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चीन ने वैश्विक महामारी घोषित होने से पहले ही SARS-CoV-2 से कैसे सबक ले लिया था

शुरुआती हफ़्तों में जब यह वायरस वुहान में दिखा, तो चीनी सरकार ने न तो सबूतों को दबाया और न ही उसकी चेतावनी प्रणाली नाकाम रही।
चीन

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 11 मार्च, 2020 को इसे एक वैश्विक महामारी घोषित किया था। डब्लूएचओ के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रोस ऐडरेनॉम ग़ैबरेयेसस ने उस दिन प्रेस कॉफ़्रेंस में कहा था कि यह "कोरोनोवायरस के कारण फैलने वाली पहली महामारी है।" उन्होंने कहा, "पिछले दो हफ़्तों में चीन के बाहर COVID-19 के मामलों की संख्या 13 गुनी बढ़ गयी है, और प्रभावित देशों की संख्या तीन गुनी हो गयी है।" 11 मार्च से ही यह साफ़ हो गया था कि यह वायरस घातक है और मानव समाज के ज़रिये इसमें आसानी से तेज़ी से फैलने की क्षमता है। लेकिन,यह शुरू से इतना स्पष्ट नहीं था।

17 मार्च को ही स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट (यूएसए) के क्रिस्टियन एंडर्सन और उनकी टीम ने साफ़ कर दिया था कि इस नये कोरोनवायरस वायरस, SARS-CoV-2 के जीन में एक म्यूटेशन था, जिसे पॉलीबैसिक क्लीवेज साइट के रूप में जाना जाता है, जो चमगादड़ या पैंगोलिन में पाए जाने वाले किसी भी कोरोना वायरस में अब तक नहीं देखा गया था और इस बात की संभावना है कि यह वायरस कई साल पहले मनुष्यों में आया रहो होगा, और वास्तव में ज़रूरी नहीं है कि यह ऐसा वुहान में में ही हुआ हो।

गुआंग्डोंग इंस्टीट्यूट ऑफ़ एप्लाइड बायोलॉजिकल रिसोर्सेज के डॉ चेन जिनपिंग ने अपने सहकर्मियों के साथ पहले 20 फ़रवरी को एक पेपर प्रकाशित किया था, जिसमें कहा गया था कि उनके डाटा इस दावे का समर्थन नहीं करते हैं कि यह नोवेल कोरोनो वायरस मनुष्यों में पैंगोलिन कोरोनो वायरस स्ट्रेन से सीधे विकसित होता है। महामारी वैज्ञानिक, झोंग नानशान ने कहा कि "हालांकि ठीक है कि COVID-19 पहली बार चीन में ही दिखाई दिया था, लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि यह यहीं पैदा हुआ हो।"

वैज्ञानिक अध्ययन जारी रहेगा और आख़िरकार हमें इस वायरस की अंतिम समझ इन्हीं अध्ययनों से मिलेगी। इस समय, यह साफ़ नहीं है कि यह सीधे वुहान के बाज़ार में ही दिखा।

हालांकि पश्चिमी वैज्ञानिक सावधानी बरत रहे थे, इसके बावजूद पश्चिमी मीडिया ने लगातार इस वायरस के स्रोत के बारे में वैज्ञानिक रूप से निराधार दावे किये हैं। वे निश्चित रूप से वुहान के डॉक्टरों या चीन के सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की बात नहीं सुन रहे थे।

जब वुहान में डॉक्टरों ने पहली बार दिसंबर में अस्पतालों में भर्ती अपने रोगियों को देखा, तो उनका मानना था कि रोगियों को निमोनिया था, हालांकि सीटी स्कैन से उन मरीज़ों में उनके फेफड़ों को गंभीर क्षति होती देखी गयी थी। मरीज़ों में हो रहे सामान्य चिकित्सा उपचार का असर भी नहीं दिख रहा था। डॉक्टरों को इन हालात ने चिंता में डाल दिया था, लेकिन इस बात की कल्पना करने की कोई वजह नहीं थी कि यह एक क्षेत्रीय महामारी और फिर एक वैश्विक महामारी का रूप लेने वाला है।

