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गुरुग्राम: सफ़ाई कर्मचारियों का प्रदर्शन, अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी

इन कर्मचारियों का साफ़तौर पर कहना है कि शासन-प्रशासन केवल ग़रीब मज़दूरों का हितैषी होने का दिखावा करता है लेकिन वास्तव में उसे किसी की कोई चिंता नहीं है।
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हरियाणा के गुरुग्राम में इन दिनों सफाई कर्मचारियों की हड़ताल चल रही है, जिसके चलते शहर की सफाई व्यवस्था का काम ठप हो गया है। जगह-जगह कूड़े के ढेर नज़र आ रहे हैं। सफाई कर्मचारी काम छोड़ धरने पर बैठे हैं। इन कर्मचारियों का आरोप है कि सरकार उनकी मांगों पर कोई गंभीरता नहीं दिखा रही है न ही कोई पदाधिकारी उनकी समस्याओं को सुनने के लिए समय ही दे पा रहा है। कुल मिलाकर मनोहर लाल खट्टर सरकार अपने ही किए वादों को लागू नहीं कर पा रही, जिससे प्रदेश के कई कर्मचारी संगठन अपनी मांगों को लेकर सड़क पर हैं।

बता दें कि हरियाणा में मिड-डे मील वर्कर्स से लेकर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और नगरपालिका कर्मचारियों सहित कई श्रमिक संगठन अपनी मांगों को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। सभी का आरोप है कि राज्य सरकार वादे तो बड़े-बड़े करती है लेकिन जब बात कर्मचारियों के हितों की आती है तो चुप्पी साध लेती है। हरियाणा के सभी कर्मचारियों ने राज्य सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ 28 मई को जींद में चेतावनी रैली का आयोजन भी किया है, जिसमें कई हज़ार कर्मचारियों के जुटने की संभावना है।

क्या है पूरा मामला?

नगर पालिका कर्मचारी संघ के बैनर तले जारी इस हड़ताल में नियमित और ठेका दोनों सफाई कर्मचारी शामिल हैं। इनकी प्रमुख मांगों में समय से सभी को वेतन मिलना, ठेकेदारी प्रथा को खत्म करना, आबादी और क्षेत्रफल के लिहाज से सफाई कर्मचारियों की भर्ती और पीने के पानी, शौचालय सहित अन्य सुविधाएं शामिल हैं, जिस पर राज्य सरकार पहले सहमति भी जता चुकी है। बावजूद इसके अपनी मांगों को लेकर ये लोग बीते लंबे समय से संघर्षरत हैं।

संगठन के पदाधिकारी बसंत कुमार न्यूज़क्लिक को बताते हैं कि फिलहाल जो गुरुग्राम में प्रदर्शन चल रहा है, वो इन कर्मचारियों के लगातार चलने वाले संघर्ष की ही एक कड़ी है। इसी साल फरवरी की शुरुआत में इन कर्मचारियों ने अपनी स्थानीय स्तर की मांगों को लेकर दो दिन की सांकेतिक हड़ताल की थी। जिस दौरान कमिश्नर की अध्यक्षता में मीटिंग भी हुई थी, और इसमें आश्वासन मिला था कि 15 दिन के भीतर जो भी मांगें लोकल स्तर पर हैं वो पूरी कर दी जाएंगी और जो सरकार के स्तर की होंगी उसका प्रस्ताव बनाकर आगे शासन-प्रशासन को भेज दिया जाएगा। बावजूद इसके जब कोई पहल नहीं हुई तो इन कर्मचारियों ने 24 फरवरी को फिर से सेक्टर 34 निगम मुख्यालय पर धरने की शुरुआत की और आज, 26 मई को इस धरने को चलते हुए लगातार 92 दिन हो गए।

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सफ़ाई कर्मचारियों का लगातार जारी प्रदर्शन

