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प्रशासन की अनदेखी का खामियाज़ा भुगत रहे मरीज़़ : अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए जूनियर डॉक्टर्स, अब मरीज़ों का क्या होगा?

मध्य प्रदेश के अंचल में NEET, पीजी काउंसलिंग समेत कई मांगों के नहीं माने जाने पर जूनियर डॉक्टर्स ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है, इतना ही नहीं डॉक्टरों ने इमरजेंसी सेवाएं देने से भी मना कर दिया है, जिसके कारण मरीज़ों को दिक़्क़तों का सामना करना पड़ रहा है।
junior doctors strike
तस्वीर सौजन्य : दैनिक भास्कर

NEET, पीजी काउंसलिंग को लेकर रार अभी खत्म नहीं हुई है, ऐसे में मध्यप्रदेश के ग्वालियर में जूडा यानी जूनियर डॉक्टर एक बार फिर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। जिसमें चिंताजनक बात ये है कि इस बार डॉक्टरों ने इमरजेंसी सेवाएं देने से भी साफ़ मना कर दिया है। हालांकि वरिष्ठ डॉक्टरों ने ओपीडी संभालने की कोशिश की लेकिन मरीज़ों की संख्या बढ़ जाने से परेशानी खड़ी हो गई, ऐसे में ग्वालियर के जेएएच यानी जयारोग्य अस्पताल में आने वाले दूर दराज के मरीज़ों में भागादौड़ी मच गई है।

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, झांसी के रहने वाले धर्मेंद्र एक मरीज़़ को लेकर जेएएच पहुंचे थे, जहाँ उन्हें कोई भी डॉक्टर देखने नहीं आया, इसी तरह कई परिजन परेशान हालत में मरीज़ को स्ट्रेचर पर लेटाकर एक बिल्डिंग से दूसरी बिल्डिंग में भागते दिखे लेकिन वहां भी किसी डॉक्टर ने उनकी मदद नहीं की।

मरीज़ों को हो रही परेशानी और तकलीफ को लेकर जूडा अध्यक्ष डॉ. श्रीकांत ने दुख ज़ाहिर किया, उन्होंने कहा, "इस हड़ताल की जानकारी डीन जीआर मेडिकल कॉलेज को पहले ही दे दी गई थी। कि वो जूनियर डॉक्टर फेडरेशन ऑफ रेज़िडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के समर्थन में हड़ताल कर रहे हैं।"

दरअसल साल 2021 की NEET पीजी काउंसलिंग नहीं होने को लेकर जूनियर डॉक्टरों इसे करवाने की मांग कर रहे थे, ताकि नया बैच आ सके और अस्पताल के कामों को आसान किया जाए। लेकिन मामला कोर्ट में जाने के कारण अटक गया, जिसके बाद से ही जूनियर डॉक्टरों में गुस्सा देखा जा रहा है।

इससे पहले भी इन डॉक्टरों ने दिसंबर के ही महीने में 3तारीख को हड़ताल की थी, लेकिन चिकित्सा मंत्री के हस्तक्षेप के बाद 10 दिसंबर को हड़ताल खत्म कर दी थी, जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि मंत्री जी ने काउंसलिंग के लिए तारीख दी थी, लेकिन तय समय के बाद भी कोई काम नहीं हुआ है, यही कारण है कि फिर से हड़ताल करने की नौबत आ गई और इस बार अनिश्चितकालीन हड़ताल की जा रही है।

दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश के चिकित्सा आयुक्त निशांत वरवड़े से जूडा अध्यक्ष ने नॉन मेडिकल रेजिडेंट या MBBS के बाद आने वाले डॉक्टरों की मांग की थी, क्योंकि इस तरह कि सुविधा अन्य प्रदेशों जैसे, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश को दी गई है, लेकिन मांग पर भी किसी तरह का कोई विचार नहीं किया गया, न ही अभी तक कोई जवाब दिया गया यही कारण है कि इस बार जूडा अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर हैं।

मध्यप्रदेश में JAH अंचल का सबसे बड़ा अस्पताल है, यहां पड़ोसी राज्यों से भी मरीज़ भारी संख्या में आते हैं, ऐसे में जूडा की हड़ताल से ओपीडी ठप्प पड़ी है, साथ ही इमरजेंसी सेवाएं बंद होने से भी मरीज़ों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है, इसके अलावा कई बडे़ ऑपरेशन भी टाल दिए गए हैं। जिसके कारण अब हजारों मरीज़ दर-दर भटक रहे हैं, दूसरी ओर प्रशासन भी कान में रूई भरे\ बैठा है, क्योंकि न तो उसे डॉक्टरों की समस्या दिखाई दे रही है और न ही मरीज़ों की गुहार।

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