वुहान में डॉक्टर और अस्पताल के सामने आख़िरकार सबूत के साथ यह वायरस पकड़ में आ गया, और जैसे ही यह साफ़ हो गया कि यह एक नामालूम वायरस है और यह तेज़ी के साथ फैल रहा है, तो उन्होंने चीन के राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (सीडीसी) और फिर डब्ल्यूएचओ से संपर्क साधा ।

यदि आप केवल पश्चिमी समाचार पत्रों को पढ़ते हैं, विशेष रूप से न्यूयॉर्क टाइम्स पढ़ते हैं, तो आपको यह सब नहीं पता होगा, क्योंकि इस समाचार पत्र ने व्यापक रूप से अपनी चर्चित रिपोर्ट में कहा था कि चीनी सरकार ने इस महामारी के बारे में जानकारी को दबा दिया है और चीनी चेतावनी प्रणाली नाकाम रही है।

हमारी जांच में इस तरह के कोई भी तर्क सही नहीं पाए गये हैं। इस बात का कोई सबूत नहीं है कि चीनी सरकार ने व्यवस्थित रूप से इस जानकारी को दबाया था; केवल इस बात का सबूत है कि आम लोगों के सामने उस जानकारी को सरेआम करने और स्थापित प्रोटोकॉल का उपयोग नहीं करने के लिए कुछ डॉक्टरों को उनके अस्पतालों या वहां के स्थानीय पुलिस स्टेशन द्वारा फटकार लगायी गयी थी। इस बात का भी कोई सुबूत नहीं मिलता है कि चीनी डाइरेक्ट रिपोर्टिंग सिस्टम दोषपूर्ण था; इसके बजाय, केवल इस बात का सबूत है कि किसी भी सिस्टम की तरह यह सिस्टम भी आसानी से अनजाने या अस्पष्ट प्रकोप को हल नहीं दे सकता था।

अन्य प्रणाली की तरह चीनी चिकित्सा प्रणाली भी स्वास्थ्य देखभाल आपात स्थिति जैसी चीज़ों की रिपोर्टिंग के लिए एक सख़्त प्रक्रिया अपनाती है। चिकित्सा कर्मी अपने अस्पताल प्रशासन को रिपोर्ट करते हैं, इसके बाद अस्पताल प्रशासन सीडीसी और स्वास्थ्य आयोगों के विभिन्न स्तरों को रिपोर्ट करता है; वे इंटरनेट आधारित प्रत्यक्ष रिपोर्टिंग प्रणाली का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। चिकित्सा कर्मियों ने समस्या की रिपोर्ट करने में ज़रा भी देर नहीं की, और उच्च स्तरीय जांच टीम को वुहान पहुंचने में भी कम समय लगा। यही हक़ीक़त है,जो हमने अपनी जांच-पड़ताल में पायी है।

क्या चीनी सरकार ने जानकारी को दबाया?

इंटीग्रेटेड ट्रेडिशनल चाइनीज एंड वेस्टर्न मेडिसिन के हुबेई प्रांत के अस्पताल में रेस्पिरेटरी एंड क्रिटिकल मेडिसिन के निदेशक डॉ.झांग जिक्सियान ने 26 दिसंबर को एक बुज़ुर्ग दंपति को देखा। अपनी बीमारी से उन्हें बेहद परेशानी हो रही थी। उन्होंने उस दंपत्ति के बेटे के फेफड़े के सीटी स्कैन का इंतज़ाम किया। हालांकि उनका बेटा वैसे तो स्वस्थ दिखायी दे रहा था; लेकिन जो नतीजा सामने आया,उसमें "ग्राउंड ग्लास ओपैसिटी" यानी फ़ेफड़े की गड़बड़ियों के संकेत मिले। कारणों के बारे में पता नहीं होने की इस सूचना को डॉ झांग ने अस्पताल के उपाध्यक्ष ज़िया वेन्गुआंग और साथ ही अस्पताल के अन्य विभागों को दे दी; अस्पताल ने तुरंत रोग नियंत्रण और रोकथाम के लिए जियांगान ज़िला केंद्र को बता दिया। यह सबकुछ 24 घंटे के भीतर हुआ।

