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ईजिप्ट : पिछले साल हुए प्रदर्शनों के मौक़े पर सरकार विरोधी प्रदर्शन

सरकार द्वारा कार्रवाई के बावजूद मिस्र के विभिन्न शहरों में प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति सीसी सरकार की निंदा करते हुए सड़कों पर उतर गए।
ईजिप्ट

सरकार की सख़्त कार्रवाई का विरोध करते हुए सैकड़ों मिस्रवासी राष्ट्रपति अब्देल फत्तह अल-सीसी से रविवार 20 सितंबर को इस्तीफ़ा मांगते हुए गिज़ा और स्वेज़ सहित विभिन्न शहरों और कस्बों में सड़कों पर उतर गए। ये विरोध प्रदर्शन पिछले साल इसी तरह के हुए विरोध प्रदर्शनों के मौक़े पर किए गए। पिछले साल का प्रदर्शन मिस्र में सबसे बड़ा सरकार-विरोधी प्रदर्शन था।

ये प्रदर्शनकारी मोहम्मद अली द्वारा किए गए आह्वान के बाद प्रदर्शन करने उतरे। कॉन्ट्रैक्टर और एक्टर से व्हिस्लब्लोअर बने अली स्पेन में स्व-निर्वासित ज़िंदगी जी रहे है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पेज के अनुयायियों से पिछले साल के विरोध की सालगिरह की याद में "20 सितंबर को बाहर जाने" को कहा था। यूट्यूब पर उनके वीडियो में सीसी सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाए गए जिसे लाखों बार देखे गए और इसके परिणामस्वरुप सितंबर 2019 में सीसी सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हुए।

पिछले साल हुए विरोध प्रदर्शनों को लेकर सरकार की तरफ से की गई कार्रवाई में देश भर से हज़ारों लोगों को गिरफ़्तार किया गया था। साल 2013 में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी को पदच्युत करते हुए सैन्य तख्तापलट के बाद सत्ता में आने के बाद सीसी सरकार ने प्रदर्शनों को ग़ैरक़ानूनी घोषित कर दिया। बाद में मुर्सी की जेल में मृत्यु हो गई।

मिस्र के ऑनलाइन समाचार पोर्टल मैडामस्र ने 16 सितंबर को बताया था कि कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन की आशंका के चलते अधिकारियों ने कैफे बंद कर दिए और कुछ वामपंथी बुद्धिजीवियों और एक्टिविस्टों सहित सैकड़ों लोगों को गिरफ़्तार कर लिया। अधिकारियों ने पिछले वर्षों के विरोध प्रदर्शन की सालगिरह से कुछ दिन पहले सभी महत्वपूर्ण विरोध स्थलों पर सुरक्षा बलों को तैनात किया था। अल-जज़ीरा के अनुसार, देश में सरकार-समर्थक मीडिया ने विरोध प्रदर्शनों को "बाहरी साजिश का हिस्सा" बताने के लिए 20 सितंबर से पहले बड़े पैमाने पर मीडिया अभियान शुरू किया।

अब्देल फत्ताह अल-सीसी की सरकार ने विरोध प्रदर्शनों को अवैध करके तानाशाही रुख अख्तियार कर लिया है। इसने श्रमिकों द्वारा बुलाई जाने वाली सभी प्रकार की हड़तालों पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। सैकड़ों कार्यकर्ता और पत्रकार जिन्होंने किसी भी तरह से सरकार की आलोचना की है वे वर्षों से जेलों में बंद हैं।

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