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कोरोना संकट :दिल्ली में लॉकडाउन में भी छात्रों और मज़दूरों से किराया वसूल रहे हैं मकान मालिक

दिल्ली में किरायेदारों को बेदख़ल करने की धमकी दी जा रही है और इसपर मालिकों का तर्क है कि अगर किराया न लें तो खाएंगे क्या? इस मामले में दिल्ली सरकार के सभी हस्तक्षेप निष्प्रभावी साबित हुए हैं।
कोरोना संकट

देश में अब लॉकडाउन अपने तीसरे चरण में चल रहा है। इस लॉकडाउन में किरायदारों और मकान मालिकों के बीच तनाव लगातर बढ़ रहा है। हालांकि दिल्ली में इन किरायदारों को राहत देने और मकान मालिकों को इनपर परोपकार करने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री दोनों ने ही मकान मालिकों से अपील की कि वो किराया न लें, इसके लिए दिल्ली सरकार ने आदेश भी दिए लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त इससे कोसो दूर है। क्योंकि कई मकान मालिकों के लिए यही एक आय का साधन है, और वो किराया माफ़ नहीं करना चाहते हैं।  

मज़दूर तो सरकार के आधे अधूरे इंतज़ामों से पहले ही परेशान था, अब यहां छात्रों को भी सरकारों की इस बदइंतजामी का सामना करना पड़ रहा है। सरकार के दावों के बाद भी मकान मालिक किराये के लिए किरायेदारों को लगातर फोन कॉल करके धमका रहे हैं।

इस तरह के कॉल्स दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज में इकोनॉमिक्स के प्रथम वर्ष के छात्र सचिन को आ रहे हैं, जिससे वो डरे हुए हैं। उन्होंने कहा “पीजी मालिक अप्रैल महीने के शुरू होने के बाद से पूरे महीने का किराया मांग रहा है। मैंने पहले ही उस महीने के आधे से अधिक किराये का भुगतान कर दिया है। अब लॉकडाउन के विस्तार के साथ, उन्होंने मई के किराये के लिए भी पूछना शुरू कर दिया है।” सचिन ने कहा कि "उन्होंने धमकी दी है कि अगर मैं बकाया भुगतान नहीं करता हूं तो मेरी किताबें और सामान फेंक देंगे।"

सचिन, उत्तरी दिल्ली के कमला नगर में एक निजी पीजी में चार अन्य लोगों के साथ एक कमरे में रहते थे, अभी वो केरल में अपने घर पर हैं। वो मार्च में ही देशव्यापी लॉकडाउन से पहले ही, जब दिल्ली की राज्य सरकार ने स्कूल, कॉलेजों को बंद करने का आदेश दिया था, तभी अपने घर लौट गए थे।

सचिन ने बताया कि “ मेरे पिता एक होटल में रसोइये हैं जिन्हें वेतन नहीं मिला है क्योंकि रेस्तरां बंद है। वह मेरे परिवार में अकेले कमाने वाले हैं। मेरे कॉलेज की शिक्षा के लिए पहले से ही ऋण लिया हुआ है।” उन्होंने पूछा “जब कोई कमाई ही नहीं है तो मैं पीजी मालिक को कैसे भुगतान करूंगा? "  
 
लॉकडाउन समय में ऐसी ही चिंता योगेश की है, जो एक बेडरूम के फ्लैट में रहते हैं। दिल्ली में हंसराज कॉलेज के दूसरे वर्ष के भौतिक विज्ञान के छात्र हैं योगेश। उन्होंने कहा, “मकान मालिक का कहना है कि या तो जगह खाली करो या किराये का भुगतान करो। लॉकडाउन से पहले मैं घर आ गया था। मेरा सारा सामान इस समय मेरे फ्लैट पर ही है।”  उनके पिता की हरियाणा में एक इलेक्ट्रॉनिक सामान की दुकान है, जो , 25 मार्च से बंद है। योगेश ने आगे कहा "वह [योगेश के पिता] अपनी बचत से दुकान पर सहायकों को वेतन दे रहे हैं।"  

किरायेदारों के संकट से निपटने के लिए अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप सरकार ने एक आदेश 22 अप्रैल को जारी किया, जो कम से कम एक महीने के किराये की छूट के लिए कहता है और किसी को भी घर से जबरन निकालना एक दंडनीय अपराध है। इसमें मज़दूरों के साथ ही छात्रों को भी शामिल किया था। विवाद की स्थिति में, लोगों को पुलिस से शिकायत करने की सलाह दी गई है।

छात्र समुदाय के साथ ही अन्य किरायदारों ने भी इस आदेश को राहत के रूप में माना और स्वागत किया। हालांकि, घर के मालिकों के लिए यह एक धक्का था। विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिक, जिनके लिए उनके घर का किराया ही आय का एकमात्र स्रोत था, वो इससे सबसे अधिक इससे प्रभावित हुए।

