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डॉ. कफ़ील की रिहाई के लिए बिहार में प्रदर्शन, ट्विटर पर भी चला ज़ोरदार अभियान

बिहार में भाकपा-माले, आइसा, इनौस व इंसाफ मंच ने विरोध प्रदर्शन किया। इसके साथ ही रविवार को डॉ. कफ़ील की रिहाई का अभियान ट्विटर पर भी ट्रेंड करता रहा।
डॉ. कफ़ील की रिहाई के लिए बिहार में प्रदर्शन

गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज के शिशु चिकित्सक डॉ. कफ़ील ख़ान पिछले कई महीनो से जेल में बंद हैं। उनकी रिहाई की मांग को लेकर रविवार, 19 जुलाई को पूरे बिहार में भाकपा-माले, आइसा, इनौस व इंसाफ मंच ने विरोध प्रदर्शन किया। इसके साथ ही रविवार को डॉ. कफ़ील की रिहाई की मांग ट्विटर पर भी ट्रेंड करता रहा। केवल 4 घंटे में #ReleaseOurDrkafeel हैशटैग के साथ एक लाख ट्वीट हुए जिसमें लगभग सभी ने कफ़ील की रिहाई की मांग की और योगी सरकार द्वार उन्हें जेल में डेल जाने की आलोचना की। बिहार में प्रदर्शन कर रहे लोगों ने उन्हें याद करते हुए कहा कि चमकी बुखार हो या बाढ़ हर समय डॉ. कफ़ील ने बिहार के लोगो की मदद की है।

आपको बता दे कि यूपी की योगी सरकार ने डॉ. कफ़ील ख़ान को जेल में डाला है। पहली बार 2017 में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में आपराधिक सरकारी लापरवाही के कारण ऑक्सीजन के अभाव में 60 से ज्यादा बच्चों की मौत हुई थी, जिसके लिए प्रदेश की योगी सरकार की आलोचना हुई थी। इस दौरान डॉ. कफ़ील बच्चों की जान बचाने वाले हीरो की तरह उभरे थे। बहुत लोगों का मानना है कि यही बात योगी सरकार को नागवार गुज़री और वह उसके पीछे हाथ धोकर पड़ गई।

12 दिसम्बर 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में सीएए के खिलाफ आयोजित सभा में कथित उत्तेजक भाषण देने के आरोप में 29 जनवरी 2020 को पुनः उन्हें मुंबई हवाई अड्डे से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। 10 फरवरी 2020 को उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिल गई, लेकिन जेल से रिहा करने में तीन दिन देरी की गई। 13 फरवरी को कोर्ट ने उन्हें रिहा करने का आदेश फिर से जारी किया, लेकिन रिहाई की बजाय 14 फरवरी को उन पर 3 महीने के लिए रासुका लगा कर फिर डिटेन कर लिया गया। डिटेंशन की अवधि खत्म होने से पहले फिर 12 मई 2020 को रासुका की अवधि 3 महीने के लिए बढ़ा दी गई है।

बिहार में डॉ. कफ़ील की रिहाई को लकेर प्रदर्शन

राजधानी पटना, आरा, पूर्णिया, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, सिवान, अरवल, नालंदा, पूर्णिया, रोहतास, गया, नवादा, समस्तीपुर, सहरसा सहित पूरे बिहार में भकपा-माले ने विरोध प्रदर्शन किया।

इस मौके पर पटना में राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि सरकार की नीतियों - फैसलों का विरोध करने के कारण डॉ. कफ़ील पर रासुका लगाकर जेल में बंद कर देना योगी सरकार का फ़ासीवादी कदम है। अभी संकट की घड़ी में वे बाहर होते तो हम सबके काम आते। उन्होंने कहा कि 2017 वाली घटना में सरकार ने उलटे डॉ. कफ़ील को ही बच्चों की मृत्यु के लिए जिम्मेवार ठहराकर जेल भेज दिया था। खुद सरकार द्वारा गठित जांच दल ने 2 साल बाद सितम्बर 2019 में उन्हें दोषमुक्त घोषित कर दिया। लेकिन जांच दल ने उन्हें योगी जी से माफ़ी मांगने को भी कहा डॉ. कफ़ील ने माफ़ी नहीं मांगी और वे फिर योगी जी के निशाने पर आ गए।

