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कोरोना वायरस: क्या इससे निपटने के लिए कोई जेनेरिक एंटी-वायरल दवा काम की साबित हो सकती है?  

चूँकि निकट भविष्य में इसके लिए कोई वैक्सीन तैयार होने की उम्मीद नजर नहीं आती, इसे देखते हुए कोरोना वायरस जैसी महामारी के लिए जिम्मेदार वायरस SARS-CoV-2 से निपटने के लिए क्या एक सामान्य एंटी-वायरल भी विकल्प हो सकता है। 
कोरोना वायरस

वायरल के रूप में महामारियों का उभरते जाना आज सबसे बड़ी स्वास्थ्य चिंता का विषय बन चुकी है, और इन अधिकतर महामारियों के मूल कारणों में आरएनए वायरस इसके केंद्र में हैं। वायरस के जीव विज्ञान में किसी मेजबान शरीर के भीतर वायरस किस प्रकार से अपनी पुनरावृत्ति करता है एक सामान्य कारक है। एक मेजबान सेल में प्रवेश करने के बाद वायरस अपने स्वयं के आनुवांशिक सामग्री (डीएनए/आरएनए) के साथ उस मेजबान सेल के डीएनए में हेरफेर कर देता है। इसलिए उपचार के एक तरीके के रूप में एक जेनेरिक एजेंट का विचार उभर कर सामने आया है, जो इस वायरस के विस्तार की प्रक्रिया को बाधित करने में सक्षम साबित हो सकता है। जेनेरिक दवा की एक खासियत यह भी है कि यह तमाम प्रकार के वायरसों के खिलाफ प्रभावी साबित हो सकता है, जो कम से कम उन लोगों को जो एक मेजबान सेल को संक्रमित करने के अपने तौर-तरीके में समानता को साझा करते हैं।

चूँकि निकट भविष्य में इसके लिए कोई वैक्सीन तैयार होने की उम्मीद नहीं है इसे देखते हुए कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी के लिए जिम्मेदार SARS-CoV-2 वायरस से निपटने के लिए एक सामान्य एंटी-वायरल के विकल्प को भी आजमाया जा सकता है।

29 अप्रैल को प्रकाशित साइंस पत्रिका में एक शोध पत्र ने SARS-CoV-2 के मामले में पहले से ही परखी गई एंटी-वायरल एजेंट की प्रभावकारिता पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है।

एंटी-वायरल के इस व्यापक परिदृश्य में इस टीम के प्रयासों ने दर्शाया कि यह इन्फ्लूएंजा और इबोला जैसे अन्य आरएनए वायरसों के खिलाफ सक्रिय रूप से कारगर रहा था। दवा एजेंट को सेल लाइनों में और SARS-CoV-2 सहित अन्य कोरोना वायरस के खिलाफ प्राथमिक मानव वाह्य त्वचा के कल्चर में प्रभावी होते देखा गया है। एक बार फिर से SARS और MERS संक्रमण वाले माउस मॉडल में, इस ड्रग एजेंट को यदि प्रारंभिक दौर में अपनाया जाता है तो इसने वायरल की पुनरावृत्ति कर सकने की क्षमता और फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकने की क्षमता को कमजोर करने में खुद को प्रदर्शित किया है।

इस दवा की मदद से न्यूक्लियोसाइड एनालॉग को निर्मित करने की रणनीति अपनाई गई। न्यूक्लियोसाइड आनुवंशिक पदार्थ के निर्माण खंडों का एक हिस्सा है, वो चाहे आरएनए हो या डीएनए। न्यूक्लियोसाइड का एनालॉग, वायरस के आरएनए में मौजूद वास्तविक न्यूक्लियोसाइड के अनुरूप है। जब इस एनालॉग को वायरस पर इस्तेमाल में लाते हैं विशेष रूप से इसके आरएनए पर, तो यह वायरल आरएनए में गलत म्यूटेशन का कारण बनता है। यह वायरस में अचानक से तबाही पैदा करता है, जिससे इसके खुद की प्रतिकृति तैयार करने विषैला बन सकने की क्षमता पर रोक लग जाती है।

जेनेरिक एंटी-वायरल एक छोटे मॉलिक्यूल दवा की श्रेणी के अंतर्गत आता है। यह रिबो न्यूक्लियोसाइड एनालॉग β-d-N4-हाइड्रॉक्सीसाइडेटिन, NHC (EIDD-1931) है। नवंबर 2019 में जर्नल ऑफ वायरोलॉजी में प्रकाशित एक पेपर में बताया गया था कि SARS और MERS-CoV को रोकने में एनएचसी कारगर है। इसके अलावा एनएचसी वायरस के खिलाफ प्रतिरोध के लिए एक उच्च आनुवंशिक बाधा भी उत्पन्न करता है।

