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किसानों का छलका दर्द- 'जिएं या मर जाएं': किसान को प्याज बेचने पर खुद की जेब से देने पड़े 986 रुपये

गुजरात, मध्य प्रदेश के बाद अब महाराष्ट्र के किसान भी प्याज के गिरते रेट से बेहद परेशान हैं। मंडी में किसानों को प्रति किलो प्याज पर दो रुपये से भी कम कीमत मिल रही है। गुजरात व मध्य प्रदेश के बाद अब महाराष्ट्र में ऐसा ही एक मामला सामने आया है। यहां 60 बोरी यानी 3 टन प्याज बेचने के बाद भी किसान को खुद की जेब से दुकानदार को 986 रुपये अलग से देने पड़े हैं।
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फ़ोटो साभार: PTI

चुनावी साल और विश्वगुरु होने जैसे वादों की भरमार वाले गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में इन दिनों अन्नदाताओं को प्याज कौड़ियों के भाव बेचनी पड़ रही है। पहले बेमौसम बारिश ने रूलाया तो अब भाव न मिलना, प्याज के किसानों को जमकर रूला रहा है। आलम यह है कि किसान जब बाजार में प्याज बेचने जा रहा है तो मूल लागत निकलना तो दूर, उसकी हम्माली, भाड़ा आदि निकलना भी दूर की कौड़ी साबित हो रहा है। यही वजह है कि किसान अपने प्याज को या तो खुले में फेंक रहे हैं या फिर जानवरों को खिला दे रहे हैं। 

लागत बढ़ी, भाव नहीं

दरअसल, खेती की लागत तो उतनी ही लगी जितनी लगती है। लेकिन मंडी में कीमत दो कौड़ी की मिल रही है। यही कारण है कि प्याज की खेती करने वाले किसान घटती कीमतों से बेहाल हैं। लगातर गिर रहा प्याज का रेट अब दो रुपये प्रति किलो से भी नीचे पहुंच चुका है। ऐसे में मजबूरी में किसानों को अपनी फसल सड़क पर फेंकनी या फिर मवेशियों को खिलानी पड़ रही है। हिम्मत करके अगर कोई किसान अपनी उपज लेकर मंडी तक पहुंच भी रहा है तो मुनाफा कमाना तो दूर उसे अपनी जेब से पैसे चुकाने पड़ रहे हैं।

चौंका देने वाली ताजा खबर महाराष्ट्र के बीड से आई है। आम तौर पर होता यूं है कि किसान अपनी फसल को लेकर मंडी में जाता है और उसे बेचने के बाद उसे पैसे मिलते हैं। लेकिन अगर मैं आपसे कहूं कि महाराष्ट्र के एक किसान के साथ इसका उल्टा हुआ है तो क्या आप मानेंगे। किसान ने अपनी फसल बेची तो कमाई होना तो दूर, उल्टा उसे अपनी जेब से ही पैसे भरने पड़ गए हैं। जिसके साथ ये हुआ उस किसान का नाम दिनेश ढाकने है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दिनेश ढाकने को 60 बोरी (तकरीबन 3 टन) प्याज बेचने के बाद भी खुद की तरफ से अलग से 986 रुपये चुकाने पड़े। यह किसान डेढ़ एकड़ खेत का मालिक हैं। 

इसी डेढ़ एकड़ खेत पर सहारे वह अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। इस बार फसल अच्छी आई थी, लेकिन मंडी पहुंचते ही मुनाफा कमाने की उनकी उम्मीदें दम तोड़ गई। मुनाफा तो मिलना दूर, उन्हें खुद 986 रुपये अलग से चुकाने पड़े। ऐसे में हैरान परेशान किसान ने मुख्यमंत्री से दिल तोड़ने वाला सवाल पूछा है। किसान ने कहा कि "आप ही बताइए, मुख्यमंत्री जी, हम जीएं या मर जाएं?'' 

