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मोदी जी! कभी हमसे भी पूछिए- "हाउडी जनता?"  

तिरछी नज़र : मोदी जी पूछ लें तो हम सब लोग बता सकें कि हम कैसे हैं। पर मोदी जी ने कभी पूछा ही नहीं। पांच साल में एक बार, चुनाव के समय भी मोदी जी सिर्फ अपनी ही सुनाते हैं। रेडियो से भी मन की बात करते हैं। हमारी तो न कभी सुनते हैं, और न ही कभी हमसे यह पूछते हैं "हाउ डू यू डू"।
howdy modi
यह प्रतीकात्मक तस्वीर, प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट Satish Acharyaके ट्विटर हैंडिल से साभार ली गई है।

मोदी जी पिछले सप्ताह अमेरिका में रहे। सबसे पहले उन्होंने ह्यूस्टन में एक कार्यक्रम किया। उस कार्यक्रम का नाम था "हाउडी मोदी"। पहले तो मुझे समझ में ही नहीं आया कि यह हाउडी क्या है! मैंने सोचा, यह कोई जादू टोने का कार्यक्रम होगा। नाम से तो ऐसा ही लग रहा था।

या फिर कोई हैलोवीन आदि जैसा कुछ मामला होगा। पर यह तो ऐसा कुछ नहीं था। मेरे बच्चों ने समझाया कि अमेरिका के उस इलाके में जिसमें टैक्सास पड़ता है, हाउ डू यू डू को संक्षिप्त रूप में हाउडी कहा जाता है। तो फिर "हाउडी मोदी" का मतलब हुआ, हाउ डू यू डू मोदी जी।

मुझे समझ नहीं आया कि करीब पचास हजार लोग आकर पूछेंगे "मोदी जी, आप कैसे हैं"। अब मोदी जी तो अच्छे ही हैं। उनकी तबीयत खराब थोड़ी न हुई है जो उनसे पूछा जाये, और वह भी इतने सारे लोगों द्वारा "हाउ डू यू डू, मोदी जी"।

हो सकता है कोई बीमारी वगैरह हो गई हो और हम देशवासियों को पता भी नहीं चला हो। वैसे भी ये सारे बडे़ लोग अमेरिका जा कर ही इलाज करावाते हैं। हो सकता है कि अमेरिका वालों को पता हो मोदी जी की बीमारी का और हमें ख़बर भी न हो। इसी वजह से अमेरिका वाले मोदी जी की खोज खबर ले रहे हों और हम पूछ ही नहीं रहे हैं कि "मोदी जी, आप कैसे हैं?"।

वैसे तो यह एक शिष्टाचार की बात भी है। जब आप किसी से मिलते हैं तो पूछते हैं, "कैसे हैं आप"। लेकिन हम सब तो टेलीविजन पर, अखबार में मोदी जी से लगभग रोजाना ही मिलते रहते हैं, सो हम क्या पूछेंगे, "हाउ डू यू डू, मोदी जी"। यह तो अमरीका वालों को ही मोदी जी कभी कभार, यही कोई साल में दो-तीन बार मिलते हैं सो उन्होंने पूछ लिया "हाउ डू यू डू, मोदी जी"। इसमें कोई बुराई है क्या?

लेकिन मोदी जी जनता से, चाहे तो साल में एक आध बार, नहीं तो पांच साल में एक बार ही सही, हम सब जनता से पूछ लें, "हाउडी जनता"। यानी कि हाउ डू यू डु, जनता। मतलब कि हम सब आम लोग कैसे हैं। मोदी जी पूछ लें तो हम सब लोग बता सकें कि हम कैसे हैं। पर मोदी जी ने कभी पूछा ही नहीं। पांच साल में एक बार, चुनाव के समय, भी मोदी जी सिर्फ अपनी ही सुनाते हैं। रेडियो से भी मन की बात करते हैं। हमारी तो न कभी सुनते हैं, और न ही कभी हमसे यह पूछते हैं "हाउ डू यू डू"।

मोदी जी तो अच्छे ही हैं। आप उनकी भरी जवानी की फोटो देख लो और आज की फोटो देख लें। दोनों को मिलायें तो आज अधिक हट्टे कट्टे लगेंगे। चहरे पर भी पहले से अधिक लाली मिलेगी। तो मोदी जी तो आज अच्छे ही हैं, बल्कि पहले से भी अधिक अच्छे हैं। उनसे क्या पूछना, पूछना है तो देश की जनता से पूछो, "हाउ डू यू डू"।

अमेरिका में ह्यूस्टन में तो लोगों ने पूछा "हाउडी मोदी"। पर उसके जवाब में मोदी जी लगभग घंटे भर बोलते रहे। जरा पता किया जाये "हाउ डू यू डू" या "जनाब, आप कैसे हैं" का सबसे लम्बा जवाब कितना लम्बा है। हो सकता है मोदी जी का नाम गिनीज़ बुक आफ रिकार्ड्स में आ जाये।

अमेरिका में मोदी जी ने कहा "भारत में सब अच्छा है, सब चंगा सी, बड़ा मजा मा छे, अंताबागुंबी,......." आदि आदि। पर मोदी जी वहां अमेरिका में भी यह नहीं कह सके कि भारत में रहने वाले सभी भारतीय अच्छे हैं, मज़े में हैं। वे सिर्फ इतना ही कह पाये कि भारत में सब अच्छा है।

भारत में बसने वाले सारे भारतवासी अच्छे हैं, चंगे हैं, मज़े में हैं, यह मोदी जी अमेरिका में भी नहीं कह पाये। पर मोदी जी ने यह भी कहा कि "अबकी बार ट्रम्प सरकार"। पर ट्रम्प जी किसी का भी अहसान हाथों-हाथ उतार देते हैं। ट्रम्प जी ने यह अहसान भी हाथों-हाथ उतार दिया। उन्होंने मोदी जी को "फादर आफ इंडिया" (भारत के राष्ट्रपिता) घोषित कर दिया।

भारत के अच्छे होने की बात बताने के बाद मोदी जी ने बताया कि उनके काल में भारत ने कितनी उन्नति की है। उन्होंने बताया कि कितने लाख शौचालयों का निर्माण किया गया है। पर उन्होंने यह नहीं बताया कि वहां न तो पानी का बंदोबस्त है और न ही शौच की निकासी का। इसलिए बहुत से लोग शौचालय का इस्तेमाल स्टोर रूम की तरह से करते हैं।

कुछ लोगों ने शौचालयों में प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत छोटी मोटी दुकान भी खोल ली हैं। उससे रोजगार का अवसर भी बढ़ा है। पर फिर भी बेरोजगारी पैंतालीस वर्ष के उच्चतम स्तर पर है। मोदी जी हाउडी मोदी कार्यक्रम में यह भी बताना भूल गये।

मोदी जी ने अमेरिकियों को यह भी बताया कि भारत में डाटा विश्व के किसी भी देश से सस्ता है। मोदी जी की ही कृपा से अब भारत में लोग खाने की जगह डाटा खाने लगे हैं। इसीलिए राशन मंहगा और डाटा सस्ता है। जब से मोदी जी और उनके परम मित्र अंबानी जी ने डाटा सस्ता किया है लोग चौबीस घंटे में से सोलह घंटे डाटा ही खाते रहते हैं। जब डाटा खा नहीं रहे होते हैं तो उसकी जुगाली करते रहते हैं।

लेकिन बात तो हम "हाउ डू यू डू" यानी "हाउडी" की कर रहे थे। अगर यही पूछना है कि "कैसे हैं आप" तो छोटू चायवाले से पूछें। कालू कुम्हार या फिर रामू राजमिस्त्री से पूछें। सलीम रिक्शेवाले से पूछें या फिर एमए पास कर चार-चार साल से नौकरी ढूंढ रहे अमित, अरमान या शिल्पा, शबाना से पूछें। "हाउ डू यू डू" पूछना है तो उनसे पूछें जिनकी जिन्दगी पहले से ही दूभर थी और पिछले चार साल में और भी दूभर कर दी गयी है।

यहां पर मुझे "मेरे अपने" फिल्म का एक गाना याद आ रहा है।
हाल चाल ठीक ठाक है,
बाकी सब ठीक ठाक है।
बीए किया है एमए किया,
लगता है ये सब एंवे किया।
काम नहीं है वरना यहां,
आप की दुआ से बाक़ी ठीक ठाक है।


(लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

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