कार्टून क्लिक: बेकारी की मार, जनता बे-बस, बे-कार!
चमचमाती हुई कारों को खरीदने के लिए जेब में पैसा होना चाहिए। लेकिन भारत की सरकार की नीतियों ने भारत के लोगों को बेकार बना कर रखा है। बेरोजगारी और कम आमदनी की जिंदगी इस तरह हावी है की फोर्ड की कार तो बहुत दूर की बात भारत के लोग दो वक्त की रोटी जुगाड़ने की जुगत में ही लगे रहते हैं।
अगर पैसा नहीं तो कार की खरीद कैसी और अगर कार की खरीद नहीं तो कार का कारोबार कैसा। 2017 से अब तक जनरल मोटर्स, मैन ट्रक्स, हार्ले डेविडसन, UM लोहिया के बाद फोर्ड इंडिया 5वीं ऐसी दिग्गज ग्लोबल एक्सेस कंपनी है जो भारतीय बाजार को छोड़कर जा रही है। अमेरिका की फोर्ड कंपनी की जाने की वजह से तकरीबन 40 हजार कर्मचारियों पर असर पड़ेगा।
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