेलारूस की सीमा के पार यूक्रेन पर आक्रमण करने की योजना बना रहा है! 

अब, यह स्पष्ट पृष्ठभूमि है, जिसमें अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन वाशिंगटन से एक प्रफुल्लित करने वाली परिकल्पना के साथ कीव, बर्लिन और जिनेवा के दौरे पर रवाना हुए हैं। 

हालांकि, यह कहते हुए भी वहां की बिगड़ती स्थिति की गंभीरता को कम करके आंकना नहीं है। मॉस्को को उम्मीद है कि वाशिंगटन इस हफ्ते के आखिर तक कानूनी रूप से बाध्यकारी सुरक्षा गारंटी के उसके प्रस्ताव पर लिखित में कोई प्रतिक्रिया देगा। इसी प्रतिक्रिया के आधार पर मॉस्को भविष्य की अपनी कार्रवाई पर कोई फैसला करेगा।

लावरोव ने मंगलवार को मास्को में जर्मन की विदेश मंत्री एनालेना बारबॉक की मौजूदगी में कहा कि अमेरिका के साथ आगे की कोई भी बातचीत वाशिंगटन की इसी लिखित प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगी, "जैसा कि हमसे वादा किया गया था।" 

बुधवार को, उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने रेखांकित किया कि नाटो के विस्तार पर सीमित अवधि के लिए रोक रूस को मान्य नहीं होगा। उन्होंने कहा, "नहीं, यह परिदृश्य तो अस्वीकार्य है। हमें अमेरिका के साथ एक द्विपक्षीय समझौता और नाटो के साथ एक बहुपक्षीय समझौते के रूप में नाटो के गैर-विस्तार के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी एक गारंटी की आवश्यकता है।"  

रयाबकोव ने समझाया कि मास्को को नाटो के गैर-विस्तार की 100 फीसदी वाले इस "बुलेटप्रूफ" गारंटी की आवश्यकता क्यों है। उन्होंने कहा, "हमने अतीत में कई बार यह अनुभव किया है, कि जब बाहर से आकर्षक लगने वाले ऐसे फॉर्मूले जल्दी ही भुला दिए गए, उनमें अंदर ही अंदर बदलाव कर दिया गया और उन्हें बिल्कुल विपरीत दिशा में रूपांतरित कर दिया गया … (इसलिए) हम ऐसी एक और तरकीब से संतुष्ट नहीं हो सकते।" 

सीधे-सरल शब्दों में कहें, ताजा आकस्मिक युद्ध उन्माद फैलाने के पीछे बाइडेन प्रशासन की मंशा इस सप्ताह के अंत तक मास्को को एक लिखित प्रतिक्रिया सौंपने की प्रतिबद्धता से इनकार के रूप में दिखाई देती है। 

वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, "यह स्पष्ट नहीं है कि संयुक्त राज्य अमेरिका पिछले सप्ताह से रूस द्वारा की जा रही उसकी प्रमुख मांगों पर लिखित में कोई प्रतिक्रिया देगा, जिसके लिए मास्को मौजूदा गतिरोध को हल करने के लिए जरूरी बताते हुए जोर दे रहा है...विदेश विभाग के अधिकारी ने इस सवाल को टाल दिया कि क्या वाशिंगटन केवल यह कहते हुए कि संयुक्त राज्य अमेरिका "सुरक्षा मुद्दों" पर रूस को भी शामिल करने पर तैयार है, इस आशय की लिखित प्रतिक्रिया देगा?

लावरोव और रयाबकोव शायद इस समय ब्लिंकन के तूफानी यूरोपीय दौरे पर एक चूहे की गंध महसूस कर रहे हैं। इस मामले की तह यह है कि यूरोपीय सहयोगियों ने यूक्रेन में रूसी सैनिकों की तैनाती पर मास्को के खिलाफ सख्त कदम उठाने का वादा तो किया है, लेकिन जब बारीकियों की बात आती है, तो यह स्पष्ट नहीं होता कि वे ऐसा करने के लिए तैयार भी हैं। इस पर सहयोगी दल खनक के साथ एकजुट नजर नहीं आ रहे हैं। 

मंगलवार को, जर्मनी के हैंडल्सब्लैट अखबार ने जर्मन सरकार के सूत्रों का हवाला देते हुए बताया कि पश्चिमी सरकारें स्विफ्ट वैश्विक भुगतान प्रणाली से रूसी बैंकों को काटने पर विचार नहीं कर रही हैं। इस खबर के कुछ ही घंटों में, रूसी रूबल ने अपनी बढ़त हासिल कर ली थी! 