28 और 29 दिसंबर को हुबेई प्रांत के उस अस्पताल में और ज़्यादा मरीज़ पहुंचे। डॉक्टरों को अब भी इससे अधिक नहीं पता था कि इन रोगियों में निमोनिया के लक्षण दिख रहे थे, और इससे उनके फ़ेफड़ों को बड़ा नुकसान पहुंच रहा था। उनके सामने यह बात साफ़ हो गयी थी कि इस वायरस के फैलने की नज़दीकी जगह,दक्षिण चीन सीफूड मार्केट था। 29 दिसंबर को जैसे ही मामले बढ़े, अस्पताल के उपाध्यक्ष, ज़िया वेन्गुआंग ने सीधे प्रांतीय और नगरपालिका स्वास्थ्य आयोगों के रोग नियंत्रण विभाग को यह सूचना दे दी। उस दिन, नगरपालिका और प्रांतीय स्वास्थ्य आयोगों के रोग नियंत्रण विभाग ने वुहान सीडीसी, जिनिन्टन अस्पताल और जियांगान ज़िला सीडीसी को एक महामारी विज्ञान जांच के लिए हुबेई प्रांतीय अस्पताल का दौरा करने का निर्देश दिया। 31 दिसंबर को राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग का एक विशेषज्ञ समूह बीजिंग से वुहान पहुंचा। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि बीजिंग से अधिकारी इस समस्या के पहले संकेत मिलने के पांच दिनों के भीतर ही वुहान पहुंच गये थे।

जिस दिन विशेषज्ञ समूह बीजिंग से आया था, उससे एक दिन पहले ही एक डॉक्टर-डॉ. एई फ़ेन ने कुछ मेडिकल स्कूल के सहपाठियों के साथ इस रहस्यमय वायरस पर अपनी निराशा जतायी थी। डॉ.एई फ़ेन ने इस नामालूम निमोनिया की एक परीक्षण रिपोर्ट पर नज़र डाली। उन्होंने लाल रंग से "SARS कोरोनोवायरस" शब्दों को चारों तरफ़ से घेर दिया, उसकी फ़ोटो खींची और उसे मेडिकल स्कूल के सहपाठी को दे दिया। यह रिपोर्ट वुहान में डॉक्टरों के बीच फैल गयी, इन डॉक्टरों में डॉ. ली वेनलियान (एक कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य) और सात अन्य डॉक्टर भी शामिल थे, जिन्हें बाद में पुलिस ने जमकर फटकार लगायी। 2 जनवरी को वुहान केंद्रीय अस्पताल पर्यवेक्षण विभाग के प्रमुख ने डॉ.एई फ़ेन को अस्पताल के चैनलों के बाहर इस सूचना को जारी नहीं करने की चेतावनी दी।

वायरस के बारे में जानकारी को दबाने के सबूत के रूप में इन डॉक्टरों को मिले इन्हीं फ़टकारों को पेश किया जाता है। यह बिल्कुल तर्कसंगत नहीं है। जनवरी की शुरुआत में ही उन डॉक्टरों को फटकार लगायी गयी थी। 31 दिसंबर तक, एक उच्च स्तरीय टीम बीजिंग से पहुंची, और उसी दिन, डब्ल्यूएचओ को भी सूचित कर दिया गया था; इन दोनों डॉक्टरों को फटकार लगाने से पहले चीन की सीडीसी और डब्ल्यूएचओ को सूचित किया जा चुका था।

7 फ़रवरी, 2020 को राष्ट्रीय पर्यवेक्षण आयोग ने स्थिति की जांच करने के लिए वुहान में एक जांच दल भेजने का फ़ैसला किया। 19 मार्च, 2020 को टीम ने अपनी जांच के नतीजे प्रकाशित किये और अपने निष्कर्षों को साझा करने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जांच के नतीजे के रूप में वुहान पब्लिक सिक्योरिटी ब्यूरो ने डॉ.ली वेनलियांग को जारी फटकार वाले पत्र को रद्द करने को लेकर एक सरकुलर जारी कर दिया। 2 अप्रैल को, डॉ ली वेनलियांग, और 13 अन्य डॉक्टर,जो इस वायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई में मारे गये थे, उन्हें सरकार ने शहीद के रूप में सम्मानित किया (यह कम्युनिस्ट पार्टी और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना द्वारा अपने नागरिकों को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है)।

