Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

दिल्ली एनसीआर में फैक्टरी मज़दूरों ने मनाया मांग दिवस, अपने हक़ में आवाज़ की बुलंद

केन्द्रीय मज़दूर संगठन सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) के दिल्ली राज्य सचिव अनुराग सक्सेना ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि यह कार्रवाई राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में काम करने वाले और देश के इस इलाके में अपार संपदा का सृजन करने वाले उन औद्योगिक श्रमिकों की ओर से थी, जो न्यूनतम सम्मान तथा जीवन व जीविका की सुरक्षा के लिए जूझ रहे हैं।
workers

कल 24 अगस्त 2022 को दिल्ली एनसीआर में मज़दूरों ने अलग-अलग जगहों पर प्रदर्शन किया। ये प्रदर्शन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र श्रमिक समन्वय समिति (NCRWCC) के आह्वान पर पूरे एनसीआर क्षेत्र में औद्योगिक मज़दूरों के मांग दिवस के रूप में मनाया गया। इसमें दिल्ली, गाज़ियाबाद और गौतम बुद्ध नगर के मज़दूरों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया। प्रदर्शन के दौरान फैक्टरी गेटों, औद्योगिक इलाकों तथा कार्यक्षेत्रों पर प्रदर्शन/ नुक्कड़ मीटिंग के माध्यम से आज पूरे एनसीआर क्षेत्र में फैक्टरी मज़दूरों ने अपनी माँगों के पक्ष में आवाज़ बुलंद की। इसके साथ दिल्ली व उत्तर प्रदेश के श्रम विभागों को इन माँगों से संबंधित ज्ञापन भी सौंपा गया।

केन्द्रीय मज़दूर संगठन सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) के दिल्ली राज्य सचिव अनुराग सक्सेना ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि यह कार्रवाई राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में काम करने वाले और देश के इस इलाके में अपार संपदा का सृजन करने वाले उन औद्योगिक श्रमिकों की ओर से थी, जो न्यूनतम सम्मान तथा जीवन व जीविका की सुरक्षा के लिए जूझ रहे हैं।

आगे उन्होंने कहा कि आज की कार्रवाई इस पूरे क्षेत्र में औद्योगिक मज़दूरों के संघर्षों और आंदोलन में समन्वय के साथ आगे बढ़ने की तरफ पहला कदम था। पूरे इलाके में मज़दूरों को अक्सर यूनियन बनाने पर शिकार बनाया जाता है। जहां यूनियन बना भी पाते हैं वहाँ मालिक कानूनी अधिकारों से वंचित रखने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं तथा सबसे बर्बर हमले हम में से ठेका कर्मी, ट्रेनी व अन्य गैर-पक्के श्रमिकों पर किया जाता है। संगठन बनाने, समान काम का समान वेतन तथा स्थाई प्रकृति के कामों में पक्का करने जैसे संवैधानिक अधिकारों से मज़दूरों को वंचित रखा जाता है। मालिकों की दबिश का सामना करते हुए हम में से अधिकांश को कोई भी सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध नहीं है तथा पूरे एनसीआर क्षेत्र में घोषित न्यूनतम वेतन का न मिलना व काम से गैर कानूनी तरीके से निकालना आम है।

NCRWCC ने दिल्ली एनसीआर में काम करने वाले श्रमिकों के नाम एक संदेश जारी कर उन्हें एकजुट होने का आह्वान और उन्हें औद्योगिक योद्धाओं बताते हुए कहा आज वो न्यूनतम सम्मान तथा जीवन व जीविका की सुरक्षा के लिए जूझ रहे हैं।

आज की तारीख में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में एनसीटी दिल्ली, हरियाणा के 14 जिले, उत्तर प्रदेश के 8 जिले तथा राजस्थान के 2 जिले शामिल हैं। एनसीआर में काम कर रहे मजदूरों के खून-पसीने ने इस क्षेत्र को भारत के सकल घरेलू उत्पाद में सबसे बड़ा योगदानकर्ता बना दिया है- यह आकंड़ा जीडीपी का लगभग 8% है।

NCRWCC के अनुसार आज एनसीआर के औद्योगिक मज़दूर आईटी क्षेत्र के लिए मशहूर नोएडा-गुड़गाँव के स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन व इंडस्ट्रियल क्लस्टर, फरीदाबाद औद्योगिक केंद्र, मेरठ के शैक्षणिक हब, ग़ाज़ियाबाद से लेकर सोनीपत, पानीपत तथा अलवर के औद्योगिक क्षेत्रों तक में काम करते हैं। हम ऑटोमोबाइल, मेटल इंडस्ट्री, टेक्सटाइल, कपड़े व जूता उद्योग, दुग्ध उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक्स व इलेक्ट्रॉनिक पूर्जे के उद्योग, रबर व प्लास्टिक, छोटे तथा मझौले उद्योग, पर्यटन, रियल एस्टेट व स्टार्ट अप समेत अनेकों उद्योगों में काम करते हैं। हमारे कार्यक्षेत्र, हमारा काम, वेतन व सामाजिक श्रेणी अलग-अलग हो सकते हैं, पर हमारे शोषण व उत्पीड़न का तौर-तरीका एक समान है।

यूनियन ने आगे बताया कि हम कार्यक्षेत्र में बेहद तनावपूर्ण स्थिति में काम करने पर तथा कम वेतनों के चलते अमानवीय कमरों/मकानों में रहने पर मजबूर हैं। जहाँ उत्पादन में हमारे वेतन का हिस्सा दिल्ली में 20.63%, हरियाणा में 17.57%, राजस्थान में 15.94% और उत्तर प्रदेश में 15.77% है; वहीं हमारे श्रम द्वारा किए गए उत्पादन में मालिकों के मुनाफ़े की लूट का हिस्सा दिल्ली में 23.44%, हरियाणा में 41.84%, राजस्थान में 45.87% और उत्तर प्रदेश में 43.33% है। हमारे शोषण और हमारी मेहनत की लूट का पैमाना इससे स्पष्ट है।

NCRWCC ने इस बिन्दु को भी रेखांकित किया कि हमारे संघर्षो के बीच सांगठनिक समन्वय की कमी का फायदा मालिक उठाते हैं और अक्सर हमें यूनियन बनाने पर शिकार बनाया जाता है। जहां यूनियन बना भी पाते हैं वहाँ मालिक कानूनी अधिकारों से वंचित रखने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं तथा सबसे बर्बर हमले हम में से ठेका कर्मी, ट्रेनी व अन्य गैर-पक्के श्रमिकों पर किया जाता है। संगठन बनाने, समान काम का समान वेतन तथा स्थाई प्रकृति के कामों में पक्का करने जैसे संवैधानिक अधिकारों से हमें वंचित रखा जाता है। मालिकों की दबिश का सामना करते हुए हम में से अधिकांश को कोई भी सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध नहीं है तथा पूरे एनसीआर क्षेत्र में घोषित न्यूनतम वेतन का न मिलना व काम से गैर कानूनी तरीके से निकालना आम है।

आज मांग दिवस के माध्यम से निम्न मांगों को उठाया गया :-

i. एनसीआर में एक समान न्यूनतम मजदूरी, जो कि दिल्ली सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन से कम न हो।

ii. पंजीकरण जारी करने में देरी किए बिना यूनियन बनाने का अधिकार सुनिश्चित करो तथा यूनियन बनाने पर उत्पीड़न करना बंद करो।

iii. वैधानिक अधिकार और हित लाभ सुनिश्चित करो।

iv. मजदूर विरोधी श्रम संहिता को खत्म करो।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest