हिमाचल में फंसे कश्मीरी मज़दूरों को उनके राज्य वापस जाने की अनुमति दी जाए: माकपा
हिमाचल प्रदेश में बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर फंसे हुए हैं। इसमें बड़ी संख्या दिहाड़ी मज़दूरों यानी रोज कमाने और खाने वालों की हैं। लंबे समय के लॉकडाउन के चलते इनकी हालत अब बिगड़ रही है। ऐसे में प्रवासी मजदूरों और खासतौर पर कश्मीर मजदूरों की हालत को देखते हुए हिमाचल प्रदेश माकपा की राज्य कमेटी और ठियोग से विधायक राकेश सिंघा ने प्रदेश की सरकार से आग्रह किया है कि राज्य के विभिन्न जिलों में फंसे जम्मू कश्मीर के मजदूरों को घर जाने की इजाजत दी जाए।
पार्टी ने जम्मू कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर व हिमाचल प्रदेश की सरकार इनके लिये परिवहन का प्रबन्ध करने की अपील की है। साथ ही यह भी अपील की है कि मजदूरों को सरकारी खर्च पर उनके घर पहुंचाया जाय। इसके लिए आधा खर्च वहां की सरकार और आधा खर्च हिमाचल सरकार उठाए।
गौरतलब है कि हिमाचल में कश्मीरी मजदूरों के साथ मारपीट, बदतमीजी और भेदभाव की कई घटनाएं भी सामने आई हैं।
गत बुधवार यानी 22 अप्रैल को भी हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में 60 साल के एक बुर्जग समेत 18 लोगों को प्रताड़ित करने की बात सामने आई थी। कश्मीर के रहने वाले इन लोगों को कुछ स्थानीय लोगों द्वारा पीटा गया था। स्थानीय प्रशासन से इसकी शिकायत की गई और किसी सुरक्षित जगह रखने की मांग की गई। बाद में प्रशासन ने इन्हें एक सरकारी जगह पर शिफ्ट कर दिया।
कश्मीरी मजदूरों को घर जाने की इजाजत दिए जाने संबंधी मांग पर सिंघा ने कहा कि खैर के कटान व अन्य कार्यों के लिए लाए गए हजारों मजदूरों का काम लगभग महीने भर पहले समाप्त हो गया है। ये लोग लॉकडाउन के चलते फंसे हुए हैं। इसी तरह शिमला में कुछ ऐसे मजदूर हैं जो कम समय के लिए सर्दियों में आते हैं और फिर वापिस लौट जाते हैं। वे भी अचानक लॉकडाउन व कर्फ्यू के कारण प्रदेश में फंस गए हैं।
इनमें अधिकांश मजदूर अभी जंगलों व अस्थायी ढेरों में रहने को मजबूर है। आज लॉकडाउन के करीब 30 दिन बीतने के पश्चात इनके पास जो भी कमाई थी वह भी समाप्त हो गई है और रोटी का भी संकट पैदा हो गया है। अब रमजान भी शुरू हो गया है और इनको इस हालत में घर जाना अत्यंत आवश्यक है। इस विशेष परिस्थिति में इनको शीघ्र घर भेज कर राहत दी जाए।
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