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दिल्ली हिंसा की पूरी कहानी: कैसे हुई शुरुआत और कब क्या घटा...

उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा में अब तक कम से कम 42 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 200 से अधिक लोग घायल हैं। हिंसा के सिलसिले में दिल्ली पुलिस ने अब तक 254 प्राथमिकी दर्ज की है और 903 लोगों को गिरफ्तार किया है या हिरासत में लिया है।
Delhi violence

दिल्ली: पिछले हफ्ते की शुरुआत में उत्तर पूर्व दिल्ली के कुछ हिस्सों में हिंसा भड़क गई। इस हिंसा में अब तक कम से कम 42 लोगों की मौत हो चुकी है और 200 से अधिक लोग घायल हैं। ज्यादातर लोग 24 और 25 फरवरी से हिंसा की बात कर रहे हैं लेकिन इसकी भूमिका इससे पहले शनिवार रात यानी 22 फरवरी से बनने लगी थी। गौरतलब है यह सब किसी एक इलाके में नहीं हो रहा था बल्कि उत्तर पूर्व के कई इलाकों में एकसाथ, कई घटनाएं घट रही थी।

इस पूरे इलाके में लगभग 10 से अधिक जगहों पर सीएए के खिलाफ दिन रात का धरना जारी था। इसे लेकर तरह-तरह के भ्रम, अफवाहें भी लोगों के बीच फैलाई जा रहीं थी। हिंसा की वजह को समझने के लिए समय के साथ इस पूरे इलाके में हो रही घटनाओं को एक साथ देखना पड़ेगा। एक नजर...

-22 फरवरी को रात करीब 10 बजे जाफराबाद मेट्रो के नीचे सीलमपुर-मौजपुर मुख्य सड़क पर सीएए के विरोध में महिलाएं बैठ गईं। रात के 12 बजे तक इनकी संख्या हजारों में पहुंच गई लेकिन एक तरफ का रास्ता खुला था वहां से गाड़ियों की आवाजाही जारी थी।

-23 फरवरी को महिलाओं का सड़क पर प्रदर्शन जारी रहा। इस दौरान एक बात साफ दिख रहा थी कि पुलिस इन प्रदर्शनकारियों से हटने के लिए अपील नहीं कर रही थी। 23 फरवरी को ही भीम आर्मी का भारत बंद का आह्वान था। इससे इन सभी आंदोलनों में और तेजी आई।

-23 फरवरी को सुबह 11 बजे के करीब चांद बाग़ में महिलाएं जो कि तकरीबन दो महीने से धरने पर बैठी थी, उन्होंने राजघाट की तरफ मार्च शुरू किया। हालांकि पुलिस ने इजाजत नहीं दी। इसके बाद ये लोग भी सर्विस रोड से हटकर मुख्य सड़क पर बैठ गए।

-23 फरवरी को ही दिन में 12:30  बजे के आसपास पूर्वी दिल्ली के खुरेजी में भी प्रदर्शन कर रही महिलाएं मुख्य सड़क पर आ गईं।

- 23 फरवरी को दिन में 3 बजे कपिल मिश्रा के नेतृत्व में सैकड़ों की संख्या में हिंदुत्ववादी उग्र भीड़ आई। यह भीड़ सीएए के समर्थन में आई थी। इस भीड़ ने कुछ मिनटों में ही मौजपुर सीलमपुर की दोनों मुख्य सड़क को बन्द कर दिया। इस दौरान उन्होंने कई आपत्तिजनक नारे भी लगाए। बार-बार वो भीड़ पुलिस से सीएए के विरोधियों को मारने की बात कर रही थी। इसके साथ ही वो मोदी-मोदी के नारे भी लगा रही थी।

- 23 फरवरी को 4 बजे के करीब पुलिस के डीसीपी आए और उन्होंने कपिल मिश्रा से बात की। इसके बाद कपिल मिश्रा ने उनके सामने ही भड़काने वाली बात कही और धमकी देते हुए कहा कि अगर तीन दिन में रास्ता साफ नहीं हुआ तो वो फिर किसी की नहीं सुनेंगे।

- 23 फरवरी को शाम साढ़े चार बजे कपिल मिश्रा के वापस जाने की अपील के बाद भी लोग सड़क पर ही रहे। इस दौरान गाड़ी वालों को पीटा भी गया और मुस्लिम लोगों की पहचान कर उनके साथ दुर्व्यवहार शुरू हो गया। फिर इसी दौरान दोनों समूहों में पत्थरबाजी शुरू हो गई। हालांकि ये कह पाना मुश्किल है कि इसकी शुरुआत किधर से हुई।

- 23 फरवरी को शाम 5 बजे तक मौजपुर रेड लाइट से लेकर बाबरपुर मेट्रो स्टेशन तक का पूरा इलाका पत्थरबाजी और हुड़दंगियों के कब्जे में था। एक तरफ हिंदूवादी सीएए के समर्थक थे तो दूसरी तरफ मुस्लिम भीड़ थी जिसके साथ सीएए का विरोध कर रहे लोग थे। यहां की आबादी भी कुछ इस तरह थी कि एक तरफ हिंदू बहुल इलाके और दूसरी तरफ मुस्लिम बहुल इलाके थे। यह सब पूरी रात चलता रहा लेकिन पुलिस बल असहाय दिख रही थी। वो इस पर काबू नहीं पा रही थी। उस पर आरोप है कि उसने जानबूझकर ऐसा किया।

-23 फरवरी को रात 10 बजे पुलिस बल की मौजूदगी में मौजपुर चौक पर ट्रैक्टर से ईंट-पत्थर उतारे गए।

- 24 फरवरी सुबह तकरीबन 10 बजे चांद बाग के पास धरनास्थल पर पुलिस बल की मौजूदगी बढ़ी और उन्होंने प्रदर्शनकारियों को हटाने की कोशिश की। इस बीच दक्षिणपंथी हिन्दू संगठन के लोग भी जय श्रीराम और मोदी के नारे लगाते हुए सड़क पर आ गए। इसके बाद दोनों समूहों के बीच पत्थरबाजी शुरू हो गई।

- 24 फरवरी को तकरीबन 12 बजे भजनपुरा पेट्रोल पंप में आग लगी जो चांदबाग प्रदर्शन स्थल के दूसरी तरफ था। इस घटना के बाद आगजनी और हिंसा का दौर तेज हुआ। इसके बाद भजनपुरा मेन रोड पर मौजूद मजार में आग लगा दी गई। इन घटनाओं के बाद सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर दोनों समुदायों में अफवाहों का दौर शुरू हुआ। जिससे इस हिंसा ने एक दंगे की शक्ल ले ली।  

-24 फरवरी को तकरीबन दो बजे भजनपुरा से थोड़ी दूर खजूरी में भी हिंसा शुरू हो गई। यहां मुस्लिमों को पहचानकर मारा जारहा था। इसके साथ उन सभी गाड़ियों में तोड़-फोड़ की गई और आग लगा दी गई जो गैर हिंदुओं की लगी।

-24 फरवरी शाम तीन बजे बड़ी संख्या में मुस्लिम पुरानी दिल्ली से अपने तीन दिन के इस्तेमा की आखिरी दुआ करके लौट रहे थे। उनपर दंगाइयों ने हमला करना शुरू कर दिया। लोगों के कपड़े टोपी देखकर मारना शुरू कर दिया। इससे बचने के लिए काफी लोगों ने पुस्ता रोड के नीचे जंगलो में शरण ली जिन्हें कई घंटो बाद वहां से सुरक्षित निकाला गया।

- 24 फरवरी को चार बजे खजूरी में हिन्दू-मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग आमने-सामने आ गए। दोनों तरफ से पत्थरबाजी और आगजनी शुरू हो गई। पुलिस मूकदर्शक बनी रही। 24 फरवरी को लगभग 12 बजे कर्दमपुरी और बृजपुरी में पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े।

