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हिसार : किसानों पर बर्बर लाठीचार्ज की चारों तरफ़ आलोचना, प्रदर्शन की चेतावनी के बाद हिरासत में लिए गए किसान रिहा

रविवार को हरियाणा के हिसार में किसानों पर एक बार फिर बर्बर सरकारी हमला हुआ। इस दौरान कई किसानों को पुलिस ने गाड़ी और ट्रैक्टर समेत हिरासत में भी ले लिया हालाँकि प्रदेशभर में किसानों के विरोध के बाद सभी को रिहा कर दिया गया।
हिसार : किसानों पर बर्बर लाठीचार्ज की चारों तरफ़ आलोचना, प्रदर्शन की चेतावनी के बाद हिरासत में लिए गए किसान रिहा

रविवार को हरियाणा के हिसार में किसानों पर एक बार फिर बर्बर सरकारी हमला हुआ। जिसमें सैकड़ों की संख्या में किसान जिनमें बुजुर्ग महिला किसान भी शामिल थीं, को पुलिस ने बेहरमी से पीटा, जिससे कई किसान पूरी तरह लहू लुहान हो गए। इस दौरान कई किसानों को पुलिस ने गाड़ी और ट्रैक्टर समेत हिरासत में ले लिया था हालाँकि प्रदेशभर में किसानो के विरोध के बाद सभी को रिहा कर दिया गया।

दरअसल हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का हिसार में कोरोना हस्पताल के नाम पर एक कार्यक्रम रखा गया था। इस दौरान किसान उनका विरोध करने जमा हुए थे। किसानों ने पहले ही चेतावनी दे रखी थी कि इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री को आने नहीं दिया जाएगा। क्योंकि पिछले साल से ही, जब से किसान आंदोलन चल रहा है, सत्तारूढ़ भाजपा और जजपा का लगातार विरोध हो रहा है। इन दोनों दलों के नेताओं का किसानों ने बहिष्कार किया हुआ है, इन नेताओं का कोई भी कार्यक्रम नहीं होने दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने इसे अपने अभिमान का विषय मानते हुए पूरी सरकारी मशीनरी के सहारे इस कार्यक्रम में आने की तैयारी की और वो इस बार आने में सफल भी हुए। लेकिन किसान संगठनों ने कहा यह भी किसानों की जीत है कि उस राज्य के मुख्यमंत्री को पुलिस व अन्य सरकारी बल के दम पर अपने राज्य में कार्यक्रम करना पड़ रहा है।

पूरा मामला

पुलिस ने रविवार को किसानों के उस समूह को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और बल प्रयोग किया जो उस स्थान की ओर मार्च करने का प्रयास कर रहा था, जहां हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर एक कोविड अस्पताल का उद्घाटन करने आए थे। इस दौरान हुई झड़प में कई व्यक्ति घायल हो गए।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने रविवार को यहां एक स्कूल में 500 बिस्तरों वाले कोविड अस्पताल का उद्घाटन किया और प्रदर्शन के हिंसक होने से पहले ही कार्यक्रम स्थल से चले गए।

पुलिस ने दावा किया कि किसानों को कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने से पहले रोक दिया गया। पुलिस ने कहा कि किसानों ने पुलिस बैरिकेड तोड़ दिए और पुलिस को उन्हें तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग करना पड़ा और आंसू गैस के गोले दागने पड़े।

किसानों ने जहां दावा किया कि पुलिस ने लाठीचार्ज किया जिसमें उनमें से सैकड़ों लोग घायल हो गए।

पुलिस ने दावा किया कि कुछ किसानों ने उन पर तब पथराव किया जब उन्होंने उन्हें रोकने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के पांच वाहनों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया। हालाँकि सोशल मीडिया पर कई ऐसे वीडियो सामने आए जिसमें पुलिस खुद किसानों पर पत्थरबाज़ी करती दिख रही है। साथ ही वो किसानों को भी बर्बर तरीके से पीटती नज़र आई।

किसान मोर्चा ने इसे अमानवीय और गैरकानूनी कार्रवाई बताई और सख्त निंदा करते हुए कहा हरियाणा के किसान संगठनों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए हरियाणा के सभी बड़े हाईवे को 2 घण्टे जाम रखा है। KMP पर भी किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया है। कई किसान नेता घटनास्थल पर पहुंचे। किसान नेताओं का कहना था है कि किसानों की मांगे न माने जाने पर कल (सोमवार) हरियाणा के सभी पुलिस थानों का घेराव किया जाएगा। हालाँकि इसे अब रद्द कर दिया गया है।

सयुंक्त किसान मोर्चा ने कहा हरियाणा के किसान आगामी कार्रवाई तय कर हरियाणा सरकार को जवाब देंगे। मोर्चा ने यह स्पष्ट किया कि है किसानों का यह आंदोलन केंद्र सरकार के खिलाफ है जो तीन कृषि कानूनों और MSP के सवाल पर केंद्रित है। परन्तु अगर हरियाणा सरकार बीच मे किसानों को बदनाम व परेशान करती है तो किसान उन्हें सबक सिखाएंगे।

