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पंजाब: सामाजिक सुरक्षा स्कीम में कई घोटाले, आप सरकार के सामने नई चुनौती

सीएम भगवंत मान के सामने भ्रष्टाचार के साथ-साथ कई आर्थिक और सामाजिक समस्याओं से भी एक साथ निपटने की चुनौतियाँ हैं।
Bhagwant Mann

पंजाब में आम आदमी पार्टी के सत्ता पर काबिज़ होने के बाद से भ्रष्टाचार का मुद्दा लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। कभी इस मामले में मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री डॉ. विजय सिंगला की गिरफ्तारी हुई, तो कभी पूर्व मंत्रियों और प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ जांच बैठाई गई। भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए एंटी करप्शन हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया। हालांकि इन सब के बावजूद कैग की वार्षिक रिपोर्ट में सामाजिक सुरक्षा स्कीम में बड़े फर्जीवाड़े की खबर सामने आई हैं। कहीं मृत लोगों के नाम पर पेंशन बांटी जाती रही तो, कहीं अयोग्य लोगों ने जरूरतमंद लोगों का हक़ मार लिया।

बता दें कि भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से उपजी आम आदमी पार्टी ने पंजाब की सियासत में बड़ा फेरबदल करते हुए इस साल हुए विधानसभा चुनावों में बहुमत हासिल किया था। जिसके बाद पार्टी ने राज्य के सत्ता की कमान भगवंत मान को सौंपी और दिल्ली की तर्ज पर ही सरकार चलाने का दावा किया। बीते दिनों ही सीएम मान के नेतृत्व में पार्टी ने यहां अपने कार्यकाल के 100 दिन पूरे किए और भ्रष्टाचार पर वार का अपना पुराना वादा नए एक्शन के साथ दोहराया। लेकिन इन तमाम दावों और वादों के सामने CAG रिपोर्ट में सामने आईं सामाजिक सुरक्षा की चुनौतियां भी कुछ कम नहीं हैं। 

क्या है पूरा मामला?

पंजाब में फिलहाल विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है। इस सत्र के पांचवें दिन बुधवार, 29 जून को सदन में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक यानी कैग की वार्षिक रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट में सामाजिक सुरक्षा स्कीम में फर्जीवाड़े का खुलासा करते हुए कहा गया है कि 3 साल तक मृत लोगों के नाम पर भी पेंशन बांटी जाती रही और किसी ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया। इस योजना के तहत बुजुर्गों को दी जा रही बुढ़ापा पेंशन में सबसे बड़ी धांधली सामने आई है। कैग ने यह भी बताया कि इस गड़बड़ी के सबसे ज्यादा मामले पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के जिले पटियाला में सामने आए हैं। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस पेंशन गड़बड़ी में एक लाख से ज्यादा ऐसे लोगों का पता चला है जो बुढ़ापा पेंशन के लिए निर्धारित उम्र से भी कम आयु के थे। कुल 50,053 पुरुष और 59,151 महिलाएं, जो कम उम्र के कारण बुढ़ापा पेंशन के हकदार नहीं थे, उन्हें भी पेंशन दी जाती रही। इनके अलावा 76, 848 लोगों के नामों के साथ उनकी जन्म तिथि ही दर्ज नहीं की गई। रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया है कि एफएडब्ल्यूडी स्कीम, जो केवल महिलाओं के लिए है, में 12047 लोगों को पुरुष बताया गया है। वहीं 23754 व्यक्ति, जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम थी, इस स्कीम के तहत वित्तीय लाभ के योग्य नहीं थे। 

अमर उजाला की खबर के अनुसार अयोग्य में सबसे ज्यादा मामले पटियाला से सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, पटियाला में 6455,लुधियाना में 1871, रोपड़ में 629, शहीद भगत सिंह नगर में 204, एसएएस नगर मोहाली में 698 अयोग्य लोगों का पता चला। इनके बीते 3 वर्षों से पंजाब में रहने संबंधी सेल्फ डिक्लेरेशन (स्वयं घोषणा) भी फर्जी पाए गए। कैग की रिपोर्ट में कहा भी गया है कि 8,286 डुप्लीकेट लाभार्थियों को अतिरिक्त लाभ पहुंचाते हुए अप्रैल, 2017 से जुलाई, 2020 तक 9.89 करोड़ का भुगतान किया गया। 