- 24 फरवरी को लगभग 12 बजे पेट्रोल पंप जलने के बाद ही लगभग उत्तर पूर्व के उन सभी इलाकों में हिंसा तेज़ हो गई जहां पिछले काफी समय से शांति पूर्ण सीएए  के खिलाफ़ प्रदर्शन चल रहे थे। 24 फरवरी को लगभग 8 बजे गोकलपुरी में टायर मार्केट में आग लगा दी गई।

-हिंसा का यह दौर पूरी रात चलता रहा। उम्मीद थी कि अगले दिन पुलिस बल इस पर काबू कर लेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अगले दिन हिंसा और बड़े स्तर पर हुई। इसकी आग उन इलाकों तक भी गई जो सोमवार तक शांत थे।

- 25 फरवरी को करावल नगर पुस्ता रोड पर बड़े पैमाने में गाड़ियों में आग लगा दी गई और लोगों के साथ मारपीट की गई।

-25 फरवरी को 11 बजे खजूरी चौक पर एकबार फिर पत्थरबाज़ी का दौर शुरू हुआ।

- 25 फरवरी 11 बजे उग्र समूह ने पूरे सोनिया विहार में लाठी डंडे और रॉड सरिया के भ्रमण किया। उत्तेजक नारे लगाए इस दौरान उन्हें जो मुस्लिम दुकान दिखी उसमे या तो तोड़-फोड़ की या उसे आग के हवाले कर दिया। लेकिन स्थानीय लोगों के हस्तक्षेप के कारण ये जल्द ही रुक गया। हालांकि इसके पहले इन दंगाइयों ने कई दुकानों में आग लगा दी थी।

-25 फरवरी को मुस्तफाबाद के शिव विहार में बड़े पैमने में आगजनी हुई। इसमें लोगों के दुकान-मकान सब जल गए। इसके बाद बड़े पैमाने पर लोग यहां से अपना घर बार छोड़कर भागे।

-25 फरवरी को वृजपुरी-मुस्तफाबाद में कई स्कूलों को आग के हवाले कर दिया गया। 25 फरवरी को मौजपुर से लेकर करवल नगर तक पत्थरबाजी और फायरिंग की घटना होती रही। इस दौरान कई पत्रकार भी घायल हुए ।

-25 फरवरी को 11:30 बजे अमित शाह ने दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के साथ मीटिंग की।

इसी दिन 3 बजे के करीब खबर आई कि अशोक नगर की एक मस्ज़िद पर हिंदूवादी संगठन के लोगों ने तोड़फोड़ की और उस पर से इस्लामिक झंडे हटकर हिन्दू प्रतीकों को लगाने की कोशिश हुई।

- 25 फरवरी को शाम 5 बजे के आसपास शिव विहार में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। इस दौरान कई मकानों को आग के हवाले कर दिया गया। एक मस्जिद में आग लगा दी गई। इसी दिन शाम 7 बजे दिल्ली के इंडिया गेट पर सिविल सोसाइटी के लोगों ने धरना दिया।

- 25 फरवरी को 8 बजे के करीब एसएन श्रीवास्तव को स्पेशल कमिश्नर पुलिस लॉ एंड ऑर्डर नियुक्त किया गया। 25 फरवरी को देर रात जाफराबाद के सड़क से प्रदर्शनकारियों को हटा दिया गया।

- 26 फरवरी को 11 बजे सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकर लगाई। उसी दिन 3 बजे के करीब पुलिस ने खुरेजी के प्रदर्शन स्थल से लोगों को हटाया। लगभग इसी वक्त राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने हिंसा ग्रस्त इलाकों का दौर किया।

- 26 फरवरी को 4 बजे केजरीवाल ने भी हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा किया। इसके बाद से इन हिंसा ग्रस्त इलाकों में बड़े पैमाने पर हो रहा हिंसा का तांडव रुक गया था लेकिन अफवाहों के आधार पर छुटपुट हिंसा का दौर चल रहा था।

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