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संसद में चर्चा होना देशहित में- मोदी, लेकिन कृषि क़ानून निरस्त करने का बिल बिना चर्चा के ही पास!

सरकार की कथनी-करनी का फ़र्क़ एक बार फिर तुरंत देश के सामने आ गया। आज सुबह संसद सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने मीडिया से कहा कि संसद में चर्चा होना देशहित में है और सरकार हर सवाल का जवाब देने को तैयार है, लेकिन उसके तुरंत बाद सदन के भीतर कृषि क़ानून रद्द करने का बिल बिना चर्चा के पारित कर दिया गया। ये बिल पास भी बिना चर्चा के ही किए गए थे।
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फोटो साभार: India Today

नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र में देश हित में चर्चा हो और राष्ट्र की प्रगति के लिए रास्ते खोजे जाएं। उन्होंने कहा कि सरकार हर सवाल का जवाब देने को तैयार है, बशर्ते सदन में शांति बनायी रखी जाए तथा सदन व आसन की गरिमा के अनुकूल आचरण किया जाए।

हालांकि पहले लोकसभा में और उसके बाद राज्यसभा में तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी कृषि विधि निरसन विधेयक 2021 को बिना चर्चा के ही मंजूरी दे दी गई।

संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को लोकसभा में विपक्षी दलों ने किसानों के मुद्दे पर अपना विरोध जताया लेकिन विपक्ष की बातों को अनसुनीं करते हुए सदन में तीन विवादित कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी कृषि विधि निरसन विधेयक 2021 को बिना चर्चा के मंजूरी प्रदान कर दी गई। यही राज्यसभा में हुआ। दोपहर बाद 2 बजे राज्यसभा की कार्यवाही दोबारा शुरू होते ही कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इन बिलों की वापसी का प्रस्ताव रखा और ध्वनिमत से तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया  को पास घोषित कर दिया गया। हालांकि इससे पहले विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को बोलने की इजाज़त दी गई, लेकिन वह अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाए थे कि कृषि मंत्री ने बिल वापसी का प्रस्ताव सदन में रख दिया। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि पक्ष और विपक्ष सब इन क़ानूनों की वापसी के पक्ष में हैं तो इसलिए इस पर चर्चा की भी ज़रूरत नहीं और सदन के सभापति ने भी उनकी बात तुरंत मान ली।

इसी तरह एक बार के स्थगन के बाद दोपहर बारह बजे निचले सदन की कार्यवाही शुरू होने पर अध्यक्ष ओम बिरला ने सभा पटल पर आवश्यक कागजात रखवाये। इसके बाद कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी कृषि विधि निरसन विधेयक 2021 पेश किया।

इसके फौरन बाद कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने विधेयक पर चर्चा कराने की मांग शुरू कर दी। हालांकि इसकी मंजूरी नहीं देते हुए अध्यक्ष बिरला ने कहा कि सदन में व्यवस्था नहीं है।

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आज सदन में नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इस विधेयक को चर्चा के बाद पारित कराने की बात कही गई लेकिन इस पर सरकार चर्चा क्यों नहीं करना चाहती है?

कई अन्य विपक्षी सदस्यों को भी कुछ कहते देखा गया लेकिन शोर शराबे में उनकी बात नहीं सुनी जा सकी।

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सदन में व्यवस्था नहीं है और इस हालात में चर्चा कैसे करायी जा सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘आप (विपक्षी सदस्य) व्यवस्था बनाये तब चर्चा करायी जा सकती है।’’

इसके बाद सदन ने बिना चर्चा के कृषि विधि निरसन विधेयक 2021 को मंजूरी दे दी।

इसके बाद अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन की कार्यवाही दोपहर बाद दो बजे तक के लिये स्थगित कर दी।

इससे पहले आज सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर अध्यक्ष ओम बिरला ने हाल में हुए उपचुनाव में निर्वाचित दो नये सदस्यों प्रतिभा सिंह और ज्ञानेश्वर पाटिल से शपथ ग्रहण आग्रह किया। जिसपर सिंह और पाटिल ने सदस्यता की शपथ ग्रहण की।

इसके बाद अध्यक्ष ने सदन को आठ पूर्व सदस्यों के निधन की जानकारी दी। सदन ने कुछ पल मौन रखकर इन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

