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केरल : कोच्चि में स्विगी कर्मचारियों की हड़ताल चौथे दिन भी जारी

कोच्चि में स्विगी के कर्मचारी, फ़ूड डिलीवरी के लिए मेहनताना बढ़ाने, और टिप्स और इन्सेंटिव का भुगतान समय पर करने की भी मांग कर रहे हैं।
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कोच्चि: ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म स्विगी के कर्मचारी 14 नवंबर से कोच्चि में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। लगभग 5,000 डिलीवरी पार्टनर डिलीवरी के एवज़ में न्यूनतम मेहनताने की राशि में बढ़ोतरी की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं।

स्विगी कर्मचारी, 2.5 किमी के दायरे में फूड डिलीवरी के एवज़ में 35 रुपया मेहनताने की मांग कर रहे हैं, जबकि अभी 4 किमी के लिए उन्हे मात्र 20 रुपए का भुगतान किया जा रहा है।

14 नवंबर को एर्नाकुलम जिला श्रम आयुक्त द्वारा आयोजित त्रिपक्षीय वार्ता विफल होने और स्विगी के प्रतिनिधियों की मांगों को स्वीकार नहीं किए जाने के बाद कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का सहारा लिया है।

डिलिवरी भागीदारों, जैसा कि स्विगी उन्हे परिभाषित करता है, ने अपनी लंबे समय से लंबित पड़ी मांगों को उठाने करने के लिए 31 अक्टूबर को सांकेतिक हड़ताल की थी। ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) से संबद्ध फूड ऑनलाइन डिलीवरी वर्कर्स यूनियन (FODWU) के नेतृत्व में मजदूरों ने अपनी मांगें पूरी होने तक अपनी हड़ताल जारी रखने की घोषणा की है।

'न्यूनतम मेहनताना बढ़ाया जाए'

कोच्चि में जब श्रम अधिकारी ने सुलह के लिए बैठक की तो स्विगी के प्रबंधन ने श्रमिकों की मांगों को खारिज कर दिया, जिसके बाद श्रमिकों ने 14 नवंबर को अपनी हड़ताल शुरू की। कर्मचारी मेहनताना बढ़ाने की मांग कर रहे हैं जिसे अंतिम बार 2018 में बढ़ाया गया था।

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए एआईटीयूसी के एर्नाकुलम जिला सचिव के॰ एन॰ गोपी ने कहा कि, "प्रति दिन 14 घंटे से अधिक काम करने और भारी शारीरिक तनाव सहने के बाद भी श्रमिक अपनी कमाइया गई आय से जीवन व्यतीत करने में असमर्थ हैं। वे प्रतिदिन 500 रुपये से कम ही कमा पाते हैं जो किसी भी शहर में परिवार चलाने के लिए अपर्याप्त है।

यूनियन की मुख्य मांग प्रत्येक डिलीवरी के एवज़ में भुगतान किए गए जाने वाले मेहनताने को बढ़ाने की है।

कोच्चि में आयोजित विरोध प्रदर्शन में भाग लेते स्विगी डिलीवरी कर्मचारी।

फूड ऑनलाइन डिलीवरी वर्कर्स यूनियन (FODWU) के अध्यक्ष सुनील कुमार ने न्यूज़क्लिक को बताया कि, "कोच्चि जैसे शहर में ईंधन की कीमतों और रहने की लागत को देखते हुए, वर्तमान मेहनताना बहुत कम है।" “एक डिलीवरी पर मिलने वाले मेहनताने का लगभग 80 प्रतिशत उनका ईंधन खरीदने में खर्च हो जाता है। उन्होने सवाल उठाया कि, इस खर्च के बाद मजदूरों के पास अपना और परिवार का पेट भरने के बाद क्या बचता है?” 

'इन्सेंटिव और टिप्स/बख्शीश का नहीं होता है भुगतान'

न्यूनतम मेहनताने को बढ़ाने के अलावा, कर्मचारियों ने इन्सेंटिव और बख्शीशों के भुगतान का ऑनलाइन हस्तांतरण के मुद्दों को भी उठाया है।

सुनील कुमार ने न्यूज़क्लिक को बताया कि, यदि एक डिलिवरी श्रमिक एक दिन में 750 रुपए की कमाई करता है तो “कंपनी उसे 300 रुपये के इन्सेंटिव का वादा करती है। लेकिन जैसे ही कोई डिलिवरी बॉय उक्त राशि को हासिल करने के करीब पहुंचता है तो उसे ऑर्डर मिलने बंद हो जाते हैं, या न मिलने का खतरा सताने लगता है।" श्रमिकों ने आरोप लगाया कि जब वे लगभग 650 रुपये की राशि तक पहुँचते हैं तो उनके मिलने वाले ऑर्डर अक्सर बंद हो जाते हैं और उन्हें कुछ घंटों के बाद अगला ऑर्डर मिलता है।

सुनील कुमार ने आगे बताया कि, “इतने लंबे समय तक जो बेकार बैठने को तैयार होते हैं उन्हे ही यह इन्सेंटिव मिल पाता है। उनमें से अधिकांश, 10 घंटे से अधिक की सवारी के बावजूद, ऑर्डर में जानबूझकर कमी के कारण इन्सेंटिव हासिल नहीं कर पाते हैं।” 

एक श्रमिक ने बताया कि, ग्राहकों द्वारा ऑनलाइन भुगतान की गई टिप्स को भी उनके खातों में समय पर स्थानांतरित नहीं किया जाता है। “कार्यबल का एक बड़ा वर्ग छात्र हैं जो अपनी पढ़ाई संबंधित खर्चों को पूरा करने के लिए पार्ट-टाइम काम करते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए, ग्राहक अक्सर टिप्स देते हैं, जिन्हे अधिकांश कर्मचारियों के खाते में तत्काल हस्तांतरित नहीं किया जाता है।" 

कुमार ने बताया कि, यूनियन के पदाधिकारियों ने दावा किया है कि दस्तावेज़ीकरण उद्देश्यों से, कंपनी श्रमिकों के केवल छोटे से हिस्से को इन्सेंटिव और बख्शीश का भुगतान करती है। “इसी तरह बारिश चार्जेज का मामला है। ग्राहक बारिश के दौरान भोजन डिलिवरी के एवज़ में अतिरिक्त शुल्क का भुगतान करता है, लेकिन डिलिवरी कर्मचारी के लिए इसे हासिल करना दुर्लभ बात है।”

निवारण तंत्र सुनिश्चित करें

भुगतान से संबंधित मुद्दों पर श्रमिकों की चिंताओं को दूर करने के लिए निवारण तंत्र की अनुपस्थिति भी अनसुलझी कहानी बनी हुई है। यूनियन ने आरोप लगाया है कि श्रमिकों की चिंताओं को उठाने के लिए एक ऑफ़लाइन पोर्टल के बजाय केवल एक ओवर-द-टेलीफोन सेवा उपलब्ध है।

कुमार ने कहा कि, “गिग उद्योग अब महिलाओं सहित युवाओं के एक बड़े कार्यबल को रोजगार दे रहा है। यह ऐसा उद्योग है जिसमें मालिकों को निवेश करने की जरूरत बहुत कम होती है क्योंकि श्रमिक खुद वाहनों, ईंधन, उनका रखरखाव, फोन और इंटरनेट का खर्च वहन करते हैं। कंपनियों को शिक्षित और गरीब कर्मचारियों का शोषण करने के बजाय मामूली वेतन सुनिश्चित करना चाहिए।" 

श्रमिकों ने अपनी मांगों को दोहराते हुए कोच्चि में एक विशाल मार्च निकालने का फैसला किया है, यह प्रेरणा तिरुवनंतपुरम में ज़ोमैटो श्रमिकों से ली गई है, जिन्होंने हाल ही में चार दिनों की हड़ताल करने के बाद जीत हासिल की और इतिहास रच दिया था।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Kerala: Swiggy Workers' Strike Enters Third Day in Kochi

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