इसका मतलब है कि तथाकथित "परमाणु विकल्प" प्रतिबंध पैकेज में उनके विचार के दायरे से बाहर है। जाहिर है, यूरोपीय देश साइबेरियाई गैस पर अपनी भारी निर्भरता को देखते हुए रूस के साथ अपने आर्थिक और वित्तीय संबंधों को तोड़ने का जोखिम नहीं उठा सकते। बर्लिन में, अर्थव्यवस्था मंत्रालय ने खुलासा किया है कि 11 जनवरी तक जर्मनी में केवल 17.7 दिन की "सैद्धांतिक कार्यशील गैस की उपलब्धता" है।

विगत 21 दिसम्बर से ही रूसी गैस की आपूर्ति बंद है और गज़प्रोम ने यमल पाइपलाइन के माध्यम से यूरोप में फरवरी तक गैस आपूर्ति की क्षमता नहीं दिखाई है। कुल मिलाकर, 12 जनवरी तक कुल यूरोपीय भंडारण 49.33 फीसदी थीं। 

स्पष्ट रूप से, कुछ प्रमुख यूरोपीय सहयोगियों ने रूस पर भारी आर्थिक दंड लगाने के लिए कम उत्साह दिखाया है, इस डर से कि एक झटका उनकी अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, या रूसी गैस आपूर्ति को खतरे में डाल सकता है जिसकी उन्हें गंभीर आवश्यकता है। 

बुनियादी सवाल यह है कि आप एक शानदार खनिज संसाधनों से सम्पन्न एवं $650 अरब अमेरिकी ड़ॉलर से अधिक विदेशी भंडार वाले देश के विरुद्ध ऐसे प्रतिबंधों को कैसे मंजूरी दे सकते हैं? अगर तेल $40 प्रति बैरल के भाव पर बिकता है तो रूस अपना बजट संतुलित कर लेता है।  

फिर से, अमेरिका ने नॉर्ड स्ट्रीम 2 की पाइप लाइन के प्रमाणन को रोककर रूस को दंडित करने की जो धमकी दी है, वह केवल अवास्तविक है। सरकारी दैनिक रोसियस्काया गजेटा ने बुधवार को टिप्पणी की कि प्रमाणन में देरी से रूस को कोई वित्तीय नुकसान नहीं हो रहा है क्योंकि उच्च गैस की कीमतों ने इस परियोजना में सभी निवेशों को मुआवजा दिया है और अब निर्यात की नई संभावनाएं पैदा करने के लिए रूस अपने को एलएनजी उत्पादन का विस्तार करने और गैस रूपांतरण की तरफ बढ़ने के लिए प्रेरित कर सकता है। 

बुधवार को स्ट्रासबर्ग में यूरोपीय संसद को संबोधित करते हुए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा, "जब मैं अपने तेल और गैस आयात को देखता हूं, तो मुझे लगता है कि हम रूस से स्वतंत्र नहीं हैं। हम कल स्वतंत्र नहीं होंगे लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमें रूस के साथ गंभीर संबंध बनाना चाहिए; इसके विपरीत, वे हमारे लिए बहुत से लाभ लाते हैं।” मैक्रों का जल्द ही मास्को जानेवाले हैं। 

दरअसल, मंगलवार को मॉस्को की अपनी यात्रा के दौरान, जर्मन की विदेश मंत्री बारबॉक ने भी रूस को लेकर ब्लिंकन के अतिशयोक्तिपूर्ण खतरों, उनके युद्ध उन्माद और उनकी सर्वनाश की भविष्यवाणियों से खुद को दूर कर लिया। इसकी बजाय, बैरबॉक का जोर रूस के साथ सहयोग के रास्ते तलाशने पर था। उन्होंने तर्कसंगत रूप से सोचने की अपनी क्षमता को जाहिर करते हुए रूस से एक सभ्य संवाद की पेशकश की।

सैन्य रूप से भी, यूक्रेन के लिए हथियार ले जा रहे एक ब्रिटिश सेना के एक विमान ने सोमवार को सीधे मार्ग की बजाए जर्मन हवाई क्षेत्र के आसपास से उड़ान भरी, क्योंकि बर्लिन ऐसी किसी भी प्रत्यक्ष सैन्य सहायता के खिलाफ है। 

अमेरिकी सीनेटर क्रिस मर्फी, जो कनेक्टिकट डेमोक्रेट हैं, उन्होंने पिछले सप्ताहांत में रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक सीनेटरों के साथ कीव की यात्रा की थी। मर्फी ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा, “अभी लगता है कि यूरोप की तुलना में संयुक्त राज्य अमेरिका को (रूस के विरुद्ध) कठिन बहुपक्षीय प्रतिबंधों लागू करने में अधिक दिलचस्पी है। यह मेरे लिए कुछ आश्चर्यजनक है क्योंकि यूरोप की क्षेत्रीय अखंडता के मद्देनजर दांव पर उसका लगा है, न कि संयुक्त राज्य अमेरिका का।” 

