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कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट को लेकर छात्रों में असमंजस, शासन-प्रशासन से लगा रहे हैं गुहार

इस नई प्रक्रिया के एक ओर जहां अलग-अलग बोर्ड से पढ़ाई करने वाले छात्रों को मिलने वाले एक समान अवसर के रूप में देखा जा रहा है, तो वहीं दूसरी ओर परीक्षा के महज़ तीन महीने पहले मिले इस सूचना और दिल्ली विश्वविद्यालय के फैसले से छात्रों में असमंजस और डर की स्थिति है।
UGC

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी एनटीए ने बीते 26 मार्च को केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट फॉर अंडरग्रेजुएट (सीयूईटी-यूजी) के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके अनुसार देश की सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटी में स्नातक में दाख़िले के लिए अब बारहवीं के अंकों को वरीयता की जगह एक कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) में मिले अंकों के आधार पर योग्यता सुनिश्चित होगी। इस नई प्रक्रिया को एक ओर जहां अलग-अलग बोर्ड से पढ़ाई करने वाले छात्रों को मिलने वाले एक समान अवसर के रूप में देखा जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर परीक्षा के महज़ तीन महीने पहले मिले इस सूचना से छात्रों में असमंजस और डर की स्थिति है।

बता दें कि नोटिफिकेशन के मुताबिक विश्वविद्यालयों के पास ये अधिकार होगा कि वो बोर्ड परीक्षा न्यूनतम अंकों की सीमा तय कर सकें। सामान ज्ञान, करेंट अफेयर्स, जनरल मेंटल एबिलिटी, न्यूमेरिका एबिलिटी, रीजनिंग आधारित सवाल पूछे जाएंगे।

परीक्षा कंप्यूटर आधारित होगी, जिसमें वैकल्पिक सवाल होंगे। यह टेस्ट 13 भाषाओं में होगी, जिसमें अंग्रेजी, हिंदी, गुजराती, असमी, बंगाली, कन्नड़, मलयालम, माराठी, उड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू शामिल हैं। इसके फॉर्म भरने की आखिरी तारीख 20 अप्रैल है और जुलाई महीने के पहले हफ्ते से इसके एग्जाम की शुरुआत हो सकती है। अब देशभर के शिक्षाविदों की राय कुछ मसलो पर बटी हुई है, छात्र भी विश्वविद्यालयों के अपने नोटिफिकेशन के बाद परेशान हैं।

क्या है पूरा मामला?

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी की वेबसाइट कहती है कि जो छात्र दिल्ली विश्वविद्यालय से बीए करना चाहते हैं वो किसी भी डोमेन में परीक्षा दे सकते हैं, जो बी1और बी2 के लिए निर्धारित हैं। वहीं, दिल्ली विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर यह लिखा है कि छात्र केवल उन्हीं विषय में परीक्षा देंगे, जो उन्होंने 12वीं में ली है। अब छात्रों का कहना है कि जब वे अपनी पसंद के विषय में परीक्षा देने के लिए तैयार हैं तो डीयू उन्हें सीमित करने का प्रयास क्यों कर रहा है।

आसान भाषा में समझें तो यदि साइंस का छात्र स्ट्रीम बदलकर अपनी ग्रेजुएशन आर्ट्स में करना चाहे तो उसे एंट्रेंस टेस्ट साइंस के विषयों में ही देना होगा। डीयू का ये फैसला यह उन उम्मीदवारों के लिए एक समस्या है जो कॉलेज में स्ट्रीम बदलना चाहते हैं या किसी वजह से बारवीं के बाद गैप लेकर दोबारा पढ़ाई शुरू करना चाहते हैंय़

इस संबंध में सीयूईटी की तैयारी कराने वाले मालवीय अकेडमी के संस्थापक सूरज कुमार ने न्यूज़तक्लिक को बताया कि अगर दिल्ली विश्वविद्यालय के नियम देखें तो, जो छात्र दिल्ली विश्वविद्यालय के हिसाब से तैयारी करेंगे वो अन्य सभी विश्वविद्यालय की तैयारी नहीं कर पाएंगे, क्योंकि वहां मानविकी विषय के आधार पर परीक्षा होनी है, जबकि यहां 12 वीं के विषयों के आधार पर।

मालूम हो कि कई छात्र इस पूरे मामले को लेकर ट्विटर पर आंदोलन भी चला रहे हैं। हैशटेश सीयूईटीडीयूपॉलिसीचेंज के नाम से छात्र हजारों की संख्या मेंअब तक ट्वीट कर चुके हैं, जिसमें देश के अलग-अलग इलाकों के छात्र शामिल हैं। इस कैंपेन में छात्र कार्ड और वीडियो के जरिए भी अपनी बात लगातार प्रधानमंत्री कार्यालय और शिक्षा मंत्री तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।

कैसी है सीयूईटी की परीक्षा?