डेढ़ की एकड़ की खेती में 67 हजार की लागत

किसान फूलचंद सिंघान के अनुसार, डेढ़ एकड़ में प्याज की खेती के दौरान जुताई में 2 हजार, बुवाई में 1 हजार, बैल पालन में 1 हजार, 7 हजार का बीज, निराई में 9 हजार, कीटनाशकों के छिड़काव में 10 हजार रुपये, कटाई के लिए 30 हजार , खाद के लिए 7 हजार 225 रुपये खर्च हुए। कुल मिलाकर प्याज डेढ़ एकड़ की फसल पर किसान को 67 हजार से ज्यादा का खर्च आया। फसल बढ़िया होने के चलते किसान को उम्मीद थी कि इस बार अच्छा मुनाफा कमा लेंगे। हालांकि, 60 बोरी प्याज बेचने के बाद भी वह नुकसान में हैं। उन्हें अपनी जेब से 986 रुपये चुकाने पड़े हैं।

60 बोरियां प्याज पर मिले सिर्फ 2 हजार 871 रुपये

किसानों को पहले 25 बोरियों पर प्रति किलो प्याज पर डेढ़ रुपये मिले। अगले 25 बोरियों पर 50 पैसे, अंतिम 10 बोरियों पर 1 रुपये। तकरीबन 3 टन बेचने पर किसान को सिर्फ 2 हजार 871 रुपये मिले। किसान को प्याज ढुलाई करने वाले वाहन का किराया 3 हजार 400 रुपये देना पड़ा, हम्माली के लिए 230 रुपये, तुलाई के लिए 137 रुपये, हाजरी के लिए 90 रुपये देने पड़े। किसान का कुल खर्च आया 3 हजार 857 रुपये। ऐसे में किसान को अलग से अपनी जेब से 986 रुपये देने पड़े।

किसानों का सरकार से सवाल

फूलचंद सिंघान आदि किसानों ने केंद्र व प्रदेश सरकार से पूछा है कि उन्होंने एक बच्चे की तरह इस प्याज की खेती की। फसल अच्छी आई थी। उम्मीद थी अच्छा मुनाफा होगा, लेकिन प्रति किलो प्याज पर 50 पैसे दिए जा रहे हैं। उल्टे खुद उस सहित कई किसानों को अपनी जेब से दुकानदार को रुपये देने पड़े। अब मुख्यमंत्री जी बताएं कि हम कैसे जिएंगे? वही बताएं कि हमें कैसे जीना है? आज हमारे मरने का समय है... तो माई बाप सरकार अब आप ही बताओ हम जिएं या मरें?

घर पर पहुंच रहे हैं साहूकार

किसान फूलचंद सिंघान की पत्नी ने बताया कि इस प्याज खेती के दौरान हम सुबह 9 बजे ही खेत चले जाते थे। खेती के लिए कर्ज लिया। अपने पोते के हाथ पर भी एक रुपये नहीं रखा। पूरी पूंजी प्याज की खेती में लगा दी है। अब प्रति किलो प्याज पर सिर्फ 50 पैसे मिल रहे हैं। अब साहूकार दरवाजे पर आ रहे हैं, कह रहे हैं पैसा दो... जब हमें मुनाफा एक रुपये का नहीं हुआ तो हम पैसे कहां से दें।

किसानों का सरकार पर आरोप

युवा किसान दिनेश, अशोक और फूलचंद सिंघान आदि ने बताया कि करीब डेढ़ एकड़ खेत में इस साल प्याज लगाया था। साहूकार से उधार लिया। अब हमें प्याज पर इतना कम रेट दिया गया कि खुद के पास से रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। जानकारों के अनुसार, सरकार सिर्फ घोषणा करती है लेकिन यहां धरातल पर हालात खराब है। इसी आर्थिक उत्पीड़न और बेबसी के चलते किसान मौत के शिकार हो रहे हैं।

साभार : सबरंग 

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