यह एक खुला रहस्य है कि अक्टूबर और नवम्बर में, फ्रांस, जर्मनी और यूरोपीय संघ के कुछ अन्य लोगों ने वाशिंगटन की चेतावनियों पर सवाल उठाया था कि यूक्रेन के पास रूस का सैन्य जमावड़ा उसके आसन्न आक्रमण का संकेत हो सकता है। फ्रांस और जर्मनी ने नाटो की संकट में प्रतिक्रिया देने की उसकी योजना प्रणाली को सक्रिय करने का भी विरोध किया और उन्हें नरम होने के लिए राजी करना पड़ा था। 

सबसे बढ़कर, यूरोपीय लोगों को यूक्रेन को वित्तीय सहायता देने की कोई इच्छा नहीं है, जो एक ब्लैक होल और असफल राज्य है। यह उनके लिए इसका कोई मतलब नहीं है, जब अमेरिकी खुफिया विभाग के लोग मीडिया में डींग मारते हैं कि वे यूरोप के मध्य में गुरिल्ला युद्ध में रूसी सैनिकों का खून बहाएंगे। मूल रूप से, यह सब बाइडेन प्रशासन के बारे में यूरोपीय अभिजात वर्ग के बीच एक व्यापक संदेह का साक्ष्य है। 

निश्चित रूप से, ब्लिंकन हैमेलिन का चितकबरा मुरलीवाला नहीं है। उन्हें इस गतिरोध से निकलने के लिए आगे का रास्ता ढूंढना ही होगा। तात्कालिक संदर्भ में कहें तो उन्हें रूस की मांगों की पूर्ति में अमेरिका की गैर नाटो के विस्तार न करने की गारंट का दस्तावेज सौंपना होगा। यूरोप की उनकी यात्रा उन देशों के पहले के विचार में कुछ बदलाव लाने की गरज से की गई है। 

बुधवार को कीव में एक संवाददाता सम्मेलन में ब्लिंकेन ने कहा कि वे जिनेवा में शुक्रवार को होने वाली बैठक के दौरान लावरोव को लिखित जवाब नहीं देंगे। लेकिन मास्को में उलटी गिनती शुरू हो सकती है। अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने खुद केंद्रीय पोजिशन में ले लिया है और प्रस्ताव दिया है कि "अगर (पुतिन) ऐसा करना चाहते हैं तो काम करने की जगह है।" 

लेकिन असलियत में यह चाल है, इसके जरिए बाइडेन केवल समय ले रहे थे। अमेरिका के दायां-बायां करने और अंतरराष्ट्रीय समझौतों पर नहीं टिकने का एक लंबा रिकॉर्ड रहा है। अत्यधिक ध्रुवीकृत अमेरिकी राजनीति में, इस बात की कोई निश्चितता नहीं है कि बाइडेन को राष्ट्रपति के रूप में दूसरा कार्यकाल भी मिलेगा। 

मास्को अपने पिछले अनुभवों को देखते हुए होशियार ही हो सकता है और बेल्टवे में रूसी फोबिया से जहरीले बना दिए गए माहौल में, अमेरिका के साथ रूस के संबंधों में सुधार, -वैश्विक स्थिरता के लिए एक नतीजे देने वाली रणनीतिक समझ कायम होने की बात तो जाने ही दें-और खुद रूस के लिए उसके अस्तित्व की प्रकृति को देखते हुए-एक सपना ही रहेगा। 

हाल के एक ट्वीट में, शीत युद्ध के बाद की दुनिया में नाटो के विस्तार के मूल कोरियोग्राफर स्ट्रोब टालबोट ने रूस को घेरने में कामयाबी के लिए ब्लिंकन और जेक सुलिवन को बधाई दी है! यह कहने के लिए पर्याप्त है कि रूसोफोब्स की क्लिंटन टीम रूस के अमरिकी संबंधों को संचालित कर रही है और उनका संदिग्ध एजेंडा रूस को खत्म करना है!

रशियन एकेडमी ऑफ साइंसेज के तहत इंस्टीट्यूट फॉर यूएस एंड कैनेडियन स्टडीज के निदेशक वालेरी गारबुज़ोव ने बुधवार को रूसी संवाद एजेंसी तास (TASS) को बताया, "सबसे पहले तो मुझे नहीं मालूम कि अमेरिका के लिखित उत्तर क्या होंगे। रूस उन्हें लिखित रूप में रखना चाहता है, हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें लिखित में ही गारंटी दी जाएगी। दूसरे, मुझे नहीं लगता कि ऐसे उत्तर होंगे जो रूस को संतुष्ट करेंगे।"

अंग्रजी में मूल रूप से लिखे गए लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें 

Blinken Delays US Response to Russia

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