राज्य कार्यालय के अलावा पटना में पार्टी के वरिष्ठ नेता व पोलित ब्यूरो के सदस्य राजाराम सिंह ने भी अपने घर से विरोध दर्ज किया। राजधानी पटना में राज्यव्यापी कार्यक्रम के तहत दीघा में माले नेताओं ने प्रतिवाद दर्ज किया। पटना के नेताओं ने कहा कि विगत वर्ष की बाढ़ और पटना के जलजमाव के समय भी डॉ. कफ़ील ने कैंप लगाकर पटना सहित कई जगहों पर लोगों का इलाज किया था। ऐसे समाजसेवी चिकित्सक को राजनीतिक पूर्वाग्रहों से ग्रसित होकर यूपी की सरकार जेल में सड़ाकर मार देना चाहती है। ऐसा हम किसी भी सूरत में नहीं होने देंगे।

मुजफ्फरपुर से डॉ. कफ़ील ख़ान का विशेष संबंध रहा है। वहां इन संगठनों के नेतृत्व में जगह-जगह प्रदर्शन किये गए। इस मौके पर कृष्णमोहन ने कहा कि डॉ. कफ़ील पड़ोस के गोरखपुर के होने के कारण बिहार से जीवंत रूप से जुड़े रहे हैं। जब चमकी बुखार से मुजफ्फरपुर में हाहाकार मचा हुआ था, उन्होंने यहां कैम्प लगाकर बच्चों का इलाज किया और उनका मुजफ्फरपुर से गहरा संबंध स्थापित हो गया है।

ट्विटर पर भी डॉ. कफ़ील रिहाई की माँग की आंधी

#ReleaseOurDrkafeel रविवार शाम को इण्डिया में टॉप ट्रेंड करता रहा। केवल एक घंटे के भीतर एक लाख से अधिक लोगों ने ट्वीट किया। ट्विटर पर लोग ने उन्हें देश का हीरो बता रहे थे और उन्हें तुरंत रिहा करने की मांग कर रहे थे। कई यूजर ने कहा इस समय देश माहमारी से जूझ रहा है ऐसे में डॉ. कफ़ील की जरूरत देश को है उन्हें तुरंत जेल से रिहा करना चाहिए।

एम्स के डॉ. हरजीत सिंह भट्टी ने कफ़ील की रिहाई की मांग की और कहा ये देश का दुर्भाग्य है कि एक तरफ तो सरकार डॉक्टर को देश की धरोहर कहते हैं लेकिन अगर कोई डॉक्टर कोई सवाल करता है तो उसे देश के लिए खतरा बताकर जेल में डाल देते हैं।

उन्होंने उम्मीद जताई की इस प्रतिक्रिया के बाद सरकार सुने और उन्हें तत्काल रिहा करे।

इसके साथ ही फिल्मी जगत के कई लोगों जैसे स्वर भास्कर ऋचा चड्ढा और सुशांत ने ट्वीट किया। सुशांत सिंह ने लिखा कि ये अंधा शहर है, ये अंधा शहर...

डॉ. नीलेश ने ट्वीट करते हुए कहा कि जिसने स्वास्थ्य विभाग को बेहतर करने के लिए आवाज उठाई उन्हें जेल क्यों? क्या स्वास्थ्य विभाग के विषय में डॉक्टर से बेहतर कोई और जानता है? जिसने बच्चों के लिए देश भर में कैम्प लगाया उन्हें जेल में क्यों रखा गया है, उन्हें रिहा किया जाए।

इसी तरह के संदेश के साथ लाखों लोगों ने ट्वीट किया और सभी ने आरोप लगाया कि सरकार ने डॉ कफ़ील को एक राजनीतिक साज़िश के तहत गिरफ़्तार किया है। इसलिए उन्हें तुरंत रिहा किया जाए।

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