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डीयू: फीस में राहत की मांग को लेकर छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी, प्रशासन का अड़ियल रवैया!

कोरोना महामारी से त्रस्त छात्र नॉन-ट्यूशन फीस में कुछ समय के लिए प्रशासन से राहत की मांग कर रहे हैं। छात्रों का कहना है कि बीते साल कोविड-19 के चलते जिन संसाधनों और सुविधाओं का उन्होंने इस्तेमाल ही नहीं किया, प्रशासन उसकी भारी-भरकम फीस उनसे कैसे वसूल सकता है।
डीयू: फीस में राहत की मांग को लेकर छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी, प्रशासन का अड़ियल रवैया!

दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र और प्रशासन एक बार फिर आमने-सामने हैं। एक ओर छात्र हर साल लगने वाली गैर-ट्यूशन फीस को कोरोना माहामारी के दौर में कुछ समय के लिए माफ कर राहत की मांग कर रहे हैं, तो वहीं प्रशासन पूरे मामले पर अड़ियल रवैया अपनाए हुए है। छात्रों का आरोप है कि प्रशासन उनकी बात सुनना तो दूर, उनसे बात करने को भी तैयार नहीं है। अपनी मांगों को लेकर छात्र विश्वविद्यालय परिसर में लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, धरना दे रहे हैं लेकिन प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही।

आपको बता दें कि छात्र पूरी फीस माफी की बात नहीं कर रहे, वे केवल कुछ समय के लिए गैर-ट्यूशन फीस जिसमें बिजली/पानी शुल्क, सांस्कृतिक शुल्क, एनएसएस/एनसीसी शुल्क, और अन्य सभी सुविधाओं की फीस शामिल हैं, उसमें रियायत की मांग कर रहे हैं। छात्रों का कहना है कि बीते साल उन्होंने कोविड-19 के चलते विश्वविद्यालय बंद होने के कारण जिन संसाधनों और सुविधाओं का इस्तेमाल ही नहीं किया , प्रशासन उसकी भारी-भरकम फीस उनसे कैसे वसूल सकता है।

बिना किसी सुविधा इस्तेमाल के, छात्र इतनी बड़ी राशि का भुगतान क्यों करें?

प्रदर्शन में शामिल छात्र आफताब आलम ने न्यूज़क्लिक को बताया कि महामारी के इस दौर में जब लोगों की नौकरियां चली गई हैं, रोज़गार ठप पड़ गया है, अनेकों परिवार अपने कमाने वाले हाथों को खोकर हाशिए पर पहुंच गए हैं, ऐसे में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा बिना किसी सुविधा के इस्तेमाल के, छात्रों से इतनी बड़ी राशि का भुगतान करने की अपेक्षा करना अनुचित है।

छात्रों के मुताबिक इस संबंध में 2 जुलाई को विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलाधिपति और कई अन्य पदाधिकारियों को एक पत्र भेजा गया था, लेकिन जब एक सप्ताह से अधिक समय तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो 15 छात्र 12 जुलाई को आर्ट्स फैक्लटी में विरोध के तौर पर सत्याग्रह पर बैठ गए और तब से छात्र कोविड प्रोटोकॉल को फॉलो करते हुए छोटे-छोटे समुहों में अपना विरोध दर्ज करवा रहे हैं।

प्रदर्शन को तितर-बितर करने के लिए छात्रों से बदसलूकी!

डीयू के छात्र आफताब आलम बताते हैं कि प्रदर्शन के पहले दिन से ही प्रशासन हमें डराने-धमकाने की जुगत में लगा हुआ है। सबसे पहले हमें सुरक्षाकर्मियों द्वारा भगाने की कोशिश की गई। लेकिन जब छात्र नहीं माने, तो सिविल ड्रेस में 70-80 लोग आए और हमारे विरोध को तितर-बितर करने की कोशिश में गाली-गलौज और मार-पिटाई करने लगे।

आलम के अनुसार, “कई छात्रों के मोबाइल फोन तक तोड़ दिए गए, जिससे हम सच बाहर न ला सकें। इसके बाद 16 जुलाई को हमारे खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई, जब हमने विश्वविद्यालय के सामने फीस ढांचे को आग के हवाले कर दिया। हालांकि ये बेहद शांतिपूर्ण प्रदर्शन था।“

प्रदर्शन में शामिल एक अन्य छात्र ने बताया कि अभी तक डीन ऑफ स्टूटेंडेंस वेलफेयर का व्यवहार भी छात्रों को परेशान करने वाला ही रहा है। उन्होंने छात्रों के साथ एक बैठक तो की लेकिन उसमें छात्रों की किसी भी बात को सुनने से साफ तौर पर मना कर दिया।

छात्र के अनुसार, “डीन ऑफ वेलफेयर ने बड़ी बेरुखी से कहा कि वो तो क्या विश्वविद्यालय में कोई और भी छात्रों की कोई मदद नहीं करेगा। जब छात्रों के साथ मार-पीट के संबंध में बात की गई तो उन्होंने कहा कि मुझे मेरा काम मत सिखाइए।”

विश्वविद्यालय बंद होने के कारण जो पैसा बचा है, वो कहां है?

गौरतलब है कि छात्र विश्वविद्यालय बंद होने के कारण जो पैसा बचा है, उसका हिसाब भी प्रशासन से मांग रहे हैं। छात्रों का कहना है कि बीते साल न तो कोई फेस्ट हुआ है और न ही कोई यूनियन इलेक्शन, ऐसे में लाखों-करोड़ों की राशि का प्रशासन ने क्या किया, इस पर उनकी चुप्पी संदेह पैदा कर रही है।

प्रदर्शन में शामिल छात्रों ने पिछले साल एलएसआर के एक छात्र की मौत को भी याद किया, जिसने कथित तौर पर फीस के भारी-भरकम बोझ के चलते आत्महत्या कर ली थी। ऐसा किसी और छात्र के साथ न हो इसलिए छात्र अब आने वाले दिनों में अपने आंदोलन को और तेज़ करने के साथ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठने की योजना बना रहे हैं।

फिलहाल प्रदर्शनकारी छात्रों के समर्थन में कोई छात्र संगठन खुलकर सामने नहीं आया है। लेकिन छात्रों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में उन्हें और लोगों और संगठनों का भी साथ मिलेगा। अपने आंदोलन से जुड़ने के लिए छात्र सामाजिक कार्यकर्ताओं, नेताओं और कई प्रोफेसरों से संपर्क कर रहे हैं। दिल्ली के विधायक दिलीप पांडे और आतिशी, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और सीएम अरविंद केजरीवाल से भी छात्रों ने अपने मुद्दे के समर्थन में बोलने के लिए भी अपील की है।

न्यूज़क्लिक ने इस संबंध में दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन का पक्ष जानने के लिए फोन और ईमेल के माध्यम से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन खबर लिखे जाने तक हमें कोई जवाब नहीं मिला है, जैसे ही कोई जानकारी मिलेगी खबर अपडेट की जाएगी।

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