Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

तिरछी नज़र : तुम हम से सीखो, हम तुम से सीखें और ऐसे ही जम्हूरियत को आगे बढ़ाते रहें

अमेरिका वासियों, हम से सीखो। हम से सीखो, हमारे यहां की डेमोक्रेसी से सीखो। सीखो कि देश के मुखिया को तो जांच एजेंसियां क्लीन चिट देने के लिए ही बनी होती हैं। हम से सीखो कि हम शासक दल के मंत्रियों, सांसदों, विधायकों को कैसे क्लीन चिट देते हैं।
parliament

एक खबर पढ़ी। यकीन ही नहीं हुआ। यकीन होता भी कैसे। खबर यकीन करने लायक थी भी नहीं। हिंदी के अखबार में जो पढ़ी थी तो इसलिए भी यकीन नहीं हो पा रहा था। आखिरकार यही खबर जब अंग्रेजी अखबार 'हिंदू' में पढ़ी तब जाकर कहीं यकीन हुआ।

खबर यह थी कि एक देश के राष्ट्राध्यक्ष के घर पर उसी देश की केंद्रीय जांच एजेंसी ने छापा मार दिया। और हद तो यह है कि सिर्फ छापा ही नहीं मारा, नौ घंटे तक घर की तालाशी भी ली, सर्च भी की। और यह किसी छोटे मोटे, तानाशाही वाले देश में नहीं हुआ। वहां तो ऐसी चीजें होती ही रहती हैं। तख्तापलट भी बड़ी आसानी से हो जाता है। यह हुआ एक बड़े देश में, लोकतांत्रिक देश में। डेमोक्रेसी वाले देश में।

यह अमेरिका में हुआ। अमरीका में डेमोक्रेसी है। आधुनिक युग की सबसे पुरानी डेमोक्रेसी है। वहां यह हुआ कि वहां की केंद्रीय जांच एजेंसी, एफबीआई ने वहां के राष्ट्रपति जो बाइडेन के निवास स्थान पर छापा मारा और नौ घंटे तक तालाशी ली। हफ्ता भर होने को आया इस बात को पर अभी तक यह खबर नहीं आई है कि एफबीआई के निर्देशक को या फिर जांच टीम के किसी भी अधिकारी को बर्खास्त कर दिया गया हो या फिर ट्रांसफर ही कर दिया गया हो। ऐसी भी क्या डेमोक्रेसी है! हमारे यहां तो चुनाव के दौरान भी सरकार जी के हेलीकॉप्टर की तालाशी लेने वाले अधिकारी को बर्खास्त कर दिया जाता है।

अमेरिकियों, इसी लिए मैं कहता हूं, असली डेमोक्रेसी तो हमारे यहां है। विश्व की सबसे पुरानी डेमोक्रेसी। ठीक है बीच के बहुत लंबे समय तक राजशाही चलती रही। पर अब तो डेमोक्रेसी है और बहुत ही अच्छी डेमोक्रेसी है। हमारी डेमोक्रेसी ऐसी है कि अमेरिका भी उससे सबक ले सकता है। और अमेरिका ही नहीं, पूरा विश्व उससे सबक ले सकता है।

हमारे यहां बहुत अधिक डेमोक्रेसी है। इतनी अधिक डेमोक्रेसी है कि सरकार जी को तो छोड़ो, सरकार जी के मंत्रियों की बात भी छोड़ो, सरकार जी की पार्टी के किसी भी सांसद, विधायक पर भी कोई जांच एजेंसी जांच नहीं कर सकती है। सारी जांच एजेंसियां डेमोक्रेसी से बंधी हैं। डेमोक्रेसी का सम्मान करती हैं। मानती हैं कि सरकार जी, उनके मंत्री, उनके दल के सांसद, विधायक, सभी जनता के वोट से आए हैं। और हमारे यहां की सारी की सारी जांच एजेंसियां जनता के वोट की कीमत समझती हैं।