बाद में देर शाम में किसान नेताओं ने कहा कि पुलिस अधिकारियों द्वारा हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा करने के लिए सहमत होने के बाद वे हरियाणा और उत्तर प्रदेश में सोमवार को तहसील और जिलास्तर पर विरोध प्रदर्शन नहीं करेंगे। हालाँकि किसानों के प्रदेशव्यापी विरोध को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने ये भी आश्वस्त किया की किसी भी किसान पर पुलिस मुकदमा नहीं होगा। किसानों ने इस अपनी जीत कहा और कहा कि किसानों के आगे एकबार फिर खट्टर सरकार झुकी है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस हमले में जख्मी किसानों का इलाज किसान संगठन करवाएंगे। साथ ही चेतावनी देते हुए कहा खट्टर सरकार को सख्त जवाब दिया जाएगा।

भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) नेता राकेश टिकैत ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘किसानों और पुलिस प्रशासन के बीच समझौता हो गया है। हरियाणा और उत्तर प्रदेश में विरोध कार्यक्रम नहीं होगा। हिरासत में लिए गए सभी लोगों को रिहा किया जा रहा है।’’

किसान नवंबर के अंत से केंद्र के नये कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं और राज्य में भाजपा-जजपा गठबंधन के नेताओं के सार्वजनिक कार्यों का विरोध कर रहे हैं।

लाठीचार्ज का विरोध करने के लिए हरियाणा भाकियू प्रमुख गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि किसानों ने केएमपी एक्सप्रेस-वे और पीपली में एनएच-44 सहित कई राजमार्गों को दो घंटे तक अवरुद्ध किया। घटना के बाद उन्होंने जींद-पटियाला, जींद-चंडीगढ़, जींद-रोहतक और हिसार-चंडीगढ़ राजमार्ग भी जाम किया।

अखिल भारतीय किसान सभा हरियाणा राज्य कमेटी ने इस घटना के लिए स्वयं मुख्यमंत्री को जिम्मेदार ठहराया है।

प्रेस बयान जारी करते हुए किसान सभा राज्य प्रधान फूल सिंह श्योकंद व राज्य कार्यकारी सचिव सुमित सिंह ने संयुक्त रूप कहा कि किसान पिछले 6 माह से आंदोलनरत है किसान केवल यह चाहते हैं जो काले कानून किसान को नुक्सान व कॉरपोरेट को फायदा पहुचाये वो कानून रदद् कर दिए जाए परन्तु केंद्र की भाजपा सरकार व प्रदेश भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार किसानों के हको को कुचलने पर आमादा है कानून रदद् करने की बजाय तो प्रदेश के मुख्यमंत्री तो कोरोना फैलाने में स्वम किसानों को जिम्मेदार मानते है उनकी ऐसी समझदारी किसानों का कैसा भला चाहेगी ।

संयुक्त मोर्चे के नेता और हरियाणा किसान सभा के उपाध्यक्ष इंद्रजीत ने कहा आज प्रदेश की जनता एक तरफ इन गलत नीतियों से लड़ रही है दूसरी तरफ महामारी से और मुख्यमंत्री वाहवाही लूटने के लिए उद्घाटन के ड्रामे कर रहे है ऐसे समय पर उद्धघाटन का क्या औचित्य है यह समझ से परे है । अगर वो सच मे ही जन हितैषी है तो क्यों नहीं किसान विरोधी काले कानून वापस लेते जिसके लिए किसान 6 माह से आंदोलनरत हैं।

इंद्रजीत ने कहा कि उन्होंने ( मुख्यमंत्री ) कुछ दिनों पहले एक बेतुका बयान देते हुए कहा गाँव में कोरोना किसान आंदोलन की वजह से फैला है। इस बयान के बाद किसान उनका विरोध नहीं करेगा तो क्या स्वागत करेगा ?

विपक्षी दलों ने भी इस हमले की निंदा की

हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने किसानों के खिलाफ बल प्रयोग की निंदा की।

उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘कृषि कानूनों को वापस लेने के बजाय, भाजपा-जजपा सरकार किसानों पर लाठियां बरसा रही है।’’

उन्होंने कहा कि ऐसी सरकार को सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है और उसे पद छोड़ देना चाहिए।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति में अस्पताल का उद्घाटन किया, और कोविड प्रोटोकॉल का पालन न करके उन्हें ‘‘जोखिम’’ में डाला।

वामपंथी दल सीपीआईएम ने हिसार में किसानों हुए लाठीचार्ज को बर्बरतापूर्ण कायराना पुलिसिया दमन बताया। उन्होंने कहा वो लाठीचार्ज के लिए जिम्मेवार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करती है।

कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पुलिस कार्रवाई का जिक्र करते हुए कहा कि ‘‘किसानों की पगड़ी खून से लाल हो गई।’’

उन्होंने कहा कि किसानों पर ‘‘ऐसी क्रूरता’’ करके, ‘‘खट्टर सरकार का जनरल डायर चेहरा उजागर हो गया है।’’

इनेलो के वरिष्ठ अभय सिंह चौटाला ने भी राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस लाठीचार्ज निंदनीय है।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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