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कर्नाटक: मानसून की वापसी के समय भारी बारिश, फ़सलों को नुक़सान, किसान परेशान

खेतों में लगा अदरक, टमाटर, मक्का और धान जैसी फ़सलें सबसे अधिक प्रभावित हुई हैं। वहीं बागपल्ली में तालाबों और छोटे जलाशयों में पानी के उबाल से कृषि क्षेत्रों में पानी भर गया।
Karnataka
बागपल्ली में रफ़ीउल्लाह ख़ान, तस्वीर: बशीर बेगी

मानसून की वापसी के समय लगातार हो रही बारिश ने कर्नाटक के किसानों को बुरी तरह तबाह कर दिया है।

कृषि और बागवानी की फ़सलों के डूब जाने से किसानों की परेशानी काफी बढ़ गई है। अदरक, टमाटर, मक्का और धान जैसी फ़सलें खेतों में हैं। पानी के भरने से इन फ़सलों को काफ़ी नुक़सान हुआ है। बागपल्ली में तालाबों और छोटे जलाशयों के उबाल से कृषि क्षेत्रों में पानी भर गया। ग्रामीणों का कहना है कि एक-दो दिनों तक नदी की धारा काफी तेज़ रही है।

पीड़ित किसानों में महेश गौड़ा भी हैं। उन्होंने अपनी बेबसी को न्यज़क्लिक के साथ साझा करते हुए कहा कि, “पानी से पांच एकड़ में लगी हमारी पूरी मक्का और टमाटर की फ़सल डूब गई है। अच्छी फ़सल को देखकर हमें इस सीजन में अच्छी आमदनी की उम्मीद थी, लेकिन बेमौसम बारिश ने हमारी सारी उम्मीदें तोड़ दीं।”

चिक्कबल्लापुर ज़िले के गुंडालापल्ली गांव के किसान रफीउल्लाह ख़ान पानी में डूबे अपने टमाटर के फ़सल को देखकर परेशान हैं। उन्होंने दो एकड़ ज़मीन पर टमाटर की खेती की है।

बर्बाद हुई टमाटर की फ़सल। तस्वीर: बशीर बेग

ख़ान ने न्यूज़क्लिक को बताया, "टमाटर से अच्छी कमाई की जो हमारी उम्मीद थी वह अब पानी से तबाह हो गई है। बारिश के कारण आई बाढ़ से चार महीने के लिए 30,000 रुपये मासिक का नुक़सान हुआ है, यानी एक एकड़ टमाटर की खेती से 1.20 लाख रुपये का नुक़सान हुआ है।"

बेंगलुरु ग्रामीण ज़िले के अनेकाल के सदानंद गौड़ा की भी कुछ ऐसी ही परेशानी है। उन्होंने पिछले सात दिनों में लगातार और भारी बारिश के कारण तीन एकड़ ज़मीन पर लगी अदरक की फ़सल बर्बाद हो गई है।

मैसूर के वेजिटेबल कल्टीवेटर्स एसोसिएशन के सदस्य नागराज एम ने न्यूज़क्लिक को बताया, "लगातार बारिश ने सब्ज़ी उत्पादकों के लिए तबाही मचाई है क्योंकि सब्ज़ियां सड़ रही हैं और जलमग्न कृषि क्षेत्रों में डूब गई हैं।"

कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, 10.64 लाख हेक्टेयर में खड़ी फ़सलों को नुक़सान पहुंचा है, जिसमें 8.91 लाख हेक्टेयर कृषि फ़सल, 1.03 लाख हेक्टेयर बागवानी फ़सल और 12,014 हेक्टेयर वृक्षारोपण शामिल हैं।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) बेंगलुरु के अनुसार, 20 अक्टूबर के दिन के लिए आठ ज़िलों चामराजनगर, दवेनगेरे, मांड्या, तुमकुरु, मैसूर, कोडागु, हसन, शिवमोगा और चिक्कमगलुरु को भारी भारी के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया था।

बेंगलुरु में 18 अक्टूबर को सबसे अधिक वार्षिक वर्षा के पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। बेंगलुरू मौसम विज्ञान केंद्र बुलेटिन में कहा गया है कि 1709.1 मिमी बारिश के साथ साल 2022 शहर का सबसे ज़्यादा वर्षा होने वाला वर्ष हो गया।

कर्नाटक राज्य प्राकृतिक आपदा निगरानी केंद्र (केएसएनडीएमसी) के अनुसार, 19 अक्टूबर को चार ज़िलों में भारी बारिश हुई। मैसूर में 124 मिमी, रामनगर में 123 मिमी, हसन में 118 मिमी और मांड्या में 116 मिमी बारिश हुई।

धारवाड़ ज़िले में कृषि विभाग के एक सर्वेक्षण के अनुसार, 21,600 हेक्टेयर भूमि में फ़सलों को नुक़सान पहुंचा है। लगभग 106.74 करोड़ रुपये के नुक़सान का अनुमान लगाया गया था, जबकि 138.38 हेक्टेयर में बागवानी फ़सलें भी नष्ट हो गई हैं।

शिवमोगा ज़िला प्रशासन के एक अधिकारी मुनि राजू ने न्यूज़क्लिक को बताया, "ज़िले में क़रीब 2.30 करोड़ रुपये की 3,270 हेक्टेयर में लगी फ़सल का भारी नुक़सान हुआ है। इन फ़सलों में मक्का और धान सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।"

पिछले महीने, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने वर्षा सिंचित क्षेत्र के लिए 13,600 रुपये प्रति हेक्टेयर और सिंचित क्षेत्र को 25,000 रुपये प्रति हेक्टेयर के मुआवज़े की घोषणा की थी।

राजस्व मंत्री आर अशोक ने कहा कि राज्य के 1.04 लाख किसानों को 116.38 करोड़ रुपये का मुआवज़ा बांटा जाना है।

अनागल्ली में काबिनी नहर के टूटने और उडुतोर, गुंडल और मिन्नतहल्ली जलाशयों के उबाल से चामराजनगर में स्थिति और खराब हो गई है। इससे हज़ारों एकड़ कृषि और बागवानी फ़सल डूब गई है।

हसन और कोडागु के कुछ हिस्सों में रुक-रुक कर भारी बारिश हो रही है।

आवाजाही प्रभावित

विजयनगर ज़िले के होसापेटे में भारी बारिश के कारण सामान्य जनजीवन प्रभावित हो गई है।

दो घंटे तक हुई बारिश से शहर की सड़कों और निचले इलाकों में पानी भर गया। डूबी हुई सड़कों पर वाहन चालकों को काफ़ी परेशानी उठानी पड़ रही ह।

तुमकुरु में हेब्बाका टैंक पानी भरने के बाद ओवरफ्लो हो गया, जिससे वाहन चालकों और बाइक सवारों को परेशानी हुई है।

कुछ राष्ट्रीय राजमार्ग भी डूब गए हैं। पिछले कुछ दिनों में भारी बारिश के कारण बेंगलुरु-पुणे के बीच एनएच-48 और मैसूर-ऊटी के बीच एनएच-766 पर पानी भर गया है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल ख़बर को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें

Karnataka: Monsoon Retreat Damages Crops, Normal Life Disrupted

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