एनएचसी तेजी के साथ MERS और SARS-COV-2 की पुनरावृत्ति को बाधित करता है 

शीहान और अन्य के द्वारा अपने वर्तमान अध्ययन में कोशिका लाइनों पर एंटी वायरल परीक्षण किये गए हैं। कोशिका लाइन एक कोशिका संवर्धन है जिसे प्रयोगशाला में विकसित किया जाता है, जिसे यदि विकास के लिए नए माध्यम और उचित स्थान प्राप्त हो जाए तो ये अनिश्चित काल तक फलते-फूलते रह सकते हैं। MERS CoV पर एंटी-वायरल के असर का आकलन करने के लिए, मानव फेफड़ों की कोशिका लाइनों का उपयोग किया गया था और एनएचसी को इस्तेमाल में लाया गया था और 48 घंटे से अधिक समय तक वायरल की पुनरावृत्ति को दवा की अलग-अलग खुराक के साथ इसकी तुलना की गई थी। इस परीक्षण में एनएचसी को एंटी-वायरल के तौर पर बेहद सक्षम पाया गया था।

SARS-CoV-2 के क्लीनिकल पृथक्कीकरण को भी उपयोग में लाया गया और इसके एंटी-वायरल परीक्षण भी किये गए। इसके अलावा मानव फेफड़ों की कोशिका लाइनों में भी एंटी-वायरल गतिविधि को मापा गया था, जैसा कि MERS CoV के मामले में भी अपनाया गया था। इन दोनों ही मामलों में न्यूनतम साइटोटोक्सिसिटी परीक्षण के साथ एंटी-वायरल गतिविधि को सक्षम पाया गया।

मानव शरीर में वायुमार्ग कोशिका संवर्धन मार्ग में SARS-COV-2 के खिलाफ एनएचसी सक्रिय रहता है

प्राथमिक तौर पर मानव वायुमार्ग की कोशिका संवर्धन का कार्य भी संभव है। प्राथमिक मानव वायुमार्ग कोशिकाएं अनिवार्य तौर पर श्वासनलियों में कोशिकाओं के रूप में मौजूद होती हैं। ये कोशिकाएं SARS-CoV-2 द्वारा आसानी से संक्रमित हो जाती हैं, जिसमें SARS और MERS कोरोनावायरस शामिल हैं। जब इन कोशिका लाइनों पर एनएचसी को अपनाया गया, तो एनएचसी ने इन तीनों कोरोना वायरस के खिलाफ बेहद सक्रियता दर्शाई है। जहां तक ​​साइटोटॉक्सिसिटी का संबंध है, एनएचसी ने दर्शाया है कि कोशिकाओं की लाइनों में कोई साइटोटोक्सिसिटी मौजूद नहीं है।

एनएचसी को पहले से ही इन्फ्लूएंजा, कोरोना वायरसों, इबोला और वेनेजुएलाई एकुइने इंसेफेलाइटिस वायरस (VEEV) के खिलाफ असरकारक पाया गया है। इसके अलावा इसकी मौखिक तौर पर जैव-उपलब्धता भी है। किसी भी पदार्थ की यदि जैव-उपलब्धता है जिसमें दवा भी शामिल है, तो उसके शरीर में प्रवेश करने पर इसके चारों तरफ फैलने की क्षमता होती है। मौखिक जैव-उपलब्धता का अर्थ हुआ एनएचसी को सीधे मुँह के जरिये निगला जा सकता है।

न्यूक्लियोसाइड के समान दवा का एक उदाहरण 5-फ्लूरोरासिल के रूप में है, जिसे व्यापक तौर पर इस्तेमाल में लाया जाता है, जिसे 'Adrucil' ब्रांड के नाम से बेचा जाता है। यह न्यूक्लियोसाइड एनालॉग एक वह दवा है जिसे विभिन्न कैंसर जैसे कि कोलोन कैंसर, इसोफेजियल कैंसर और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर आदि की कीमोथेरेपी के तौर पर उपयोग में लाया जाता है।

एक न्यूक्लियोसाइड एनालॉग दवा जिसके व्यापक परिदृश्य में एंटी-वायरल हलचल की संभावना मौजूद है, यह कई प्रकार के प्राणीजन्य रोगों के उपचार में सहायक सिद्ध हो सकता है। हालाँकि इंसान पर इसके प्रयोग और इसके लिए अनुमोदन के लिए अभी एक लंबा रास्ता तय किया जाना अभी शेष है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल लेख को नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पढ़ा जा सकता है।

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