पूर्वी दिल्ली रेजिडेंट एसोसिएशन जॉइंट फोरम के अध्यक्ष बी एस वोहरा ने कहा "हम सभी के लिए मुश्किल समय है और इसलिए किराया मालिकों  द्वारा  माफ कर दिया जाना चाहिए, लेकिन केवल उनका जो लोग इसे चुका नहीं सकते हैं।"  
उन्होंने कहा कि संकट के इस समय में इस तरह के काम  "मानवीय आधार" पर किए जा सकते हैं और किसी भी सरकार द्वारा इस तरह आदेश नहीं दिए जाने चाहिए।

बाद में तर्क के लिए मालिकों को एक और बिंदु मिला गया क्योंकि दिल्ली सरकार के अप्रैल के आदेशों में मई महीने का कोई निर्देश शामिल नहीं था। जिसकी वजह से मज़दूरों और छात्रों को और भी संकट का सामना करना पड़ रहा है।  

इस तरह के कई व्यवहारिक कारणों ने दिल्ली सरकार के आदेश और हस्तक्षेप को निष्प्रभावी बना दिया है।

ऐसा ही एक मामला उत्तरी दिल्ली के मॉडल टाउन में रिपोर्ट हुआ। इसको लेकर वहां के पुलिस थाने में एक शिकायत एक निजी गर्ल्स पीजी के मालिक के खिलाफ दायर की गई थी। इस शिकायत में उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था। इसपर मालिक के टिप्पणी के लिए समाचार पोर्टल  Edexlive ने उनसे संपर्क किया तो मालिक ने कथित तौर पर कहा कि यह उनकी आय का एकमात्र स्रोत है और उन्हें मार्च अप्रैल में कुछ भी आमदनी नहीं हुई है।
 
मार्च के अंत में, इस तरह के कॉल से तंग आकर दिल्ली में छात्रों ने एक साथ इकठ्ठा होकर लड़ने के का फैसला किया और इसके लिए स्टूडेंट्स टेनन्ट यूनियन (STU) का गठन किया गया। किरायेदार छात्रों के लिए इस तरह का पहला संगठन है। इसका उद्देश्य मालिकों द्वारा ताक़त के दुरुपयोग के ख़िलाफ़ लड़ाई है।  

STU  के वर्की परक्कल, जो स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) की दिल्ली राज्य कमेटी के सदस्य भी हैं, उन्होंने कहा, “दिल्ली विश्वविद्यालय में ही तीन लाख से अधिक छात्र हैं और उनमें से अधिकांश कॉलेजों द्वारा दी गई सीमित छात्रावास सुविधाओं के कारण निजी आवास में रहते हैं। संघ के गठन का विचार एक किरायेदार के अधिकारों के लिए सामूहिक रूप से लागू करना है, जो इस संकट के समय की आवश्यकता है।”  

वर्की ने दावा किया, “जो संघर्ष कुछ मुट्ठी भर छात्रों के साथ शुरू हुआ था, अब उसमें इतने कम समय में 200 से अधिक लोग जुड़ गए हैं। न केवल छात्र, बल्कि कई श्रमिकों ने भी हमसे संपर्क किया है। एक व्हाट्सएप ग्रुप है जो मुद्दों के समन्वय और चर्चा के लिए बनाया गया है।

वर्की परक्कल कहते हैं, सबसे पहले हम किरायेदारों की समस्या को हल करना चाहते हैं और यूनियन मालिकों से भी बात करके एक सौहार्दपूर्ण समाधान तक पहुँचने का प्रयास कर रही है। परक्कल ने लॉकडाउन अवधि के दौरान छात्रों के किराये को रद्द करने की मांग के साथ STU द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 29 अप्रैल को भेजे गए एक पत्र का जिक्र करते हुए कहा,"हम मालिकों के दर्द को भी समझते हैं और इसीलिए हमने दिल्ली सरकार से उनकी आय में हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए भी कहा है।"

दुनिया भर में कोरोना वायरस के प्रकोप को नियंत्रित करने के प्रयासों के कारण बहुत सारी आर्थिक गतिविधियां रुक गई हैं, कई अन्य देशों मे भी किराये को लेकर संघर्ष हो रहा है। संयुक्त राज्य अमेरिका के लॉकडाउन प्रभावित हिस्सों में ' किराया रद्द करें ' जैसी मांगें गूंज रही हैं।

भारत में भी किराये का संकट है, इसको देखते हुए, महाराष्ट्र सरकार ने मकान मालिकों को तीन महीने के लिए किराया न लेने के लिए कहा है। इस बीच, केंद्र सरकार ने 29 मार्च के अपने आदेश में कहा था कि मालिक एक महीने के लिए किराया नहीं मांग सकते। हालांकि, भ्रम की स्थिति मई के महीने के लिए किराये पर हो गई है। क्योंकि संक्रमित मरीजों की संख्या को देखते हुए लॉकडाउन बढ़ा दिया गया है। 

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