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कोलंबिया में नेशनल स्ट्राइक कमेटी ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन का आह्वान किया

कोलंबियाई संगठनों ने प्रदर्शनकारियों की मांग न मानने को लेकर राष्ट्रपति इवान डुके सरकार की निंदा की है।
Columbia
फ़ोटो: कोलम्बिया इंफोरमा

नेशनल स्ट्राइक कमेटी और कोलंबियाई सरकार के प्रतिनिधियों के बीच 17 मई को हुई बैठक बिना किसी समझौते के समाप्त हो गई। सामाजिक संगठनों और ट्रेड यूनियनों के एक विविध समूह को एक साथ लाने वाली नेशनल स्ट्राइक कमेटी ने इस बैठक के बाद एक बयान जारी किया और बताया कि राष्ट्रपति इवान डुके की अति दक्षिणपंथी सरकार ने दमन को रोकने और शहरों में सैनिक की तैनाती समाप्त करने के लिए प्रदर्शनकारियों की मांग मानने करने से इनकार कर दिया था। पिछले 21 दिनों से देश भर में हो रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनों को शांतिपूर्वक बंद करने के लिए बातचीत शुरू करने के लिए ऐसी स्थिति बनाई गई।

कमेटी ने बयान में कहा, "आज हमें बातचीत शुरू करने के लिए विरोध प्रदर्शन की गारंटी के लिए हमारी मांगों के प्रतिक्रिया की उम्मीद थी और सरकार ने कुछ भी नहीं कहा और यहां तक कि इसने विभिन्न मुद्दों को भी नजरअंदाज कर दिया।"

इस कमेटी ने दमनकारी कार्रवाइयों को जारी रखने और प्रदर्शनकारियों की सड़क की नाकेबंदी को हटाने के लिए पुलिस की मौजूदगी बढ़ाने के लिए भी सरकार की निंदा की।

कमेटी ने कहा, "आज हमें जो वास्तविक प्रतिक्रिया मिली है वह यंबो शहर में कल रात से क्रूर पुलिस हिंसा की है जिसमें कम से कम दो हत्याएं, 24 घायल और 18 लोग लापता हो गए हैं।" इसने यह भी कहा कि "जब हम बैठक में थे तो राष्ट्रपति डुके ने देश को अनब्लॉक करने के लिए अधिकतम सैनिकों की तैनाती की घोषणा की।"

कमेटी ने जोर देकर कहा कि असहमति और दमन के बावजूद अनुरोध किए गए गारंटी के सम्मान के साथ वह बातचीत में शामिल होने को तैयार है। इसने यह भी घोषणा की कि "हड़ताल जारी है" और बैठक से पहले की गई "जीवन और शांति के लिए 19 मई को सबसे बड़ी और सबसे शांतिपूर्ण लामबंदी" के अपने आह्वान की पुष्टि की।

पिछले 21 दिनों की राष्ट्रीय हड़ताल और राष्ट्रव्यापी लामबंदी में कोलंबियाई सुरक्षा बलों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अभूतपूर्व कार्रवाई की। मानवाधिकार संगठन टेम्ब्लोरेस के अनुसार 28अप्रैल से 17मई के बीच पुलिस द्वारा 43 लोग मारे गए, 18लोग पुलिस द्वारा यौन उत्पीड़न के शिकार हुए, 33 लोगों की आंखों में चोटें आईं, 1139 लोगों को मनमाने ढंग से गिरफ्तार किया गया, और 146 लोग पुलिस की गोलियों से जख्मी हुए। पुलिस हिंसा के कुल 2,387 मामले दर्ज किए गए।

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