इस बात का कोई सबूत नहीं मिलता है कि स्थानीय अफ़सर बीजिंग को इस महामारी की सूचना देने से डर गये थे। इस बात का भी कोई सबूत नहीं है कि उस "व्हिसलब्लोअर" को गिरफ़्तार कर लिया गया था, जिसने इस मुद्दे को सामने लाया था, जैसा कि न्यूयॉर्क टाइम्स ने इसे लेकर रिपोर्ट बनायी थी। डॉ झांग कोई व्हिसलब्लोअर नहीं थे; उन्होंने स्थापित प्रोटोकॉल का पालन किया था, जिस कारण कुछ ही दिनों के भीतर डब्ल्यूएचओ को जानकारी दे दी गयी थी।

चीन की शुरुआती चेतावनी प्रणाली

नवंबर 2002 के मध्य में चीन के ग्वांगडोंग प्रांत स्थित फ़ोशान में SARS का प्रकोप शुरू हो गया था। डॉक्टर आसानी से समझ नहीं पा रहे थे कि आख़िर हो क्या रहा है। आख़िरकार, फ़रवरी के मध्य में चीन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बीजिंग स्थित डब्ल्यूएचओ के कार्यालय को "एक ऐसी अजीब संक्रामक बीमारी के बारे में बताते हुए" एक ईमेल लिखा, जो एक हफ़्त में ही 100 से अधिक लोगों की जान ले चुकी है। उस मैसेज में यह भी उल्लेख किया गया था कि इस समय लोगों में  "एक अजीब तरह का 'डर' देखा जा रहा है, क्योंकि लोग उस किसी भी दवा को फार्मास्यूटिकल स्टॉक से लिए जा रहे हैं, जिसके बारे में उन्हें लगता है कि उससे उनके प्राणों की रक्षा हो सकता है।" इस SARS प्रकोप को रोकने में आठ महीने लग गये।

इसके बाद, चीन सरकार ने नियंत्रण से बाहर जाने से पहले किसी भी स्वास्थ्य आपात स्थिति से निपटने के लिए एक प्रत्यक्ष रिपोर्टिंग प्रणाली स्थापित की। यह प्रणाली स्पष्ट रूप से परिभाषित संक्रामक रोगों के लिए बहुत अच्छी तरह से काम करती है। फुडन विश्वविद्यालय में स्वास्थ्य अर्थशास्त्र के प्रोफ़ेसर, डॉ. हू शनलियान ने ऐसी दो घटनाओं का वर्णन किया है। पोलियो उन्मूलन विशेषज्ञ समूह के हिस्से के रूप में उनकी टीम के सामने किंघई में पोलियो के दो मामले आये थे। स्थानीय प्रशासन ने केंद्र सरकार को इन मामलों की सूचना दे दी थी, और इसने आपातकालीन बचाव शुरू कर दिया था और इसके साथ ही साथ बच्चों को आयातित पोलियोमाइलाइटिस को प्रभावी रूप से नियंत्रित करने वाला एक शुगर क्यूब वैक्सीन दिया गया था। इसके साथ ही, उन्होंने बीजिंग में प्लेग के दो मामलों के बारे में रिपोर्ट की थी, जो सुदूर मंगोलियाई स्वायत्त क्षेत्र से आए थे। उन्होंने लिखा, "इस तरह के रोग, प्रत्यक्ष रिपोर्टिंग प्रणाली के ज़रिये जल्दी से ठीक किये जा सकते हैं।"

पोलियो और प्लेग जैसी जानी पहचानी बीमारियों को एक शुरुआती चेतावनी प्रणाली के भीतर आसानी से लाया जा सकता है। लेकिन,अगर डॉक्टर इस वायरस को समझ नहीं पाते हैं, तो यह सिस्टम आसानी से काम नहीं कर सकता है। डॉ.एई फ़ेन, जिन्होंने अपने सहयोगियों को कुछ इलाज से जुड़े रिकॉर्ड दिये थे,उन्होंने कहा कि अगर हेपेटाइटिस और तपेदिक जैसी बीमारी आम होती है, तो यह प्रत्यक्ष रिपोर्टिंग प्रणाली बहुत प्रभावी तरीक़े से काम करती है।उन्होंने आगे कहा, "लेकिन,इस बार यह अज्ञात था"। शंघाई के डॉ.झांग वेनहोंग ने बताया कि प्रत्यक्ष रिपोर्टिंग प्रणाली "दुनिया के अधिकतर देशों में ज्ञात रोगाणुओ [जैसे MERS, H1N1] या उन नामालूम रोगाणुओं के लिए अधिक शक्तिशाली है, जो जल्दी से नहीं फैलते हैं और जिनमें [जैसे H7N9] मानव संचरण  सीमित होता है।" यदि किसी नये वायरस का सामना होता है, तो ऐसे में चिकित्सा कर्मी और प्रत्यक्ष रिपोर्टिंग प्रणाली,दोनों के लिए समझ पाने के हालात नहीं होते हैं।

जब संक्रमण के बारे में सबकुछ साफ़ नहीं हो,तब आगे बढ़ने का सबसे प्रभावी तरीक़ा यही होता है कि अस्पताल में रोग नियंत्रण विभाग को सूचित किया जाए। यह ठीक वैसी ही बात है,जैसा कि डॉ. झांग जिक्सियान,उनके सीनियरों और अस्पताल के प्रमुख ने किया था। उन्होंने उस स्थानीय सीडीसी से संपर्क किया था, जिसने चीन के राष्ट्रीय सीडीसी और चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग से संपर्क किया था। डॉ.झांग की दी गयी चेतावनी के पांच दिनों के भीतर, डब्ल्यूएचओ को वुहान में एक रहस्यमय वायरस के बारे में बता  दिया गया था।

21 जनवरी से डब्ल्यूएचओ ने एक दैनिक स्टेटस रिपोर्ट जारी की थी। पहली रिपोर्ट में 31 दिसंबर से 20 जनवरी तक की घटनाओं पर प्रकाश डाला गया था। उस रिपोर्ट के पहले बुलेट पॉइंट में बताया गया था कि 31 दिसंबर को चीन स्थित डब्ल्यूएचओ के कार्यालय को सूचित किया गया था कि "चीन के हुबेई प्रांत के वुहान शहर में निमोनिया अज्ञात एटियलॉजी (अज्ञात कारण) के मामले पाए गये हैं।" चीनी अधिकारियों ने 7 जनवरी को एक नये प्रकार के कोरोनावायरस को अलग कर दिया, और फिर 12 जनवरी को उन्होंने इलाज वाले किट विकसित करने में उपयोग को लेकर इस नोवल कोरोनावायरस के जेनेटिक सिक्वेंस को साझा किया। लेकिन,वायरस के संचरण के बारे में सटीक जानकारी तो बाद में भी नहीं आ पायी।

नोवल कोरोनवायरस के बारे में जानकारी के साथ 24 जनवरी, 2020 को प्रत्यक्ष रिपोर्टिंग प्रणाली को अपडेट किया गया था। इसके बारे में जो कुछ जानकारियां अब मिल रही हैं,वे सबके सब अनुभव से मिल रही हैं।

सच्चाई और विचारधारा

फ़्लोरिडा के सीनेटर,मार्को रूबियो ने डब्ल्यूएचओ पर "चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के लिए काम करने" का आरोप लगाया था। उन्होंने लिखा था कि संयुक्त राज्य अमेरिका अपनी जांच में इस बात की पोल खोलकर रख देगा कि "एक वैश्विक महामारी घोषित करने को लेकर डब्ल्यूएचओ ने अस्वीकार्य रूप से इनता धीमा निर्णय क्यों लिया है और चीन ने किस तरह डब्ल्यूएचओ की निष्ठा के साथ समझौता किया है।" डब्ल्यूएचओ के लिए अमेरिकी धनराशि अधर में है। रुबियो ने ख़ासकर इस बारे में कोई तथ्य पेश नहीं किये।

क्या वैश्विक महामारी घोषित करने में डब्ल्यूएचओ ने देर की  थी ? 2009 में H1N1 का पहला ज्ञात मामला 15 अप्रैल को कैलिफोर्निया में पाया गया था; डब्ल्यूएचओ ने इसे दो महीने बाद, 11 जून को वैश्विक महामारी घोषित कर दी थी। SARS-CoV-2 के मामले में तो पहले ज्ञात मामलों का पता जनवरी 2020 में लगा था; और डब्ल्यूएचओ ने डेढ़ महीने बाद,11 मार्च को ही इसे वैश्विक महामारी घोषित कर दी थी। इस बीच डब्ल्यूएचओ ने जांच टीमों को वुहान (20-21 जनवरी) और बीजिंग के ग्वांगडोंग प्रांत स्थित सिचुआन और वुहान (16-24 फरवरी) भेज दिया था; वैश्विक महामारी घोषित किये जाने से पहले, उनकी जांच पूरी हो गयी थी। डब्ल्यूएचओ की घोषणा की यह समय सीमा क़रीब-क़रीब बराबर ही है, बल्कि 2009 की तुलना में तो 2020 की यह घोषणा और भी तेज़ है।

चाहे वह न्यूयॉर्क टाइम्स हो या मार्को रूबियो, जल्दबाज़ी में इनके निष्कर्ष निकाले जाने की ज़रूरत इसलिए है,ताकि चीन की सरकार और चीनी समाज को वैश्विक महामारी के लिए दोषी ठहराया जाए, और इस बात को स्थापित कर दिया जाए कि उनकी विफलताओं ने न केवल डब्ल्यूएचओ की निष्ठा के साथ समझौता किया है,बल्कि इस महामारी का कारण भी बना है। लेकिन, ये तथ्य अप्रासंगिक हो जाते हैं। क्योंकि हमने इस रिपोर्ट में जिस बात को दिखाया है,वह यह है कि बीजिंग को रिपोर्ट करने में न तो तथ्यों को जानबूझकर दबाया गया और न ही स्थानीय अधिकारियों में किसी तरह का कोई डर था; और न ही वास्तव में कोई सिस्टम टूटा था। यह कोरोनावायरस महामारी रहस्यमय और जटिल थी, और जो कुछ चल रहा था,उसे चीनी डॉक्टरों और अधिकारियों ने बहुत ही जल्दी भांप लिया था और फिर उपलब्ध तथ्यों के आधार पर तर्कसंगत निर्णय भी ले लिये गये थे।

(यह तीन-भाग वाली श्रृंखला का दूसरा भाग है, पहला भाग यहां उपलब्ध है।)

विजय प्रसाद एक भारतीय इतिहासकार, संपादक और पत्रकार हैं। वह स्वतंत्र मीडिया संस्थान की एक परियोजना, Globetrotter में एक राइटिंग फेलो और मुख्य संवाददाता हैं। वह LeftWord Books के मुख्य संपादक और ट्राईकॉन्टिनेंटल: इंस्टीट्यूट फॉर सोशल रिसर्च के निदेशक हैं।

दू शाओजुन एक अनुवादक के रूप में काम करते हैं और शंघाई में रहते हैं।  उनका शोध अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्धों, अंतर्सांस्कृतिक संचार और अप्लायड भाषाविज्ञान में है।

वियान ज़ू बीजिंग में एक वकील हैं।

यह लेख  Globetrotter द्वारा प्रकाशित किया गया था, जो इंडिपेंडेंट मीडिया इंस्टीट्यूट का एक प्रोजेक्ट है।

अंग्रेजी में लिखे गए मूल आलेख को आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं

How China Learned About SARS-CoV-2 in the Weeks Before the Global Pandemic

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