डेमोक्रेसी में जनता के वोट की कीमत होती है। पर उसी वोट की कीमत होती है जो वोट सरकार जी के दल को मिला होता है। जिस जनता के वोट ने विरोधी दल के सांसद, विधायक को जिताया होता है, उसके वोट का कोई महत्व नहीं होता है, कोई कीमत नहीं होती है। सरकार जी के दल के तो हारे हुए नेता की भी वकत होती है जबकि विरोधी दल के जीते हुए की भी नहीं। क्या कभी सुना, पढ़ा है कि सरकार जी के दल के किसी भी सांसद, विधायक के यहां जांच दल पहुंचा हो? घर की तालाशी ली गई हो? पर विरोधी दल के किसी भी नेता के यहां कोई भी जांच एजेंसी, ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स, कोई भी जांच के लिए पहुंच जाता है।

नहीं सुना ना। पढ़ा भी नहीं है ना। ना सुनोगे, न ही ऐसा कुछ पढ़ोगे। क्योंकि महान डेमोक्रेसी में ऐसा कुछ होता ही नहीं है। हमारे यहां, हमारी डेमोक्रेसी में ऐसा कुछ होता ही नहीं है। हमारी डेमोक्रेसी चुने हुए प्रतिनिधियों का, शासक दल के चुने हुए प्रतिनिधियों का सम्मान करना जानती है। शासक दल को मिले वोटों का सम्मान करना जानती है। इतनी मजबूत है हमारी डेमोक्रेसी। अमेरिका की डेमोक्रेसी की तरह से कमजोर नहीं है।

अमेरिका वासियों, मुझे पता है कि पहले हमारे यहां भी डेमोक्रेसी इतनी मजबूत नहीं थी। हमारे इन सरकार जी ने उसे पहले से अधिक मजबूत किया है। दस साल पहले तो डेमोक्रेसी इतनी मजबूत बिल्कुल ही नहीं थी। जांच एजेंसियां तो डेमोक्रेसी को तो बिल्कुल भी पसंद नहीं करतीं थीं। उस समय तो जांच एजेंसियों ने एक केंद्रीय मंत्री तक को गिरफ्तार तक कर लिया था, जी जी के चक्कर में। लेकिन इतनी कमजोर डेमोक्रेसी भी किस काम की। तो अब हमारे सरकार जी ने उसे मजबूत किया है। सरकार जी ने हमारी डेमोक्रेसी को विश्व डेमोक्रेसी इंडेक्स में 2014 के सत्ताईसवें स्थान से बढ़ाकर अब 2022 में छयालिसवें स्थान पर पहुंचा दिया है। वैसे डेमोक्रेसी से संबंधित विभिन्न इंडेक्स हमें विभिन्न स्थानों पर दिखाते हैं पर हमने हर एक इंडेक्स में उन्नति ही की है।

अमेरिका वासियों, हम से सीखो। हम से सीखो, हमारे यहां की डेमोक्रेसी से सीखो। सीखो कि देश के मुखिया को तो जांच एजेंसियां क्लीन चिट देने के लिए ही बनी होती हैं। हम से सीखो कि हम शासक दल के मंत्रियों, सांसदों, विधायकों को कैसे क्लीन चिट देते हैं। उनको ही नहीं, उनके रिश्तेदारों तक को क्लीन चिट दे देते हैं। यह तुम्हें हमारे से सीखना है। यह तुम्हारी डेमोक्रेसी को हमारी डेमोक्रेसी से सीखना है।

परंतु ऐसा नहीं है कि तुम ही हम से सीखोगे। हम भी तुम से सीख सकते हैं। डेमोक्रेसी के बारे में ही सीख सकते हैं। सीख सकते हैं कि चुनाव हारने पर कैसे पार्लियामेंट को घेरा जाता है, उस पर हमला किया जाता है। तुम्हारे से ही सीख कर ब्राजील ने ऐसा किया। जरुरत पड़ी तो हम भी ऐसा ही करेंगे। मुमकिन हुआ तो 2024 में ही करेंगे। बस तुम हमारे से सीखते रहो और हम तुम्हारे से सीखते रहें। और ऐसे ही जम्हूरियत को आगे बढ़ाते रहें।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest