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चिलीवासियों ने वर्चुअल कैंडल मार्च के साथ सैन्य तानाशाही के शिकार लोगों को श्रद्धांजलि दी

दोनों शहीद युवाओं को याद करते हुए चिलीवासियों ने कोरोनोवायरस के प्रकोप के चलते सोशल नेटवर्क पर वर्चुअल कैंडल मार्च के साथ अमेरिका समर्थित सैन्य तानाशाही के शिकार लोगों को श्रद्धांजलि दी।
तानाशाही के शिकार लोगों को श्रद्धांजलि दिया

इस साल 29 मार्च को युवा योद्धाओं की 35वीं वर्षगांठ मनाई गई। चिली में अमेरिका समर्थित सैन्य तानाशाही के पीड़ितों को याद करने का यह एक गैर आधिकारिक दिन है। जनरल ऑगस्टो पिनोशे (1973-1990) के नेतृत्व में चिली में तानाशाही शासन की स्थापना की गई थी।

29 मार्च 1985 को राफेल वेरगारा टोलेडो और एडुआर्डो वेरगारा टोलेडो बंधुओं की हत्या तानाशाह के राष्ट्रीय सुरक्षा बलों के अधिकारियों द्वारा की गई थी। वेरगारा टोलेडो बंधु मार्क्सवादी समर्थक और मूवमेंट ऑफ़ रिवोल्यूशनरी लेफ्ट (एमआईआर) कहे जाने वाले तानाशाही-विरोधी विद्रोही समूह से जुड़े छात्र कार्यकर्ता थे। इसी समय सुरक्षा अधिकारियों ने कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों जोसे मैनुअल परादा, मैनुअल गुएरेरो सेबालोस और नातिनो अलेंदे का भी अपहरण कर लिया और अगले दिन सुबह इनकी हत्या कर दी।

हर साल 29 मार्च को चिलीवासी तानाशाही शासन के खिलाफ इन बंधुओं के साथ साथ अन्य हजारों विद्रोहियों की क्रांतिकारी भावना को सम्मान देने के लिए विशाल प्रदर्शन का आयोजन करते हैं।

हालांकि, इस साल, वैश्विक COVID-19 महामारी के चलते हजारों चिलीवासियों ने इंटरनेट के जरिये ही इन शहीदों को श्रद्धांजलि दी।

इन शहीदों को याद करने और उनके लिए न्याय की मांग के लिए सोशल मीडिया पर एक वर्चुअल कैंडल मार्च आयोजित किया गया। शाम 7 बजे हजारों लोगों ने पिनोशे की तानाशाही के दौरान हत्या, लापता और प्रताड़ित लोगों की याद में मोमबत्तियां जलाईं और उन्हें फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर पर पोस्ट किया।

ये डिजिटल आयोजन को सामाजिक संगठन वेलेटन द्वारा 29 मार्च को "मे दि मेमोरी इल्यूमिनेट्स द क्वारंटीन" के नारे के साथ आह्वान किया गया था।

11 सितंबर 1973 को तख्तापलट के बाद पिनोशे ने सत्ता संभाली। पिनोशे ने राष्ट्रपति सल्वाडोर अलेंदे की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई समाजवादी सरकार को उखाड़ फेंका। इसके शासनकाल को वामपंथी दलों के व्यवस्थित दमन और सभी असंतुष्टों को दबाने को लिए जाना जाता है। उसकी तानाशाही को लैटिन अमेरिका में सबसे क्रूर तानाशाही में से एक माना जाता है। 17 वर्षों के सैन्य शासन के दौरान 3,100 से अधिक लोगों की हत्या की गई वहीं 1,200 से अधिक लोग लापता हो गए, लगभग 40,000 लोगों के साथ प्रताड़ना की गई और 2,00,000 निर्वासित कर दिए गए।

साभार : पीपल्स डिस्पैच

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