यूजीसी क् मुताबिक ये परीक्षा चार भागों यानी I-A, I-B, II, और III में विभाजित की गई है। सेक्शन I-A और I-B में भाषा वाले विषय होंगे। वहीं सेक्शन- II में डोमेन संबंधी विषय – जैसे आपके स्ट्रीम वाले विषय और सेक्शन- III में जनरल टेस्ट होगा।

एक छात्र सेक्शन I-A और I-B में मिलाकर अधिकतम तीन भाषाओं का चुनाव कर सकता है। वहीं सेक्शन- II में छह डोमेन विषय तक चुन सकता है। यानी अब जिस विश्वविद्यालय में जो स्ट्रीम या भाषा का विकल्प है, उसे ध्यान में रखकर छात्र-छात्राएं भाषाओं और स्ट्रीम का चुनाव कर सकते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि एक छात्र कुल मिलाकर अधिकतम नौ विषयों के लिए परीक्षा दे सकता है।

सेक्शन I-A, I-B में क्या-क्या है?

नोटिफिकेशन के हिसाब से सेक्शन I-A में 13 अलग-अलग भाषाएं हैं, जिसमें तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, मराठी, गुजराती, ओड़िया, बांग्ला, असमिया, पंजाबी, अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू शामिल है। वहीं सेक्शन I-B में 19 भाषाएं हैं, जिसमें फ्रेंच, स्पैनिश, जर्मन, नेपाली, फारसी, इटैलियन, अरबी, सिंधी, कश्मीरी, कोंकणी, बोडो, डोगरी, मैथिली, मणिपुरी, संथाली, तिब्बती, जापानी, रूसी, चीनी शामिल हैं। इन दोनों में से मिलाकर तीन भाषाओं का चयन करना होगा। छात्रों को 50 में से 40 सवालों के उत्तर देने होंगे। हर भाषा के लिए 45 मिनट का टेस्ट होगा। छात्र की भाषाई समझ जानने के लिए इसमें शब्दकोष, शब्दपाठ की समझ, साहित्यिक जानकारी संबंधी सवाल होंगे।

सेक्शन II में क्या है?

इस सेक्शन के तहत छात्र के स्ट्रीम या डोमेन संबंधी सवाल होंगे। यानी जो विषय छात्र ने चुना है, उसकी उसे कितनी समझ है? इस श्रेणी में कुल 27 डोमेन आधारित विषय हैं, जिसमें से एक छात्र विश्वविद्यालय के अनुसार छह डोमेन तक चुन सकता है।

इसमें अकाउंटेंसी, बायोलॉजी, बिजनेस स्टडीज, केमिस्ट्री, कम्प्यूटर साइंस, इकोनॉमिक्स, इंजीनियरिंग ग्राफिक्स, इतिहास, भूगोल, गृह विज्ञान, लीगल स्टडीज, पर्यावरण विज्ञान, गणित, फिजिकल एजुकेशन, राजनीतिक विज्ञान, साइकोलॉजी, समाज-शास्त्र,  मास मीडिया, फाइन आर्ट्स इत्यादि शामिल हैं। इस सेक्शन में कक्षा 12वीं के आधार पर वैकल्पिक सवाल पूछे जाएंगे। इस श्रेणी में भी छात्रों के पास 45 मिनट का समय होगा और उन्हें 50 में से 40 सवालों के जवाब देने होंगे।

सेक्शन III में क्या है?

इस श्रेणी में सामान ज्ञान, करेंट अफेयर्स, जनरल मेंटल एबिलिटी, न्यूमेरिका एबिलिटी, रीजनिंग आधारित सवाल होंगे। इसमें 75 सवाल पूछे जाएंगे, जिसमें से 60 सवालों के जवाब देने होंगे। छात्रों को इसके लिए 60 मिनट का समय मिलेगा।

गौरतलब है कि छात्रों को इस परीक्षा से दिक्कत नहीं है, उन्हें समस्या इस जल्दबाजी और कन्फ्यूजन वाले दिशानिर्देशों से है। छात्र लगातार अपनी परेशानियों को प्रशासन और सरकार तक पहुंचा रहे हैं लेकिन अब तक दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से इस संबंध में कोई जानकारी सामने नहीं रखी गई है, जिसे लेकर छात्रों को अपने भविष्य की चिंता भी सता रही है।

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