लोकसभा अध्यक्ष ने इसके बाद जैसे ही प्रश्नकाल की कार्यवाही शुरू करने को कहा, वैसे ही कांग्रेस सहित कुछ दलों के सदस्य अपने स्थान से अपनी बात कहने की कोशिश करने लगे। शोर शराबे के बीच ही एक प्रश्न को लिया गया।

विपक्षी सदस्य ‘किसानों को न्याय दो’ के नारे लगा रहे थे।

सरकार हर विषय पर चर्चा करने के लिए तैयार : प्रधानमंत्री

सत्र की शुरुआत से पहले संसद भवन परिसर में मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘संसद में सवाल भी हों और संसद में शांति भी हो। हम चाहते हैं संसद में सरकार के खिलाफ, सरकार की नीतियों के खिलाफ, जितनी आवाज प्रखर होनी चाहिए वह हो, लेकिन संसद की गरिमा, अध्यक्ष व आसन की गरिमा... इन सब के विषय में हम वह आचरण करें, जो आने वाले दिनों में देश की युवा पीढ़ी के काम आए।’’

उन्होंने कहा कि सरकार हर विषय पर चर्चा करने के लिए तैयार है।

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार खुली चर्चा करने के लिए तैयार है। सरकार हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि संसद का यह सत्र और आगे आने वाले सत्र भी आजादी के दीवानों की भावनाओं के प्रति समर्पित हों।

संविधान दिवस के अवसर पर पिछले दिनों हुए समारोहों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहेंगे, देश भी चाहेगा और देश का हर सामान्य नागरिक भी चाहेगा कि आजादी के दीवानों की जो भावना है, आजादी के अमृत महोत्सव की जो भावना है, उसी भावना के अनुकूल संसद में देश हित में चर्चा हो। देश की प्रगति के लिए रास्ते खोजे जाएं, नए उपाय खोजे जाएं।’’

उन्होंने कहा कि इसके लिए यह सत्र विचारों की समृद्धि वाला, दूरगामी प्रभाव पैदा करने वाला और सकारात्मक निर्णयों वाला बने।

उन्होंने उम्मीद जताई कि संसद के इस सत्र में मिलजुल कर देश हित में तेजी से निर्णय हों, जो सामन्य जन की आशाओं व आकांक्षाओं को पूर्ण करें।

उन्होंने कहा कि भविष्य में संसद की कार्यवाही का आकलन हो तो उसे, उसमें किसने कितना अच्छा योगदान दिया, उस तराजू पर तौला जाए ना कि इस तराजू पर तौला जाए कि किसने कितना जोर लगाकर संसद सत्र को बाधित किया।

उन्होंने कहा, ‘‘मानदंड यह होना चाहिए कि संसद में कितने घंटे काम हुआ...कितना सकारात्मक काम हुआ।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि संसद का यह सत्र अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और हिंदुस्तान में चारों दिशाओं में से इसे लेकर रचनात्मक, सकारात्मक और जनहित व राष्ट्र हित में सामान्य नागरिक अनेक कार्यक्रम कर रहे हैं।

किसानों के मुद्दों पर कांग्रेस सांसदों ने सोनिया के नेतृत्व में संसद परिसर में प्रदर्शन किया

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में पार्टी के सांसदों ने सोमवार को किसानों के मुद्दों को लेकर संसद भवन परिसर में प्रदर्शन किया।

संसद भवन परिसर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने प्रदर्शन से पहले, कांग्रेस सांसदों की सोनिया गांधी की अगुवाई में बैठक हुई जिसमें तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक और कुछ अन्य मुद्दों को लेकर रणनीति पर चर्चा की गई।

कांग्रेस सांसदों ने संसद भवन परिसर में प्रदर्शन के दौरान सरकार विरोधी नारे भी लगाए। इस मौके पर पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी मौजूद थे। कांग्रेस सांसदों ने तीनों कानूनों को तत्काल निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी देने की मांग की।

उधर, राहुल गांधी ने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक को संसद में पेश किए जाने से पहले कहा कि आज संसद में अन्नदाता के नाम का सूरज उगाना है। राहुल ने ट्वीट किया, ‘‘आज संसद में अन्नदाता के नाम का सूरज उगाना है।’’ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने ट्वीट कर कहा, ‘‘आज सड़कों पर हमारे अन्नदाताओं द्वारा किए संघर्ष की जीत की गूंज संसद में होगी। आज एक बार फिर किसान आंदोलन में शहीद हुए 700 किसानों की, लखीमपुर के किसानों की शहादत को याद करने का दिन है। आज जब संसद में तीनों कृषि कानून वापस लिए जाएंगे तब पूरा देश एक साथ 'जय किसान' बोलेगा और अन्नदाताओं को नमन करेगा।’’