एक आवेदक के नाम कई लाभ

रिपोर्ट में कहा गया कि राज्य सरकार की ओर से तैयार दिशा-निर्देश के अनुसार, एक आवेदक केवल एक तरह की ही सामाजिक सुरक्षा पेंशन ले सकता है। इसके बावजूद 2226 महिलाएं, जिनके पिता का नाम, आधार नंबर या बैंक खाता नंबर एक था, को दोनों स्कीमों- ओएपी और एफएडब्ल्यूडी स्कीम के तहत वित्तीय मदद दी जाती रही। यह सारी राशि जनवरी 1996 से 2020 के दौरान मंजूर की गई। 

कैग की रिपोर्ट में केबल ऑपरेटरों के घोटाले की भी खबर सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस की सरकारों के दौरान केबल ऑपरेटरों ने पॉवर कॉम को 7.21 करोड़ का चूना लगाया है। मालूम हो कि केबल माफिया का मुद्दा पंजाब में पिछले कुछ सालों से लगातार गरमाया हुआ है। कांग्रेस के नेता नवजोत सिंह सिद्धू इस मामले को लेकर अकाली के साथ-साथ खुद अपनी ही सरकार को कई बार कटघरे में खड़ा करते नज़र आए थे।

आप के सामने चुनौतियां

गौरतलब है कि बीते दिनों पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार ने भ्रष्टाचार पर एक्शन का रिपोर्ट कार्ड जारी किया था। इस रिपोर्ट कार्ड की मानें तो सरकार बनने के बाद अब तक भ्रष्टाचार के 28 केस दर्ज किए जा चुके हैं। जिनमें 45 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं और 8 आरोपी अभी फरार हैं। इनमें सबसे ज्यादा 22 केस माइनिंग और जंगल विभाग के हैं। भ्रष्टाचार के 14 केस वाली पंजाब पुलिस दूसरे नंबर पर है।

दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार करप्शन केस में पकड़े आरोपियों में सरकार के ही हेल्थ मिनिस्टर डॉ. विजय सिंगला, पूर्व कांग्रेसी मंत्री साधु सिंह धर्मसोत, पूर्व कांग्रेस एमएलए जोगिंदरपाल भोआ और आईएएस अफसर संजय पोपली शामिल हैं। इसके अलावा पूर्व मंत्री संगत सिंह गिलजियां की तलाश हो रही है। वहीं पूर्व मंत्री भारत भूषण आशू की भी विजिलेंस जांच की जा रही है।

हालांकि इतने एक्शन के बाद भी आप सरकार अपराधियों के खिलाफ कड़ा संदेश देने में अब तक सफल नहीं हुई है। मोहाली में इंटेलिजेंस विंग के मुख्यालय पर रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड (आरपीजी)हमले ने पंजाब पुलिस की छवि खराब की है। सिद्धू मूसेवाला की गोलियों से भूनकर हत्या के बाद गन कल्चर की डिबेट चली है। अवैध हथियारों के जखीरे बरामद हुए हैं। खालिस्तानी समर्थक खुलेआम झंडे फहरा रहे हैं। गैंगस्टर नेताओं और कारोबारियों से फिरौती मांग रहे हैं। खनन माफियों पर लगाम लगाना भी बड़ी चुनौती है। इसके अलावा सरकार के खाली खजाने और बढ़ते कर्ज के बीच वादे निभाने का संतुलन बनाना होगा। महिलाओं को अभी भी खातों में हर माह 1000 रुपए आने का इंतजार है। ऐसे में सीएम भगवंत मान के सामने भ्रष्टाचार के साथ-साथ कई आर्थिक और सामाजिक समस्याओं से भी एक साथ निपटने की चुनौती है।

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