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सीडब्ल्यूसी के बिना नोटिस के निकाले गए सैकड़ों मज़दूरों का प्रदर्शन

पूर्वी दिल्ली में 35 वर्षों से कार्यरत 300 कॉन्ट्रेक्ट मज़दूरों को 6 जनवरी से काम से हटाए जाने के विरोध में सीडब्ल्यूसी एमडी के दफ़्तर पर रोष प्रदर्शन किया गया और सभी मज़दूरों को बहाल करने की मांग की गई।
 सीडब्ल्यूसी के बिना नोटिस के निकाले गए सैकड़ों मज़दूरों का प्रदर्शन

सेन्ट्रल वेयरहाउसिंग कारपोरेशन, (सीडब्ल्यूसी) आईसीडी, पटपड़गंज के सैकड़ों मजदूरों ने   नौकरी से हटाए जाने के विरोध में सीरी फोर्ट इंस्टिट्यूशनल एरिया स्थित सीडब्ल्यूसी एमडी के मुख्यालय के समक्ष जबरदस्त रोष प्रदर्शन किया। मजदूरों ने ये प्रदर्शन सी.आई.टी.यू. से सम्बद्ध जनरल मजदूर लाल झंडा यूनियन के बैनर तले  किया।

इससे पहले मज़दूर लगातार 6 जनवरी से ही विरोध प्रदर्शन कर रहे है। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई, इसलिए आज मंगलवार को मज़दूरों ने दिल्ली के हौज ख़ास स्थिति सीडब्ल्यूसी मुख्यालय पर प्रदर्शन किया।

मजदूरों ने सीडब्ल्यूसी प्रबंधन के इस कदम को पूर्णतः गैर कानूनी व घोर अमानवीय कदम बताया। मजदूर लागातार नौकरी बहाल करने व प्रबंधन की गुंडागर्दी नहीं चलेगी के जमकर नारे लगा रहे थे।

निकाले गए मजदtर बरसाती, जो सीडब्ल्यूसी यूनियन के नेता भी हैं, उन्होंने सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि 6 जनवरी को प्रबंधन ने  तानाशही और मनमानीपूर्ण रवैया अपनाया और पुलिस ने भी उसका साथ दिया।

बरसाती ने बताया कि किस प्रकार ठेकेदारों की बदली, मै0 सुमन फारवर्डिंग एजेंसी प्रा. लि. के जाने व मै0 राहुल रोडवेज के आने के दौरान ये घटना घटित हुई। जिसके लिए  सीडब्ल्यूसी प्रबंधन ही पूर्णतः दोषी है।  क्योंकि 35 वर्ष में ठेकेदार की बदली पर पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था।

अंत में उन्होंने नौकरी में जल्द से जल्द बहाल करने की मांग को दोहराया व सभी प्रकार के बकाया वैध राशि के जल्द भुगतान की मांग रखी। 

प्रदर्शन कर रहे मज़दूरों को सीटू दिल्ली राज्य कमेटी महासचिव अनुराग सक्सेना,  अध्यक्ष वीरेन्द्र गौड़, सीटू दिल्ली राज्य कमेटी, दक्षिणी दिल्ली सीआईटीयू सचिव जेपी दुबे, एन्टी मलेरिया एकता कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष देवानंद, दिल्ली जल बोर्ड के सुभाष समेत कई नेताओं ने संबोधित किया। लगभग सभी वक्ताओं ने सीडब्ल्यूसी प्रबंधन व नए ठेकेदार के रवैये की जमकर आलोचना की  तथा मज़दूरों के बहादुराना संघर्ष के साथ अपनी एकजुटता प्रकट की।

साथ ही मजदूर नेताओं ने केन्द्र की सरकार द्वारा श्रम कानूनों में किए जा रहे बदलावों को मजदूर विरोधी बताते हुए इस सबके लिए उन्हें ही दोषी बताया। मज़दूर नेताओं के अनुसार इन्हीं बदलावों के चलते मालिकों व पूंजीपतियों के हौसले बुलंद हुए हैं और वे ऐसी हिम्मत कर पा रहे हैं कि 35 वर्ष से काम करने वाले मज़दूरों को हटाने से पहले नोटिस देना भी उचित नहीं समझते। 

अनुराग सक्सेना ने बताया कि किस प्रकार 35 वर्षों में 9 ठेकेदार आए व चले गए परन्तु मज़दूर यही काम करता रहा। अनेकों मैनेजर आए व चले गए परन्तु मजदूर की सेवायें ज्यों के त्यों बनी रही।  उन्होंने बताया कि किस प्रकार मजदूरों ने संस्थान की तरक्की व उन्नति में पूरी लग्न व मेहनत से कार्य किया है। जिसमें अधिकांश कर्मचारियों की पूरी उम्र ही संस्थान में काम करते हुए निकल गई।

पुलिस ने आकर कार्यक्रम में व्यवधान डालने का प्रयास किया व धारा 144 का हवाला देते हुए प्रदर्शन समाप्त करने को कहा।  लेकिन मजदूरों ने अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा।

कार्यक्रम के अंत में सभी की नौकरी बहाली व जल्द से जल्द अन्य आर्थिक देनदारियां, 2 माह का वेतन, अप्रैल 2018 से मंहगाई भत्ता व 2 वर्ष का बोनस का भुगतान करने सम्बंधी ज्ञापन पत्र 3 नेता साथियों द्वारा डीजीएम पर्सनेल पवन कुमार को सौंपा गया। उन्होंने माँगों को पूरा करने व पटपड़गंज के मैनेजर से जल्द बात करने का आश्वासन दिया।

मजदूर नेताओं ने प्रबंधन को चेतावनी देते हुए कहा  कि यदि मज़दूरों की मांगें जल्द नहीं मानी गईं तो आंदोलन और तीखा होगा जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी सीडब्ल्यूसी प्रबंधन की होगी। 

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