कृषि विधि निरसन विधेयक पर चर्चा नहीं हुई क्योंकि सरकार को हिसाब और जवाब देना पड़ता: कांग्रेस

कांग्रेस ने लोकसभा में चर्चा के बिना कृषि विधि निरसन विधेयक को पारित कराए जाने को लेकर सोमवार को सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर सदन में चर्चा होती तो उसे किसानों के मुद्दों पर हिसाब और जवाब देना पड़ता।

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘‘तीनों कृषि विरोधी काले क़ानूनों को ना पारित करते चर्चा हुई, न ख़त्म करते हुए चर्चा हुई। क्योंकि चर्चा होती तो…हिसाब देना पड़ता, जबाब देना पड़ता… खेती को मुट्ठी भर धन्ना सेठों की ड्योढ़ी पर बेचने के षड्यंत्र का। 700 से अधिक किसानों की शहादत का। फसल का एमएसपी न देने का।’’

उल्लेखनीय है कि पिछले साल सितंबर महीने में केंद्र सरकार विपक्षी दलों के भारी विरोध के बीच कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून और आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020 लाई थी।

करीब एक साल से प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों की मुख्य मांग इन तीनों कानूनों को रद्द करना थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को पिछले दिनों इन कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की थी।

रजनी पाटिल सहित पांच सदस्यों ने ली राज्यसभा की सदस्यता की शपथ

संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने पर सोमवार को राज्यसभा में रजनी अशोक राव पाटिल तथा चार अन्य नवनिर्वाचित सदस्यों को उच्च सदन की सदस्यता की शपथ दिलाई गई।

राज्यसभा की बैठक शुरू होने पर इन सदस्यों ने शपथ ली। कांग्रेस की रजनी पाटिल ने सबसे पहले शपथ ली। वह उच्च सदन में महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करेंगी।

रजनी (63) अपने भाई और सदन के सदस्य राजीव सातव (कांग्रेस) का मई में कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद उत्पन्न जटिलताओं से निधन होने की वजह से रिक्त हुई सीट पर महाराष्ट्र से उच्च सदन के लिए निर्वाचित हुई हैं। रजनी ने मराठी में शपथ ली। वह 2013-18 के दौरान भी राज्यसभा की सदस्य रह चुकी हैं।

महाराष्ट्र में परंपरा रही है कि वर्तमान सांसद का निधन होने पर रिक्त हुई सीट के लिए चुनाव निर्विरोध होता है। इसे देखते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने सदस्य संजय उपाध्याय का नाम वापस ले लिया और रजनी उच्च सदन के लिए निर्विरोध निर्वाचित हुईं।

रजनी के बाद द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) के तमिलनाडु से नवनिर्वाचित सदस्य कनिमोझी एन.वी.एन सोमू, के.आर.एन. राजेश कुमार और एम.एम.अब्दुल्ला ने भी शपथ ली। इन तीनों सदस्यों ने तमिल में शपथ ली। तीनों के शपथ लेने के बाद राज्यसभा में अब द्रमुक के सदस्यों की संख्या दस हो गई है।

कनिमोझी एन.वी.एन. सोमू पूर्व केंद्रीय मंत्री एन.वी.एन. सोमू की पुत्री हैं।

तृणमूल कांग्रेस के लुइजिन्हो फालेयरो ने कोंकणी में शपथ ली। फालेयरो उच्च सदन में पश्चिम बंगाल का प्रतिनिधित्व करेंगे।

इससे पहले सभापति ने बैठक शुरू होने पर राज्यसभा के नए महासचिव पी सी मोदी का सदस्यों से परिचय कराया। केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद चंद्र मोदी ने 12 नवंबर को राज्यसभा के नए महासचिव का पदभार ग्रहण किया।  

राज्यसभा के महासचिव, सचिवालय के प्रशासनिक प्रमुख तथा सभापति की ओर से और उनके नाम से संचालित सभी प्रशासनिक और अधिशासी कार्यों के समग्र प्रभारी होते हैं।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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