बसंत कुमार के मुताबिक बीते लगभग तीन महीने के दौरान इन कर्मचारियों ने जनता के बीच जाकर भी अपील की, शहर में झाडू प्रदर्शन भी किया, विधायकों की कोठी पर भी गए लेकिन हमारी कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। जिसके चलते मजबूरी में इस महीने 21 तारीख को निगम को दोबारा हड़ताल का अल्टीमेटम देना पड़ा। पहले एक दिन की हड़ताल का आयोजन हुआ फिर सरकार की बेरुखी के चलते इसे आगे बढ़ाना पड़ा। अगर अभी भी 27 मई तक सरकार इन कर्मचारियों की मांगों पर ध्यान नहीं देती तो आगे सभी कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।

प्रदर्शन में शामिल कई सफाई कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें बीते कई महीनों से समय पर तनख्वाह नहीं मिली, जबकि ये राज्य सरकार का आदेश है कि सभी कर्मचारियों को महीने की एक तारीख को वेतन मिल जाना चाहिए। इसके अलावा ठेकेदारी प्रथा का खात्मा होना चाहिए क्योंकि ठेकेदार द्वारा इनका मानसिक और आर्थिक रूप से शोषण किया जाता है। ठेकेदार इन्हें पूरा वेतन नहीं देता, जानबूझकर इन्हें काम से हटा दिया जाता है और कई परेशान करने वाले हथकंडे अपनाए जाते हैं। इसके साथ ही एक जरूरी मांग ये भी है कि जो हाजिरी प्वाइंट इन कर्मचारियों के हैं वहां पीने के पानी, शौचालय की सुविधा हो, जिससे महिला कर्मचारी भी सहज हो सकें।

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पीने के पानी और शौचालय तक की सुविधा नहीं

कई कर्मचारियों ने बताया कि जो हाजिरी प्वाइंट हैं वहां सुविधा के नाम पर टीन के डिब्बे खड़े कर दिए गए हैं, वो भी कूड़े के ढेरों के बीच। ऐसे में कर्मचारी जो पूरे दिन कूड़े में ही काम करते हैं, उन्हें खाने के लिए भी कूड़े में ही बैठना पड़ता है। इसके अलावा इन्हें कोई अन्य सुविधा नहीं मिलती। बीते साल हरियाणा कर्मचारी संघ की 11 दिनों की हड़ताल में राज्य सरकार ने कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने की बात कही थी, इस संबंध में पत्र भी जारी हुआ था लेकिन गुरुग्राम जिसमें 25 लाख आबादी है, क्षेत्रफल बड़ा है वहां केवल 3100 सफाई कर्मचारी नियमित हैं, वहीं 3487 लोग ठेके पर हैं और खाली पद एक भी नहीं है। यानी इतने बड़े इलाके के लिए ये संख्या बहुत कम है, इसलिए यहां नई भर्तियां होनी चाहिए लेकिन निगम प्रशासन इस ओर भी कोई कदम नहीं उठा रहा। उल्टा ठेके कर्मचारियों को वर्कआउट फोर्स में तब्दील कर रहा है, जिससे भविष्य में उनके नियमित होने की संभावना ही खत्म हो जाती है।

गौरतलब है कि सरकार ने इन कर्मचारियों की कई मांगों पर पूर्व में सहमति जताते हुए पत्र भी जारी किया है, लेकिन अब तक उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। जिसे लेकर इन कर्मचारियों में आक्रोश है। कर्मचारियों का साफतौर पर कहना है कि शासन-प्रशासन केवल खोखले वादे कर मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश और गरीब मजदूरों की हितैषी होने का दिखावा करता है लेकिन वास्तव में उसे किसी की कोई चिंता नहीं है। फिलहाल हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी की गठबंधन सरकार है और ये बीते लंबे समय से प्रदेश में किसानों और कर्मचारी संगठनों का विरोध झेल रही है। ऐसे में अगले साल होने वाले चुनाव मौजूदा सीएम खट्टर के लिए आसान साबित होते दिखाई नहीं दे रहे।

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